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Muzaffarnagar News: नाम ने ही छीन लिया काम... हिंदू-मुस्लिम मालिकों ने अपने-अपने कर्मचारियों को नौकरी छोड़ने को बोला

Muzaffarnagar News: यूपी सरकार के आदेश ने न केवल मुस्लिम मालिकों और उनके कर्मचारियों की कमाई पर असर डाला है, बल्कि हिंदू मालिकों के भोजनालयों में काम करने वाले मुस्लिम कर्मचारियों पर भी असर डाला है।

Ashish Kumar Pandey
Published on: 21 July 2024 4:48 PM IST
Muzaffarnagar News:
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Muzaffarnagar News: उत्तर प्रदेश में कांवड़ मार्गों पर खाने-पीने की दुकान पर संचालकों का नाम और पहचान अनिवार्य किए जाने के आदेश के बाद से ही दुकानदारों में बेचैनी बढ़ गई है। जहां योगी सरकार के फैसले के साथ ही मुजफ्फरनगर में कांवड़ मार्ग की दुकानों पर दुकानदार अपने-अपने नाम वाले फ्लैक्स लगा रहे हैं तो वहीं इन मार्गों पर स्थित ढाबों से मुस्लिम कर्मचारी भी कांवड़ यात्रा तक के लिए हटाए जा रहे हैं। कई जगह तो कर्मचारियों ने स्वेच्छा से ही अपने काम पर आने से इन्कार कर दिया है।


यह मेरे लिए आय का अच्छा स्रोत था

इस काम के लिए उन्हें 400-600 रुपये और हर दिन कम से कम दो वक्त का खाना मिलता था।हालांकि, इस साल उनके मालिक मोहम्मद अरसलान ने उन्हें दूसरी नौकरी की तलाश करने के लिए कहा है। क्योंकि वह अतिरिक्त कर्मचारियों को काम पर रखने में सक्षम नहीं थे। उन्हें लग रहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा होटल रेस्तरां, भोजनालय के मालिकों को दिए गए आदेशों के कारण उनकी कमाई पर असर पड़ेगा।पाल ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि यह मेरे लिए आय का एक अच्छा स्रोत था क्योंकि इस मौसम में अन्य नौकरियां ढूंढना बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि मानसून के मौसम में निर्माण और कृषि कार्य ज्यादा नहीं होते हैं, जहां मुझे एक मजदूर के रूप में नौकरी मिल सके। मैंने एक सप्ताह पहले ही ढाबे पर काम करना शुरू किया था, लेकिन अब मालिक ने मुझे कहीं और काम तलाशने के लिए कहा है।


डर है कि कहीं कमाई बुरी तरह प्रभावित न हो जाए

वहीं छोटे फल विक्रेताओं और ढाबों को इस बात का डर सता रहा है कि सरकार के इस कदम से कहीं उनकी कमाई बुरी तरह प्रभावित न हो जाए। ढाबे के मालिक अरसलान ने कहा कि उन्हें डर है कि उनके मुस्लिम नाम के कारण कांवड़िए उनके यहां खाना नहीं खाएंगे। इस मार्ग पर हर तीसरे ढाबे की तरह, मेरे ढाबे का नाम बाबा का ढाबा है। मेरे आधे से अधिक कर्मचारी हिंदू हैं। हम यहां केवल शाकाहारी भोजन परोसते हैं और श्रावण (मानसून) के दौरान लहसुन और प्याज का उपयोग करने से भी बचते हैं।


सरकार के आदेश ने न केवल मुस्लिम मालिकों और उनके कर्मचारियों की कमाई पर असर डाला है, बल्कि हिंदू मालिकों के भोजनालयों में काम करने वाले मुस्लिम कर्मचारियों पर भी असर डाला है।खतौली में मुख्य बाजार के ठीक बाहर सड़क किनारे भोजनालय के मालिक अनिमेष त्यागी ने कहा, एक मुस्लिम व्यक्ति मेरे रेस्तरां में तंदूर पर काम करता था। लेकिन इस मुद्दे के कारण, मैंने उसे जाने के लिए कहा। क्योंकि लोग इसे मुद्दा बना सकते हैं। हम यहां कोई ऐसी परेशानी नहीं चाहते हैं। इस बार तंदूर पर काम करने के लिए एक हिंदू व्यक्ति को बुलाया है।यही नहीं ऐसे कई ढाबा मालिक हैं जिनके सामने इस तरह की समस्याएं आ रही हैं।

Shalini Rai

Shalini Rai

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