TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

नैनो पार्टिकिल के प्रयोग से लहसुन की औषधीय क्षमता में इजाफा

sudhanshu
Published on: 11 Aug 2018 5:24 PM IST
नैनो पार्टिकिल के प्रयोग से लहसुन की औषधीय क्षमता में इजाफा
X

लखनऊ: आयुर्वेद में लहसुन पहले से ही अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। अब शोधार्थियों ने लहसुन पर नैनो पार्टिकल के प्रयोग से इसके औषधीय गुणों में 22 फीसद तक की वृद्धि का दावा किया है। यह शोध अभी हाल मे अंतरराष्ट्रीय जर्नल स्पेक्ट्रोस्कोपी लेटर्स ने हाल ही में प्रकाशित किया गया है।

इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में किया गया यह शोध

इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में यह शोध कार्य किया गया है। अभिसारिका भारती व श्वेता शर्मा ने इस शोध कार्य को पूरा किया है। इन्होंने प्रोफेसर उत्तम के मार्गदर्शन में लहसुन पर शोध किया है। लहसुन को प्रयोगशाला में उगाया गया। 29 दिन के पौधे पर नैनो पार्टिकल टिटैनियम डाईआक्साइड का प्रयोग किया गया, तो इस लहसुन के औषधीय गुणों में बहुत बड़ा परिवर्तन देखने को मिला।

ऐसे किया गया प्रयोग

इस बारे में प्रोफेसर उत्तम बताते हैं कि नैनो पार्टिकल को पानी में घोलकर मिट्टी में मिलाया गया। इसके बाद टिटैनियम डाई आक्साइड की विभिन्न मात्राएं देने पर लहसुन में पाए जाने वाले क्र्वेसीटीन नामक फ्लेवनायड में 22 फीसद तक बढ़ोत्तरी पाई गई। यह बढ़ोतरी अधिकतम 35 फीसद थी।

औषधीय गुणों के साथ उत्पाकता भी बढ़ी

प्रोफेसर उत्तम का कहना है कि इससे न सिर्फ लहसुन के औषधीय गुण बढ़े, बल्कि पौधे का विकास भी तेजी से हुआ। यह भी पता चला कि नैनो पार्टिकल के प्रयोग से औषधीय गुण तो बढ़ाया ही जा सकता है, साथ ही साथ उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है। फसल चक्र की अवधि भी कम की जा सकती है।

लहसुन में पाए जाते हैं ये पोषक तत्‍व

लहसुन में गंधक की मात्रा अधिकता होती है। इसे पीसने पर ऐलिसिन नामक यौगिक प्राप्त होता है जो प्रति जैविक विशेषताओं से भरा होता है। इसके अलावा प्रोटीन, एंजाइम, विटामिन ए,बी व सी, सैपोनिन, फ्लैवोनॉइड, वसा, ऐलीसिन, सेलेनियम, सल्फ्यूरिक एसिड विशेष मात्रा में पाई जाती है। सल्फर यौगिक ही इसके तीखे स्वाद और गंध के लिए उत्तरदायी होता है।

लहसुन के औषधीय गुण

सल्फर पेट के लिए काफी फायदेमंद होता है। सिलेनियम मूड ठीक रखने में मदद करता है। इसमें एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टी होती है। लहसुन, स्किन, हृदय के लिए भी फायदेमंद माना जाता है।

व्यावसायिक प्रयोग

प्रोफेसर केएन उत्तम बताते हैं कि अभी इसका प्रयोग प्रयोगशाला में किया गया है। बायो फर्टिलाइजर बनाने वाली कंपनियां नैनो पार्टिकल के प्रयोग से इस तकनीकी को नैनो फर्टिलाइजर के रूप में विकसित कर सकती हैं। फसलों पर नैनो पार्टिकल टिटैनियम डाई आक्साइड का प्रयोग पानी या उर्वरक में मिलाकर किया जा सकता है। इसकी लागत वर्तमान में उपलब्ध उर्वरक से पांच से 10 रुपये ही अधिक होगी।



\
sudhanshu

sudhanshu

Next Story