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Sonbhadra: सोनभद्र में प्रदूषण की स्थिति जांचने पहुंची NGT की टीम, हफ्ते भर परियोजनाओं पर रखेंगे नजर
Sonbhadra News Today: NGT टीम ने जिले की कई परियोजनाओं का दौरा किया। साथ ही, जरूरी जानकारी भी हासिल की। यह टीम आठ दिनों तक सोनभद्र जिले में रहेगी।
Sonbhadra News Today: देश के तीसरे सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्र का दर्जा रखने वाले सोनभद्र-सिंगरौली (Sonbhadra-Singrauli) में प्रदूषण (Pollution) की गंभीर स्थिति और इसके चलते मानव स्वास्थ्य पर पड़ते विपरीत प्रभाव को लेकर अध्ययन प्रक्रिया शुरू हो गई है। राष्ट्रीय हरित क्षेत्र (National Green Tribunal) की तरफ से मंगलवार को राजधानी दिल्ली से पर्यावरण वैज्ञानिक प्रो आरडी पाटिल की टीम सोनभद्र पहुंची। इस NGT टीम ने जिले की कई परियोजनाओं का दौरा किया। साथ ही, जरूरी जानकारी भी हासिल की। यह टीम आठ दिनों तक सोनभद्र जिले में रहेगी। इस दौरान यहां पर्यावरण की गुणवत्ता की जांच की।, यहां की आबोहवा में घुलते प्रदूषण और इसका मानव स्वास्थ्य पर पड़ते प्रभाव को लेकर अध्ययन (Study) किया जाएगा। इसकी एक रिपोर्ट भी केंद्र सरकार (central government) और एनजीटी (NGT) को सौंपी जाएगी।
कोरोना काल के बाद फिर बिगड़ने लगे हालात
लगभग 50 साल से प्रदूषण की मार झेल रहे सोनभद्र में साल दर साल हालात बिगड़ते जा रहे हैं। यहां की स्थिति को देखते हुए, केंद्र सरकार की तरफ से अनपरा परिक्षेत्र के लिए नेशनल एयर क्लीन प्रोग्राम (National Air Clean Program) भी चलाया जा रहा है। लेकिन, कोराना काल में नियंत्रण में दिखने वाला प्रदूषण, जनजीवन सामान्य होते ही नया रिकार्ड बनाने लगा है। दिल्ली में 300 से 400 वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) पहुंचने पर जहां हाय-तौबा मचने लगी है, वहीं सोनभद्र के लिए सर्दी का सीजन कौन कहे, तपिश के मौसम में सामान्य बात बन गई है।
NGT ने कई टीमें भेजी, मगर हाल बेहाल
हालात को देखते हुए एनजीटी (NGT) की तरफ से कई टीमें भेजी गई। परियोजनाओं पर करोड़ों की पर्यावरण क्षतिपूर्ति भी लगाई गई। बावजूद इसे जिम्मेदारों की उदासीनता का परिणाम कहें, या इसको लेकर प्रबंधन की कमी, बिजली परियोजनाओं की चिमनियों से लेकर क्रशर फील्ड तक प्रदूषण की मार जनजीवन को बेहाल किए हुए है। कैंसर, फ्लोरोसिस जैसी गंभीर बीमारियों की मार पड़ रही है, सो अलग। हालात को देखते हुए, प्रदूषण को लेकर दाखिल याचिका पर एनजीटी ने केंद्रीय जलवायु एवं पर्यावरण मंत्रालय को विशेष टीम गठित कर अध्ययन के लिए भेजने को कहा था।
टीम ने स्थिति का जायजा लिया
NGT टीम को प्रदूषण नियंत्रण (pollution control) की योजना बनाने, इसको लेकर लापरवाही बरतने और नियमों का उल्लंघन (violation of rules) करने वालों के खिलाफ जरूरी कदम उठाने के भी आदेश दिए हैं। बताते चलें कि, उसी निर्देश के क्रम में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से नामित प्रोफेसर आरडी पाटिल की अगुवाई वाली टीम मंगलवार को सोनभद्र पहुंची। टीम ने ओबरा स्थित बिजली परियोजना, रेणुका नदी में जाती राख, डाला स्थित अल्ट्राटेक पावर प्लांट (UltraTech Power Plant), यहां से निकलने वाले राख के निस्तारण (disposal) की स्थिति, क्रशर फील्ड (crusher field) में 24 घंटे छाए रहने वाले पत्थर की धूल आदि की स्थिति देखी।
NGT की टीम रेणुकूट रवाना
यहां से टीम रेणुकूट (Renukoot) के लिए रवाना हो गई। बुधवार को उर्जांचल स्थित परियोजनाओं की स्थिति जानने के साथ ही लोगों पर पड़ रहे प्रभाव, यहां की आबोहवा में प्रदूषण की स्थिति, पर्यावरण की क्षमता-गुणवत्ता आदि का अध्ययन किया जाएगा। टीम 17 मई तक सोनभद्र में बनी रहेगी। इस दौरान राज्य प्रदूषण नियंत्रण की तरफ से क्षेत्रीय अधिकारी टीएन सिंह और प्रशासन (Administration) की तरफ से नोडल (Nodal) बनाए गए एसडीएम (SDM) दुद्धी साथ बने रहे।