National Doctors Day: 30 साल से कुष्ठ रोगियों के लिए नि:शुल्क समर्पित हैं डॉ. विवेक कुमार

National Doctors Day: डॉ. विवेक 30 वर्षों से कई संगठनों के साथ नि:शुल्क त्वचा आउटडोर क्लीनिक चला रहे हैं। इस काम में वह सप्ताह के पांच दिन पूरा समय देते हैं। इतने साल से बिना रुके ग्रामीण और शहरी इलाकों में सेवा दे रहे डॉ. विवेक ने अब तक किसी भी परामर्श या वाहन के लिए किसी से कोई शुल्क नहीं लिया है।

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Newstrack NetworkPublished By Ashiki
Published on: 30 Jun 2021 3:44 PM GMT (Updated on: 30 Jun 2021 4:38 PM GMT)
National Doctors Day: 30 साल से कुष्ठ रोगियों के लिए नि:शुल्क समर्पित हैं डॉ. विवेक कुमार
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लखनऊ: कहते हैं कि दुनिया में मानवता कहीं न कहीं जिंदा रहती है। इसी बलबूते दुनिया टिकी भी है। ऐसे ही एक भले मानव हैं डॉ. विवेक कुमार। डॉ. विवेक 30 वर्षों से कई संगठनों के साथ नि:शुल्क त्वचा आउटडोर क्लीनिक चला रहे हैं। इस काम में वह सप्ताह के पांच दिन पूरा समय देते हैं। इतने साल से बिना रुके ग्रामीण और शहरी इलाकों में सेवा दे रहे डॉ. विवेक ने अब तक किसी भी परामर्श या वाहन के लिए किसी से कोई शुल्क नहीं लिया है। आइए जानते हैं इनके बारे में...

दिन की शुरुआत रोगियों को देखने से होती है। वह एक ही शिफ्ट में 30 से 40 रोगियों की समस्याओं से मुखातिब होते हैं। फिर दोपहर और शाम को निजी प्रैक्टिस शुरू कर देते हैं। बाकी मुफ्त सेवा की निरंतरता और प्रभाविता बनाए रखने के लिए उन्होंने समय, दिन और स्थान तय कर रखे हैं।


ऐसी रही अब तक की यात्रा

- 1985 से लखनऊ से विवेक ने गरीबों और जरूरतमंदों के लिए अपना धर्मार्थ कार्य शुरू किया। बाद में इन्होंने लखनऊ के आसपास के इलाकों से कुष्ठ रोग को मिटाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।

- 1990 के बाद से विवेक लगभग 2000 रोगियों का नि:शुल्क इलाज कर चुके हैं और फार्मास्युटिकल कंपनियों की मदद से उनके लिए मुफ्त दवाएं भी उपलब्ध कराई हैं।

- इस काम की प्रेरणा डॉ. विवेक को अपने पिता डॉ. राम कृष्ण से मिली। बता दें कि इनके पिता को साल 2013 में सामाजिक कार्यों के लिए पद्मश्री भी मिल चुका है।

डॉ. विवेक अपने दिवंगत पिता की एक सीख को याद करके कहते हैं कि यदि किसी डॉक्टर को अपने कौशल को सीखना और तेज करना है तो उसे गांवों में जाकर मदद करनी चाहिए। उनके पिता कहते थे, 'रोग जनता के साथ है और कोई भी सेवा देने से कभी गरीब नहीं होता है।'

धर्मार्थ कार्य नवाचार लाने के लिए डॉ. विवेक ने कई बिंदु पेश किए-

- हर आदमी की सुबह उत्पादकता ज्यादा होती है। इसलिए वह अपने निजी क्लीनिक से सुबह ही अपना दान कार्य शुरू कर देते हैं। मानवता की इस सेवा को ही वह सुबह की पूजा मानते हैं।

- अपने निजी क्लीनिक में 1 रुपये का दान पात्र कांसेप्ट शुरू किया, जिसे उन्होंने हर मरीज के लिए वह मदर टेरेसा के मिशनरी सेंटर में दान कर देते हैं ताकि कुष्ठ रोगियों को मुफ्त में बांटी जाने वाली दवाएं खरीदी जा सकें।

