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भारत सरकार के प्रयासों से फल-फूल रहा बागवानी क्षेत्र, कृषि उत्पादन क्षेत्र से निकला आगे
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री और राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (एनएचबी) के अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर के नेतृत्व में एनएचबी की टीम ने वाणिज्यिक बागवानी के विकास के लिए एक अभियान मोड में काम किया।
मीरजापुर: केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री (Union Minister of Agriculture and Farmers Welfare) और राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (एनएचबी) (NHB ) के अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर के नेतृत्व में एनएचबी की टीम ने वाणिज्यिक बागवानी (Commercial gardening) के विकास के लिए एक अभियान मोड में काम किया। इसी का नतीजा है कि देश का बागवानी क्षेत्र, कृषि उत्पादन क्षेत्र से आगे निकल गया है। वर्ष 2019-20 के दौरान बागबानी के क्षेत्र में अब तक का सर्वाधिक 320.77 मिलियन टन उत्पादन दर्ज किया गया जबकि 2020-21 के लिए यह 326.58 लाख मीट्रिक टन रहने का अनुमान है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन, राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (एनएचबी) ने कटाई के बाद की और कोल्ड चेन से जुड़ी अवसंरचना को बढ़ावा देने के लिए लंबे समय से लंबित पड़े सब्सिडी के रिकॉर्ड 1,278 आवेदनों को मंजूरी दे दी है। बागवानी क्षेत्र में फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान और फसल कटाई के बाद के प्रबंधन एवं सप्लाई चैन के बुनियादी ढांचे के बीच मौजूद अंतर की वजह से इस क्षेत्र को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। इस मंजूरी के बाद ये परेशानियां दूर हो जाएंगीं।
921 नई परियोजनाओं को दी गई मंजूरी
इस दिशा में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव और प्रबंध समिति के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने कार्य की प्रगति पर नियमित रूप से नजर रखी और एनएचबी के अधिकारियों को लगातार मार्गदर्शन दिया। मंत्रालय की प्रत्यक्ष निगरानी में, एनएचबी ने योजना के दस्तावेजीकरण, दिशानिर्देश और नए आवेदनों के निपटारे की प्रक्रिया को सरल बनाकर व्यवसाय को आसान करने के लिए कई कदम उठाए हैं। पिछले एक वर्ष के दौरान जहां 921 नई परियोजनाओं को मंजूरी दी गई, वहीं 357 लाभार्थियों को सब्सिडी दी गई।
बागवानी क्षेत्र के विकास के लिए 2,250 करोड़ रुपये आवंटित
भारत सरकार ने वर्ष 2021-22 में बागवानी क्षेत्र की भूमिका और व्यापक संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए किसानों की आय को बढ़ाने एवं बागवानी क्षेत्र के विकास के लिए 2,250 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इस बार का आवंटन पिछले वर्ष की तुलना में काफी अधिक है। यह आवंटन केन्द्र सरकार द्वारा समर्थित 'मिशन फॉर इंटिग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर (एमआईडीएच)' योजना के अंतर्गत किया गया है। इस योजना के अंतर्गत जड़ और कंद फसलों, सब्जियों, मशरूम, मसाले, फल, फूल, सुगंधित पौधे, नारियल, काजू इत्यादि की बागवानी आती है। बता दें, कृषि मंत्रालय वर्ष 2014-15 से एमआईडीएच योजना चला रहा है।
बढ़ी है बागवानी क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता
एमआईडीएच के लागू होने से न केवल बागवानी क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ी है, बल्कि इसने भूख, अच्छा स्वास्थ्य और देखभाल, गरीबी से आजादी, लैंगिक समानता जैसे सतत् विकास लक्ष्यों को हासिल करने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसके अलावा, इस मिशन ने खेतों में इस्तेमाल की जाने वाली अच्छी प्रणालियों को बढ़ावा दिया है, जिसने खेत की उत्पादकता और उत्पादन की गुणवत्ता में काफी सुधार किया है। एमआईडीएच ने बागवानी फसलों की पैदावार वाले क्षेत्र को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
भारत को 'आत्मनिर्भर' बनाना इन प्रयासों का है उद्देश्य
यह अनुमान है कि वर्ष 2050 तक देश में फलों और सब्जियों की मांग 650 मिलियन मीट्रिक टन बढ़ जाएगी, जिसे पूरा करना जरूरी है। भारतीय बागवानी क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ने की संभावनाएं काफी ज्यादा हैं। वर्ष 2014-15 से लेकर वर्ष 2019-20 तक बागवानी फसलों का क्षेत्रफल और उत्पादन क्रमशः 9% और 14% तक बढ़ा है। इस दिशा में किए जाने वाले अच्छे प्रयासों में सामग्री उत्पादन की रोपाई पर ध्यान केन्द्रित करना, क्लस्टर विकास कार्यक्रम, कृषि अवसंरचना कोष के माध्यम से ऋण मुहैया कराना, एफपीओ के गठन और विकास जैसे कई प्रयास शामिल हैं। उम्मीद है कि इन प्रयासों से भारत बागवानी उत्पादन के क्षेत्र में 'आत्मनिर्भर' होने के साथ दूसरे देशों को भी निर्यात करेगा।