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‘भारती तिलक सम्मान’ से विभूषित कर नाईक का अभिनन्दन
लखनऊः लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में आज संस्था रंगभारती एवं उत्तर प्रदेश नागरिक परिषद द्वारा आयोजित 35वें उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस समारोह में उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नाईक को ‘भारती तिलक’ सम्मान से सम्मानित कर नागरिक अभिनंदन किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र थे तथा अध्यक्षता डॉ. अम्मार रिज़वी पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश ने की। इस अवसर पर मंत्री महेन्द्र सिंह, मंत्री बृजेश पाठक, सांसद डॉ. रीता बहुगुणा जोशी, महापौर लखनऊ संयुक्ता भाटिया, उर्दू अकादमी की अध्यक्ष आसिफा जमानी, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक राय, पूर्व कुलपति एसपी सिंह, कार्यक्रम के संयोजक श्याम कुमार सहित अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे।
राज्यपाल के रूप में कार्यकाल अभूतपूर्व
मुख्य अतिथि एवं राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि श्री नाईक से पुराना संबंध है। उनके साथ राजनीति में कार्य किया है। राज्यपाल के रूप में नाईक का कार्यकाल अभूतपूर्व रहा है। उन्होंने अपने कार्यकाल में राजभवन में आराम नहीं किया बल्कि जनता से संवाद बनाया और अनेक गैर जरूरी धारणाओं को समाप्त किया तथा सदैव पद की गरिमा को बनाये रखा। संविधान के अनुरूप कार्य करते हुए सभी से बराबरी का व्यवहार किया। कोई व्यक्ति अपने पद पर कार्य करते हुए कैसे जन कल्याणकारी स्वरूप में सक्रिय भूमिका निभा सकता है, श्री नाईक ने ऐसा कार्य किया है।
उन्होंने कहा कि पद के साथ दायित्व का निर्वहन ही देश की सच्ची सेवा होती है। सभी सम्मानमूर्तियों को बधाई देते हुए श्री मिश्र ने कहा कि उत्तर प्रदेश बड़ा प्रदेश है। सर्वाधिक आबादी वाला उत्तर प्रदेश कैसे आगे बढ़े और विकसित प्रदेश बने, इस पर सत्त विचार होना चाहिए।
उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस का आयोजन समाधान देने वाला है
पूर्व राज्यपाल ने संस्था रंगभारती एवं उत्तर प्रदेश नागरिक परिषद को नागरिक अभिनंदन के लिये धन्यवाद देते हुए कहा कि श्याम कुमार स्वयं के प्रयास से उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस मनाते थे। उन्होंने मुझे प्रथम बार निमंत्रित किया। उत्तर प्रदेश बड़ा प्रदेश है। 21 प्रदेश अपना स्थापना दिवस मनाते है।
उन्होंने कहा कि ‘‘मुझे प्रसन्नता है कि मेरे सुझाव पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस पर सरकारी आयोजन की शुरूआत की। उन्होंने कहा कि मेरे कार्यकाल में उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस मनाने का कार्य हुआ, जो समाधान देने वाली बात है।
उन्होंने बताया कि उनके प्रयास से आजादी के 42 साल बाद देश की सबसे बड़ी पंचायत में ‘जन-मन-गण’ एवं ‘वंदे मातरम’ गायन की शुरूआत हुई। इसी तरह स्थापना के 68 वर्ष बाद उत्तर प्रदेश में स्थापना दिवस आयोजन की शुरूआत हुई।
चरैवेति चरैवेति 2 के लिये अपने संस्मरण भेजें
