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Meerut News: दो साल बाद फिर से ऐतिहासिक नौचंदी मेले की शुरुआत, 27 मार्च को होगा उदघाटन
Meerut News: पिछले दो सालों से कोरोना के कारण मेरठ के ऐतिहासिक नौचंदी मेले का आयोजन नहीं हुआ था। लेकिन अब इस ऐतिहासिक नौचंदी मेले की शुरुआत एक बार फिर हो रही है।
Meerut News: उत्तर भारत के ऐतिहासिक नौचंदी मेले (Nauchandi Mela) का उदघाटन 27 मार्च को होगा। मेले का उदघाटन मेरठ मंडल के कमिश्नर सुरेन्द्र सिंह करेंगे। इस बार मेले का आयोजन जिला पंचायत द्वारा किया जाएगा। हालांकि शासन द्वारा पिछले साल 25 फरवरी को मेरठ (Meerut) के ऐतिहासिक नौचंदी मेले को प्रांतीय मेला घोषित कर इसके आयोजन की जिम्मेदरी जिला प्रशासन को दी थी, लेकिन चुनाव में व्यस्तता के कारण जिला पंचायत को आयोजन का आदेश दिया गया है। डीएम के बालाजी ने मेले के लिए जहां सिटी मजिस्ट्रेट अमित भट्ट को नोडल अधिकारी बनाया है। वहीं महानगर के सभी एसीएम को सहयोग करने का निर्देश दिया है। सभी एसीएम, जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी, सिटी मजिस्ट्रेट को सहयोग करेंगे।
पिछले दो सालों से कोरोना के कारण मेरठ के ऐतिहासिक नौचंदी मेले का आयोजन नहीं हुआ था। पिछले साल शासन ने 25 फरवरी को मेरठ के ऐतिहासिक नौचंदी मेले को प्रांतीय मेला घोषित कर दिया था, लेकिन कोरोना के कारण जिला प्रशासन द्वारा मेले का आयोजन नही किया जा सका था। इस बार अब तक विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया चल रही थी। उसके बाद मंगलवार से विधान परिषद चुनाव का नामांकन शुरू हो गया। सो, डीएम ने विचार-विमर्श के बाद जिला पंचायत को मेले की तैयारी करने को कहा है। जिला पंचायत अध्यक्ष गौरव चौधरी ने बताया कि मेला के आयोजन को लेकर जिला पंचायत को जिम्मेदारी सौंपी गई है। मेला का आयोजन पहले से भी भव्य तरीके से होगा और सभी के साथ समन्वय स्थापित कर मेला का आयोजन किया जायेगा।
इस दिन से शुरू होगा ऐतिहासिक नौचंदी मेला
यहां बता दें, कि होली के बाद पड़ने वाले दूसरे रविवार को हर बार नौचंदी मेले का शुभांरभ होता है। इस बार भी 27 मार्च रविवार को मेला का शुभारंभ होगा। इसके बाद एक या डेढ़ माह बाद मेला पूरी तरीके से शुरू हो पायेगा। इसके लिये जिला पंचायत की ओर से मंगलवार से ही तैयारी शुरू कर दी गई है। मेले की ऐतिहासिकता की बात करें तो शहर में नौचंदी मेला आज 350 साल से भी पुराना हो गया है। सन् 1672 में मेले की नौचंदी मेले की शुरुआत शहर स्थित मां नवचंडी के मंदिर से हुई थी। शुरुआत में इसका नाम नवचंडी मेला था, जो बाद में नौचंदी के नाम से जाना गया। बताते हैं कि नवरात्र के नौवें दिन यहां मेला भरना शुरू हुआ था। धीरे-धीरे मेला बड़ा होता गया और इसका स्वरूप एक दिन से निकल कर दिनों में तब्दील हो गया।कहा तो यह भी जाता है कि शहर में जब-जब सांप्रदायिक दंगे हुए तब-तब नौचंदी मेले ने ही हिन्दु-मुस्लिम के दिलों की कड़वाहट दूर की। दंगों के बाद भी दोनों ही पक्ष के लोग नौचंदी मेले में एक साथ देखे गए। खास बात यह भी कि मेला परिसर में जहां सिद्धपीठ नवचंडी मंदिर में माता की भेंटें गूंजती हैं तो उसके सामने ही बाले मियां की मजार पर कव्वालियां दूर-दराज से आने वाले लोगों को खींचती हैं।