-. 1 जुलाई 2018 से बुधवार को सभी कुष्ठ रोगियों को वह निजी क्लीनिक में देखते हैं और सभी को मुफ्त में कुष्ठ दवा देते हैं।


मेगा कुष्ठ दान शिविर -

मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चैरिटी लेप्रोसी रिहैबिलिटेशन सेंटर, ज्योति नगर, मोहनलालगंज, लखनऊ में कुष्ठ रोग का शीघ्र पता लगाने और उपचार के उद्देश्य से वर्ष 2000 से 2015 तक वर्ष में दो बार एक मेगा शिविर आयोजित किया गया था। प्रत्येक शिविर के दौरान 250 से 350 रोगियों को नि:शुल्क देखा गया। दान पात्र से कुष्ठ रोगियों को एक माह तक निःशुल्क दवा उपलब्ध कराई गई। गैर-कुष्ठ रोगियों को विभिन्न दवा कंपनियों द्वारा दान में दी गई मुफ्त दवाएं प्रदान की गईं। इसके अलावा उनके द्वारा कुष्ठ रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए रोगियों को स्वास्थ्य शिक्षा की जानकारी प्रदान की जाती है। जैसे-जैसे कुष्ठ रोगियों को शिक्षित किया जाता है, वे कुष्ठ रोग से जुड़ी भ्रांतियों को समाप्त करने के अच्छे संदेशवाहक बन जाते हैं।


वर्तमान धर्मार्थ केंद्र-

1. मदर टेरेसा मिशनरीज ऑफ चैरिटी लेप्रोसी रिहैबिलिटेशन सेंटर, ज्योति नगर, मोहनलालगंज, लखनऊ (1992 से अब तक)। इस केंद्र में पुरुष और महिला रोगियों के लिए 100 बिस्तरों वाला अस्पताल, एक कुष्ठ पुनर्वास केंद्र, एक निवासी मोची और एक शिशु भवन है।

- सोमवार को हर तरह के त्वचा रोगियों को देखा जाता है।

- गुरुवार को कुष्ठ रोगियों देखा जाता है।

2. हरबिलास बाल एवं महिला चिकित्सालय, चारबाग, लखनऊ (1990 से अब तक)। यहां, वह प्रति विजिट लगभग 30 से 40 रोगियों को निःशुल्क परामर्श देते हैं। मरीजों में विभिन्न त्वचा संबंधी समस्याओं वाली महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।

- मंगलवार को सभी चर्म रोगी देखे जाते हैं।

- शुक्रवार को महिलाएं और बच्चे देखे जाते हैं।

- बुधवार को निजी केंद्र में कुष्ठ रोगी देखे जाते हैं।


पिछले धर्मार्थ केंद्र-

1. छावनी सामान्य अस्पताल, सदर, लखनऊ, सेना अस्पताल की एक सहायक (1998 से 2014 तक)

2. विवेकानंद अस्पताल, निरालानगर, लखनऊ (2000 से 2002 तक)

3. सीबी गुप्ता कृषि विश्वविद्यालय ग्रामीण केंद्र, बख्शी का तालाब, लखनऊ (2015 से 2018)


मानद परामर्श और शिक्षण-

1. संजय गांधी स्नातकोत्तर सुपर स्पेशियलिटी शिक्षण संस्थान, लखनऊ (1999 से 2008 तक)। नोट: सामान्य अस्पताल में, उन्होंने सप्ताह में एक बार, कर्मचारियों और इनडोर रोगियों को मुफ्त सेवा प्रदान की।

2. पोस्ट ग्रेजुएट स्किन सेंटर, बेस हॉस्पिटल, लखनऊ (1992 से अब तक)। यह एक एमडी डर्मेटोलॉजी टीचिंग इंस्टीट्यूट है, जहां वे पिछले 28 वर्षों से सप्ताह में एक बार रोगियों, छात्रों, स्वयं और संकाय के लाभ के मामलों की ​​चर्चा में भाग लेते हैं।

3. लखनऊ डर्मेटोलॉजिकल एसोसिएशन (1992 से अब तक)। आईएमए भवन में वह लखनऊ के सभी प्रमुख त्वचा विशेषज्ञों के साथ मासिक आधार पर कई मसलों पर चर्चा करते हैं।

Ashiki

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