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Rampur Tiraha Kand: पीएसी के दो जवानों ने किया था रेप, 30 साल बाद फैसला, आजीवन कारावास

Muzaffarnagar News: मुजफ्फरनगर न्यायालय ने बलात्कार के एक मामले में पीएसी के दो जवानों को उम्र कैद की सजा सुनाते हुए 50-50 हजार रुपए के आर्थिक दंड से दंडित भी किया है। जिसके बाद न्यायालय के आदेश पर दोनों अभियुक्त को पुलिस अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया है।

Amit Kaliyan
Published on: 18 March 2024 11:03 PM IST
Muzaffarnagar News
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Muzaffarnagar News (Pic:Social Media)

Muzaffarnagar News: 30 साल पूर्व 2 अक्टूबर 1994 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद में हुए रामपुर तिराहा कांड में सोमवार को मुजफ्फरनगर न्यायालय ने बलात्कार के एक मामले में पीएसी के दो जवानों को उम्र कैद की सजा सुनाते हुए 50-50 हजार रुपए के आर्थिक दंड से दंडित भी किया है। जिसके बाद न्यायालय के आदेश पर दोनों अभियुक्त को पुलिस अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया है। आपको बता दें कि 2 अक्टूबर 1994 को उत्तराखंड अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर सैकड़ो आंदोलनकारी महिला और पुरुष दिल्ली की ओर कूच कर रहे थे। इस दौरान उन्हें मुजफ्फरनगर जनपद के रामपुर तिराहे पर पुलिस के द्वारा रोक दिया गया था। इस दौरान आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच बड़ा संघर्ष भी हुआ था बताया जाता है कि जिसमें पुलिसकर्मियों ने आंदोलनकारियों पर जमकर बर्बरता ढाई थी।

जानिए क्या था मामला

जानकारी के मुताबिक इस दौरान जहां कई आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी तो वही बहुत से लोग इस मामले में जख्मी भी हुए थे। इस घटना के दौरान कुछ पुलिसकर्मियों पर आरोप लगा था कि उन्होंने कुछ महिला आंदोलनकारियों पर अत्याचार करते हुए उनका जबरन बलात्कार भी किया है। इस घटना को लेकर मुजफ्फरनगर जनपद की एडीजीसी 7 कोर्ट में 30 साल से एक बलात्कार का मामला चल रहा था। जिसमें आज न्यायालय ने दोनो पीएसी के जवान मिलन सिंह और वीरेंद्र प्रताप को दोषी करार देते हुए उन्हें उम्र कैद की सजा सुनते हुए 50-50 हज़ार रुपये के आर्थिक दंड से दंडित भी किया है। जिसके बाद दोनों आरोपियों को न्यायालय के आदेश पर पुलिस अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया है।

इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए सरकारी अधिवक्ता राजीव कुमार शर्मा ने बताया कि रामपुर तिराहे पर जो रेप की घटना उत्तराखंड के आंदोलन के दौरान हुई थी।महिलाओं के विरुद्ध बलात्कार का अपराध हुआ था। उस मामले में पूर्व में दोनों अभियुक्तों को दोष सिद्ध किया गया था। आज उनके सजा के प्रश्न पर सुनवाई थी, जिसमें न्यायाधीश शक्ति सिंह द्वारा दोनों पक्षों के तर्क व बहस को सुनने के बाद आज इस मामले में अपना निर्णय सुनाया है। दोनों अभियुक्तों को आजीवन कारावास एवं 50-50 हजार रूपये के अर्थ दंड से दंडित किया है। और जो अर्थदंड है यह पीड़िताओं को देने का आदेश भी आज मान्य न्यायाधीश द्वारा दिया गया है।

उन्होनें कहा कि 41वी पीएससी वाहिनी के कांस्टेबल थे एवं अपनी ड्यूटी पर थे तब इन लोगों द्वारा इस घटना को अंजाम दिया गया था। इसमें हमारे सीबीआई के अभियोजक दारा सिंह, एडीजीसी परविंदर कुमार, एसआई पुरुषोत्तम कुमार एवं महेश यादव द्वारा इस मामले में मजबूत पैरवी की गई है और साक्ष्य व संकलन करने के बाद अपने तर्क मान्य न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत करने के बाद आज इस मामले को अंजाम तक पहुंचाया है, 2 अक्टूबर 1994 को ये घटना घटित हुई थी एवं न्यायाधीश शक्ति सिंह द्वारा इस मामले को कितनी शिद्दत एवं गहराई से महसूस किया है और उन्होंने अपने जजमेंट में लिखा है कि इस घटना की तुलना उन्होंने जलियांवाला बाग कांड से की है वहीं उन्होंने इस मामले में जिस दिन 2 अक्टूबर गांधी जयंती तो गांधी जी के सिद्धांतों को अपने जजमेंट में कोर्ट किया है साथ ही उत्तर प्रदेश पुलिस के भी उन्होंने प्रशंसा की है कि उत्तर प्रदेश पुलिस का गौरवशाली इतिहास रहा है अगर कुछ लोग उस इतिहास को कलंकित करने का करते हैं तो उनके लिए न्यायालय व दंड है।

निश्चित रूप से एक बड़ा निर्णय आज उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए एक बहुत बड़ा निर्णय आज आया है, महिला आंदोलनकारी उत्तराखंड अलग राज्य की मांग को लेकर रामपुर तिराहे पर पहुंचे थे तब उन्हें रोकने के लिए बल प्रयोग किया गया था और कुछ लोगों ने इसकी आड़ में इन महिलाओं के साथ बलात्कार किया था। यह मामला आज न्यायालय में साबित हो चुका है और दोनों अभियुक्तों को दंडित किया गया है, यह मामला लगभग 29-30 साल से लगातार विभिन्न न्यायालय में भिन्न-भिन्न मामलों में पेंडिंग रहा एवं उच्च न्यायालय इलाहाबाद क्या आदेश के बाद यह मामला कोर्ट नंबर 7 श्री शक्ति सिंह को सुपुर्द किया गया था और इन्होंने इस मामले को एक वर्ष से कम की अवधि में सुनवाई पूरी करने के बाद आज अपना निर्णय सुनाया है।



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Durgesh Sharma

Durgesh Sharma

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