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अनोखी परंपरा: फल-फूल से नहीं, यहां रक्त से होती है मां दुर्गा की पूजा
मां दुर्गा के प्रति आस्था रखने वाले देवी मां को प्रसन्न करने के लिए तरह तरह के जतन करते है। नवरात्रि के अंतिम दिन (नवमी को) जहां मां दुर्गा के भक्त जहां फल
गोरखपुर: मां दुर्गा के प्रति आस्था रखने वाले देवी मां को प्रसन्न करने के लिए तरह तरह के जतन करते है। नवरात्रि के अंतिम दिन (नवमी को) जहां मां दुर्गा के भक्त जहां फल-फूल, वस्त्र एवं नारियल आदि चढ़ाकर उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं, वहीं बांसगांव क्षेत्र के श्रीनेत वंशी क्षत्रिय अपने रक्त से मां दुर्गा का अभिषेक करते हैं। दशकों से चली आ रही इस प्रथा में 12 साल के बच्चे से लेकर बुजुर्ग भी गर्व के साथ इसमें शामिल होते हैं।
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बलि प्रथा: मां के अभिषेक की अनोखी प्रथा
- बांसगांव में श्रीनेत वंश के क्षत्रियों की मां दुर्गा के अभिषेक की परंपरा बिलकुल अनोखी है।
- यहां लोग फल फूल नहीं बल्कि अपने रक्त से मां का अभिषेक करते हैं। इसे बलि प्रथा के नाम से भी जाना जाता है।
- इस प्रथा के अनुसार यहां स्थित मां दुर्गा के प्राचीन मंदिर पर नवरात्री में नवमी के दिन श्रीनेत वंशीय क्षत्रिय इकठ्ठा होते हैं और अपने नौ अंगों से रक्त निकाल कर मां का अभिषेक करते हैं।
- आश्चर्यजनक यह है कि एक ही छुरे से सैकड़ों लोगों के शरीर पर हल्का सा वार कर खून निकाला जाता है।
लोगों के मुताबिक़:
इस परम्परा के साक्षी संजीव बताते हैं कि कटे स्थान पर राख और भभूत लगा दिया जाता है। लोगों की माने तो नवमी के दिन करीब 10 हजार श्रीनेत वंशी जुटते हैं और शरीर के नौ अंगों के रक्त से अभिषेक करते हैं। देश-विदेश में रहने वाले यहां के लगभग 90 फीसदी स्थानीय लोग इस दिन गांव वापस आते हैं।
गांव के एक अन्य व्यक्ति सुधीर कुमार बताते हैं कि यह मां की महिमा ही है कि एक ही छुरे से सैकड़ों लोगों का खून निकाला जाता लेकिन आजतक कभी किसी को कोई इन्फेक्शन नहीं हुआ। जहां से खून निकाला जाता वहां देवी स्थान का राख और भभूत मल दिया जाता है।