TRENDING TAGS :
नकल अध्यादेश कानून में है काफी खामियां, इसलिये नकल माफिया कोर्ट से आराम से छूट जाते हैं
Nakal Adhyadesh Kanoon: आंकड़े के मुताबिक गत 5 सालों में बोर्ड समेत कई प्रतियोगी परीक्षाओं का पेपर लीक करने व परीक्षा केंद्र में नाम बदल कर मुख्य अभ्यर्थी के नाम से परीक्षा देने के आरोप में यूपी एसटीएफ ने 628 लोगों को गिरफ्तार किया है।
Nakal Adhyadesh Kanoon: टीईटी परीक्षा में पेपर लीक होने के प्रकरण पर समूचे विपक्ष के निशाने पर योगी सरकार है।हालांकि पहले की तुलना में इस बार पेपर लीक प्रकरण से सरकार ने सबक लिया और इस बार सीएम योगी ने यह सख्त आदेश दे दिये कि पेपर लीक करने के प्रकरण में जितने भी लोग गिरफ्तार होंगे उन पर रासुका के तहत कार्रवाही होगी, उन पर गैंगस्टर भी लगेगा और उनकी सम्पत्तियां भी सीज की जाएगी।पुलिस के ही एक आंकड़े के मुताबिक गत 5 सालों में बोर्ड समेत कई प्रतियोगी परीक्षाओं का पेपर लीक करने व परीक्षा केंद्र में नाम बदल कर मुख्य अभ्यर्थी के नाम से परीक्षा देने के आरोप में यूपी एसटीएफ ने 628 लोगों को गिरफ्तार किया है। अभी भी टीईटी परीक्षा के पेपर लीक प्रकरण में एसटीएफ लखनऊ समेत सूबे के विभिन्न जिलों से आरोपियों की गिरफ्तारी कर रही है लेकिन अब यहां सवाल ये है कि नकल सॉल्वर गैंग से जुड़े नकल माफिया की गिरफ्तारी तो हो रहीं हैं।उसके बाद भी एक लंबे से समय से उत्तर प्रदेश में ये नकल माफिया, बोर्ड समेत प्रत्येक प्रतियोगी परीक्षाओं लगतार फिर से सक्रिय भूमिका में आ जाते हैं।इस मामले में महानगर के अधिवक्ताओं का कहना है कि सरकार के नकल विरोधी क़ानून में इतनी खामियां हैं जिसका फायदा लेकर ये नकल माफिया बच जाते हैं।
क्या कहना है अधिवक्ता ताहिर हुसैन अंसारी का
अधिवक्ता ताहिर हुसैन अंसारी का कहना है कि वैसे तो नकल कराना, किसी भी परीक्षा के पेपर को लीक कर उससे धन कमाना,परीक्षा कक्ष में असली अभ्यर्थी की जगह दूसरे से परीक्षा दिलवाना, ये एक गैर जमानती अपराध की श्रेणी में आता है।ये कानून सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने गत 1992 में दोनों सदनों से पास करवाया था और राज्यपाल ने इसे कानून की शक्ल दे थी लेकिन उनकी सरकार जाने के बाद जब सूबे में मुलायम सिंह यादव की सरकार आयी तब इस कानून को लचीला कर दिया गया।अब नकल अध्यादेश प्रभावी तो लेकिन इस कानून के तहत गिरफ्तार होने वाले आरोपियों को न्यायालय से 1 साल से लेकर अधिकतम तीन साल की सजा का ही अब प्रावधान है। उसमें भी अब न्यायालय पर ही यह निर्भर है कि वो आरोपी पर कितना जुर्माना ठोंके।अधिवक्ता ताहिर हुसैन का कहना है कि नकल रैकेट से जुड़े जितने भी आरोपियों की गिरफ्तारियां होतीं, उनके खिलाफ चार्जशीट भी पुलिस न्यायालय में पेश कर देती है।तो वकील अपनी दलीलों से उन्हें अदालत से रिहा करवा देते हैं।अधिवक्ता कहते हैं कि कल्याण सिंह की सरकार जाने के बाद इस नकल अध्यादेश से छेड़छाड़ की गई उससे इस कानून में इतनी खामियां आ गईं है कि जब आरोपी का केस जिरह की स्थिति में न्यायालय में पहुंचता है तब वकील उन्ही कमियों के आधार पर जिरह करके अपने मुवक्किल यानी आरोपी को रिहा करवाने में सफल हो जाते हैं।
कल्याण सिंह हमेशा इस नकल अध्यादेश के लिये याद किये जायेंगे
गत 1992 ने सूबे के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह हमेशा इस नकल अध्यादेश के लिये याद किये जायेंगे।वकील अश्वनी सिंह का कहना है कि कल्याण सिंह के समय मे जब यह नकल अध्यादेश ने एक कानून की शक्ल ली थी तब इस अध्यादेश के तहत गिरफ्तार होने वाले आरोपी को जेल जाना ही पड़ता था और निचली अदालतों से उसकी जमानत नही होती है लेकिन जब कल्याण सिंह की सरकार सूबे में बदली तो बाद की सरकार ने इस नकल अध्यादेश से काफी छेड़छाड़ कर दी है।इसीलिये नकल माफिया सख़्त सजाओं स बच रहा है और उसे अब इस कानून का कोई डर नहीं है।
क्या कहना है अजय दुबे का
अधिवक्ता अजय दुबे का कहना है कि अब बहुत जरूरत है कि नकल विरोधी कानून को योगी सरकार सख्ती से लागू करे।उन्होंने जो इन नकल माफिया की सम्पत्ति सीज ,गैंगस्टर व रासुका लगाने की बात कही है उसे कल्याण सिंह के नकल अध्यादेश में शमिल कर उसे एक ऐसे कानून की शक्ल देनी चाहिए कि अगर अगली सरकार आ भी जाये तो वो इस कानून से कोई छेड़छाड़ न कर सके।वकील अजय दुबे ने कहा कि बोर्ड समेत सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक करवाना, मुख्य अभ्यर्थी में स्थान पर दूसरे अभ्यर्थी से परीक्षा दिलवा देना ये सब सब नकल माफिया के प्रोफेशनली काम बन गए हैं।अब नकल अध्यादेश कानून के तहत गिरफ्तार होने वाले आरोपी को तत्काल जमानत न मिलना और इस कानून में इनकी सजा की भी सीमा भी बढ़ाई जानी चाहिए और लंबे जुर्माने का भी प्रावधान हो।ताकि इन नकल माफिया के इस कानून में डर पैदा हो।
taza khabar aaj ki uttar pradesh 2021,ताजा खबर आज की उत्तर प्रदेश 2021