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'कूल' नहीं रहा मोहब्बत की निशानी का दीदार, सैलानियों के लिए बंद 'शू कवर'
अचानक एएसआई ने बिना कोई विकल्प सुझाए शू कवर देना बंद कर दिया। पर्यटकों ने भी आरोप लगाया है कि ताज के भीतर उन्हें शू कवर नहीं मिलते, लेकिन बाहर 15 से 20 रूपए प्रति जोड़ी के हिसाब से शू कवर मिल जाते हैं। हालांकि, पहले ताज दर्शन का टिकट 20 रूपए होता था, जो अब बढ़ा कर 40 रूपए कर दिया गया है।
आगरा: ताजमहल में टूरिस्ट के लिए 'शू कवर' योजना जारी है या बंद कर दी गई है, इसे लेकर भ्रम है। राष्ट्रीय स्मारक सुरक्षा समिति ने योजना बंद कर देने का आरोप लगाया है, तो एएसआई ने इसे दुष्प्रचार बताया है। लेकिन पर्यटकों को अब इसके लिए पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं।
तपता है ताज
-ताज दर्शन का मन हो, तो पैर जलने की परवाह न करें। ताज व्यवस्थापकों ने तपते संगमरमर पर पैर 'कूल' रखने वाले 'शू कवर' देना बंद कर दिए हैं।
-राष्ट्रीय स्मारक सुरक्षा समिति अध्यक्ष मुन्नवर अली ने बताया कि संगमरमर तपने से पर्यटक बीच में ही ताज दर्शन छोड़ देते हैं।
-पर्यटकों को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए एएसआई ने ताज आने वाले टूरिस्ट के लिए शू कवर की योजना बनाई थी।
-इसके लिए टेंडर निकाल कर शू कवर ख़रीदे गए थे और ताजमहल परिसर में बिछने वाला कारपेट भी हटा दिया गया था।
शू कवर बंद
-लेकिन अचानक एएसआई ने बिना कोई विकल्प सुझाए शू कवर देना बंद कर दिया।
-पर्यटकों ने भी आरोप लगाया है कि ताज के भीतर उन्हें शू कवर नहीं मिलते, लेकिन बाहर 15 से 20 रूपए प्रति जोड़ी के हिसाब से शू कवर मिल जाते हैं।
-हालांकि, पहले ताज दर्शन का टिकट 20 रूपए होता था, जो अब बढ़ा कर 40 रूपए कर दिया गया है।
-एएसआई अधीक्षक डॉ. भुवन विक्रम ने आरोपों को गलत बताते हुए कहा है कि शू कवर व्यवस्था बंद नही की गयी है।
-उन्होंने कहा कि कुछ लोग अपनी दुकान चलाने के लिए ऐसा दुष्प्रचार कर रहे हैं, ताकि पर्यटकों को शू कवर बेच सकें।
-सच क्या है, फिलहाल जानना मुश्किल है। लेकिन यह तय है कि जी भर कर ताज दर्शन के लिए पर्यटकों को बाहर पैसे देकर शू कवर लेने पड़ रहे हैं।
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