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Govardhan Puja 2023: गोबर से बनी 31 फीट की गोवर्धन प्रतिमा, दर्शन को उमड़ेंगे लाखों लोग, 1926 से मनाया जा रहा
Govardhan Puja 2023: साल 1926 से गौशाला में गोवर्धन पर्व मनाया जाता है। गोबर, मिट्टी और रंग से तैयार किया गया है भगवान की विशालकाय मूर्ति।
Muzaffarnagar News: गोवर्धन पूजा के अवसर पर मुजफ्फरनगर जिला स्थित एक गौशाला में हर वर्ष की भांति इस बार भी गोबर से 31 फीट लंबी विशालकाय गोवर्धन की प्रतिमा बनाई गई है। बताया जा रहा है कि इस प्रतिमा को 7 लोगों ने 10 घंटे प्रतिदिन काम करके 8 दिन में तैयार किया है। इसे देखने यहां लोगों का हुजूम उमड़ता है।
आपको बता दें, कि नई मंडी कोतवाली क्षेत्र स्थित नई मंडी गौशाला 1926 में बनाई गई थी। तब से आज तक इस गौशाला में गोवर्धन पर्व के अवसर पर भगवान गोवर्धन की विशाल प्रतिमा को गोबर मिट्टी से तैयार किया जाता है। इसे देखने लोगों की भारी भीड़ इकट्ठा होती है।
मूर्तिकार ने ऐसे बनायी मूर्ति
पिछले 20-22 सालों से गोवर्धन की इस प्रतिमा को हर साल तैयार करने वाले पंकज कुमार नाम के शख्स ने बताया कि, 'इसे बनाने में करीब 8 दिन लगे। 6-7 आदमी लगातार 10-10 घंटे काम कर रहे थे। एक ट्रैक्टर ट्राली मिट्टी व एक ट्राली गोबर और 1500 ईट व रंग रोगन आदि इसमें लगे हैं। यह 31 फीट की प्रतिमा है। इसकी खासियत यही है कि यह गोवर्धन पूजा पर गोबर से बनाई गई इतनी बड़ी प्रतिमा उत्तर प्रदेश में यहीं बनती है। हमने कहीं और बनते नहीं देखी। गोबर से हर जगह और हर घर में बनती है, लेकिन इतनी बड़ी प्रतिमा गोबर से कहीं नहीं बनती। करीब 21 वर्षों से हम इस प्रतिमा को लगातार बनाते आ रहे हैं। इसे बनाने में आनंद आता है। लगभग दो दिनों में एक लाख आदमी इसके दर्शन करने आते हैं।'
1926 से मनाया जा रहा पर्व
वहीं, इस गौशाला के सचिव श्यामसुंदर अग्रवाल ने बताया कि, 'हमारी गौशाला 1926 से इस नई मंडी में स्थापित हुई है। तब से आज तक इसी तरह यहां गोवर्धन पर्व मनाया जा रहा है। हमारे गोवर्धन की कई सारी खास बातें हैं। एक तो इतने विशाल प्रतिमा बनती है, जो पूरे यूपी में कहीं नहीं बनती। लगभग 31 फीट के गोवर्धन जी हमारे यहां बनते हैं। उसे बनाने के लिए कारीगर भी स्पेशल होते हैं। 20-22 साल से एक ही कारीगर पंकज भाई इसे बनाते रहे हैं। उनकी निरंतर सेवाएं जारी हैं।'
गोवर्धन जी को बनाने के लिए 10 से 15 दिन का समय लगता है। हालांकि, काम अभी भी चल रहा है। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। रात को 12 से 1 बजे तक दरवाजा खुला रहता है। लेकिन, दर्शन के लिए आने वालों का तांता लगा ही रहता है। आसपास के गांव व कस्बे से तथा आसपास के शहरों से इस पर्व को मनाने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं।