Muzaffarnagar News: ... तो हम हिंदू भी सुरक्षित नहीं, नेमप्लेट विवाद पर बोले लोग

Muzaffarnagar News: एक युवक ने बताया कि ’खान’ नाम की वजह से ढाबे पर गाड़ियां नहीं रुक रही हैं। हम हिंदू हैं, लेकिन जब हंगामा शुरू होगा तो हम हिंदू भी सुरक्षित नहीं रहेंगे।

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Published on: 20 July 2024 5:48 AM GMT (Updated on: 20 July 2024 6:45 AM GMT)
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ढाबा संचालकों ने बदला अपना नाम (Pic: Social Media)

Muzaffarnagar News: यूपी की योगी सरकार ने 22 जुलाई से शुरू हो रही कावड़ यात्रा को लेकर तैयारियां तेज कर दी है। इसी बीच यूपी सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग की दुकानों पर मालिकों के नाम लिखने के आदेश दिए हैं। नेमप्लेट का विवाद सबसे ज्यादा मुजफ्फरनगर में देखने को मिल रहा है। मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा का करीब 240 किलोमीटर का रूट पड़ता है, इसलिए ये जिला बेहद महत्वपूर्ण है। दरअसल, पुलिस ने कांवड़ रूट पर पड़ने वाले सभी दुकानदारों को निर्देश दिए थे कि वे अपनी-अपनी दुकानों पर अपना नाम या फिर काम करने वालों का नाम जरूर लिखें, ताकि कांवड़ियों में किसी प्रकार का कोई कंफ्यूजन न हो। लिहाजा किसी ने अपने ठेले पर आरिफ आम वाला तो किसी ने निसार फल वाला की पर्ची लिखकर टांग ली।

'बाबू दा ढाबा' का नाम बदलकर किया 'बाबू खां ढाबा'

योगी सरकार के आदेश के बाद मुजफ्फरनगर में ढाबों के नाम बदल दिए गए हैं। 'बाबू दा ढाबा' का नाम बदलकर 'बाबू खां ढाबा' कर दिया गया है। इसके साथ ही बोर्ड पर संचालक का नाम बाबू खान भी लिख दिया गया है। बता दें कि बाबू दा ढाबा का मालिक मुस्लिम है और प्रबंधक हिंदू कर्मचारी हैं। लेकिन सरकार के इस फैसले के बाद अपनी सुरक्षा को लेकर ढाबा कर्मचारी चिंतित हैं, उनका कहना है कि जब कांवड़ यात्रा और कांवड़ियों का आना शुरू होगा तो खाने के बाद अगर उन्हें कहीं ’खान’ दिखाई देता है, तो वे हमें पीट भी सकते हैं। ’खान’ नाम की वजह से ढाबे पर गाड़ियां नहीं रुक रहीं।

हिंदू कर्मचारी बोले- हम भी सुरक्षित नहीं

मुजफ्फरनगर के खतौली में स्थित बाबू दा ढाबा का मैनेजमेंट आकाश शर्मा संभालते हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी हिंदू कर्मचारी हैं। ढाबा बाबू खान का है। आधार कार्ड पर उसका नाम सिर्फ़ बाबू है और पुलिस ने उसे एंट्री पॉइंट पर अपने नाम (बाबू) के साथ ’खान’ लिखने के लिए मजबूर कर दिया है। आकाश ने बताया कि पहले यूपी पुलिस ने हमें ढाबे के नाम से “जी” हटाने के लिए मजबूर किया, फिर बोर्ड पर बाबू ढाबा लिखने के लिए मजबूर किया। यह एक शुद्ध शाकाहारी ढाबा है, लेकिन ’खान’ नाम की वजह से ढाबे पर गाड़ियां नहीं रुक रही हैं। हम हिंदू हैं, लेकिन जब हंगामा शुरू होगा तो हम हिंदू भी सुरक्षित नहीं रहेंगे।

भाजपा के सहयोगी दल कर रहे विरोध

बता दें कि यूपी की योगी सरकार ने निर्देश दिया है कि हर दुकान को धार्मिक शुचिता बनाए रखने के लिए दुकानदार का नाम-पहचान बताना होगा, दलील ये दी गई कि कानून व्यवस्था के लिए भी ये जरूरी है, लेकिन योगी सरकार के फैसले का मोदी सरकार के साथी ही विरोध कर रहे हैं। जेडीयू, एलजेपी औऱ आरएलडी तीनों ने विरोध किया है। जेडीयू के महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि यूपी से बड़ी कांवड़ यात्रा बिहार में निकलती है, लेकिन वहां ऐसे कोई आदेश नहीं है। आरएलडी महासचिव त्रिलोक त्यागी ने कहा कि राजनीति में धर्म जाति नहीं होनी चाहिए। ये उचित बात नहीं है, दुकानों के बाहर नाम लिखवाना परंपरा गलत है। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि वह मुजफ्फरनगर पुलिस द्वारा दुकानों और दुकानदार का नाम बताने वाले फैसले का समर्थन नहीं करते हैं।

मुजफ्फरनगर में इन दुकानों के बदले गए नाम

इन दुकानों के बदले गए नाम अब तक जो लवर्स चाय प्वाइंट था, वो अब वकील अहमद टी स्टॉल हो गया। फर्क ये आया कि जहां पहले किस धर्म के दुकानदार की दुकान थी, ये साफ नहीं था, वहां अब साफ है कि ये मुस्लिम दुकानदार की चाय की दुकान है। मुजफ्फरनगर में आम बेचने वाले लिखे बैठे हैं कि ये निसार का ठेला है, बाहर पोस्टर पर लिखा गया है कि ये शाह आलम की चाय पान की दुकान है। प्रोपराइटर मोहम्मद दानिश का बैठक कैफे अब चौधरी इरफान का चौधरी होटल हो गया है। नाम बदलकर यूनुस टी स्टॉल और मोहम्मद दानिश का जूस कॉर्नर कर दिया गया है। मुजफ्फरनगर में संगम शुद्ध भोजनालय को अपना नाम सलीम शुद्ध भोजनालय रखना पड़ रहा है, क्योंकि संगम शुद्ध भोजनालय के मालिक मोहम्मद सलीम हैं।

Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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