पूर्व राज्यपाल ने कहा कि वे जनता के समक्ष जवाबदेही के लिये प्रतिवर्ष अपना कार्यवृत्त प्रकाशित करते रहे हैं। मराठी दैनिक ‘सकाल’ के लिये लिखे संस्मरणों के संकलन मराठी पुस्तक ‘चरैवेति-चरैवेति’ के कारण वे एक्सीडेंटल राइटर बन गये। उनकी पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ का हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृत, गुजराती, सिंधी, अरबी, फारसी, जर्मन, असमिया भाषा सहित ब्रेल लिपि हिन्दी, अंग्रेजी एवं मराठी संस्करण का प्रकाशन हुआ।
पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ 11 भाषाओं तथा ब्रेल लिपि में 3 भाषाओं में उपलब्ध है और शीघ्र ही नेपाली, कश्मीरी और तमिल में प्रकाशित हो रही है। पुस्तक चरैवेति-चरैवेति से उन्हें पहचान मिली है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल पर आधारित पुस्तक ‘चरैवेति-चरैवेति-2’ लिख रहे हैं। श्री नाईक ने कहा कि उनके कार्यकाल से संबंधित कोई संस्मरण हो तो उन्हें भेंजे, उसे पुस्तक ‘चरैवेति-चरैवेति-2’ में सम्मिलित किया जायेगा।
सदैव याद किये जाएंगे नाईक
मंत्री डॉ, महेन्द्र सिंह ने कहा कि पूर्व राज्यपाल की विशेषताओं का वर्णन ‘पानी पर पानी से पानी लिखना’ जैसा मुश्किल कार्य है। उन्होंने कहा कि वे यशस्वी राज्यपाल के रूप में सदैव याद किये जाते रहेंगे।
सांसद डॉ. रीता बहुगुणा जोशी ने पूर्व राज्यपाल को बधाई देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में उनके प्रयास से ही उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस की शुरूआत हुई जिसके माध्यम से अनेक योजनाओं का शुभारम्भ हुआ। उनके प्रयास से ही प्रयागराज को उसका पौराणिक नाम मिला।
महापौर संयुक्ता भाटिया ने कहा कि श्री नाईक की पुस्तक प्रेरणा प्रदान करने वाली है। राज्यपाल के रूप में उनसे प्रदेश को बहुत स्नेह मिला। उन्होंने सफल अभिभावक के रूप में प्रदेश की सेवा की है।
नाईक पूर्व राज्यपाल होने के बावजूद आज भी हृदयपाल हैं
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. अम्मार रिज़वी ने कहा कि राम नाईक पूर्व राज्यपाल होने के बावजूद आज भी हृदयपाल हैं।
संस्था रंगभारती की ओर से ये हुए सम्मानित
(1) नारी सशक्तीकरण के लिये अनारकली देवी रंगभारती सम्मान से डॉ. अनीता सहगल,
(2) समाज सेवा के लिये धर्मकिशोर रंगभारती सम्मान से शशांक श्रीवास्तव,
(3) पुलिस सेवा के लिये विश्वनाथ लहरी रंगभारती सम्मान से श्री सुलखान सिंह पूर्व पुलिस महानिदेशक,
(4) प्रशासनिक सेवा के लिये डॉ. जनार्दनदत्त शुक्ल रंगभारती सम्मान से रमेश चन्द्र त्रिपाठी पूर्व महासचिव राज्यसभा,
(5) गायन के लिये जगजीत सिंह रंगभारती सम्मान से कमला श्रीवास्तव,
(6) चित्रकला के लिये नंदलाल बोस रंगभारती सम्मान से डॉ. इंदुप्रकाश ऐरन,
(7) शास्त्रीय नृत्य के लिये उदयशंकर रंगभारती सम्मान से पूर्णिमा पाण्डेय,
(8) चिकित्सा क्षेत्र के लिये धन्वंतरि रंगभारती सम्मान से डॉ. राधाकृष्ण धीमान निदेशक संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान,
(9) संस्कृत भाषा के लिये कालिदास रंगभारती सम्मान से ओमप्रकाश पाण्डेय सम्पादक राष्टधर्म को अंग वस्त्र, स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
रंगभारती के अध्यक्ष श्याम कुमार ने स्वागत उद्बोधन देते हुये कहा कि वह जनप्रिय राज्यपाल थे जिन्होंने राजभवन को ‘जनभवन’ बना दिया था। कार्यक्रम में मंत्री बृजेश पाठक सहित अन्य वक्ताओं ने भी कार्यक्रम को सम्बोधित किया।