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विधायक अमनमणि के खिलाफ कोर्ट ने जारी किया गैर जमानती वारंट

Gagan D Mishra
Published on: 26 Sep 2017 2:07 PM GMT
विधायक अमनमणि के खिलाफ कोर्ट ने जारी किया गैर जमानती वारंट
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किडनैपिंग केस में MLA अमनमणि के खिलाफ कोर्ट ने जारी किया एनबीडब्ल्यू

लखनऊ: एक स्थानीय अदालत ने अपहरण के केस में वांछित नौतनवा से निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। अपर सत्र न्यायाधीश अशोकेश्वर कुमार रवि ने विधायक के साथ-साथ इसी केस के एक अन्य मुल्जिम संदीप त्रिपाठी के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।

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कोर्ट ने यह आदेश दोनों मुल्जिमों द्वारा मुकदमे के विचारण में सहयोग नहीं करने पर उनकी ओर से दी गयी हाजिरी माफी की अर्जी खारिज करते हुए पारित किया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मुल्जिमान आदेश के बावजूद जानबूझकर उसके समछ उपस्थित नहीं हो रहे हैं ताकि गवाही नहीं दर्ज हो सके।

दरअसल अपहरण का यह मामला लखनऊ के गौतमपल्ली थाने से संबधित है। 6 अगस्त, 2014 को इसकी एफआईआर गोरखपुर के ठेकेदार ऋषि कुमार पांडेय ने दर्ज कराई थी। बीते 28 जुलाई को इस मामले में दोनों मुल्जिमों पर इस ठेकेदार की हत्या के लिए अपहरण करने व रंगदारी मांगने के साथ ही जानमाल की धमकी देने के मामले में आरोप तय हुआ था। अदालत में अब यह मामला गवाही की प्रक्रिया में है। अदालत ने गवाही के लिए अब अगली तारीख नौ अक्टूबर नियत की है।

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सरकारी वकील अभय त्रिपाठी के मुताबिक मंगलवार को इस मामले का एक गवाह अदालत में हाजिर था। लेकिन मुल्जिमों की अनुपस्थिति के चलते गवाही नहीं हो सकी। जबकि पिछली तारीख पर मुल्जिमों की हाजिरी माफी मंजूर करते हुए अदालत ने अगली तारीख पर व्यक्तिगत रुप से उपस्थित होने का आदेश दिया था।

इधर, सुनवाई के दौरान मुल्जिम अमनमणि की ओर से हाजिरी माफी की अर्जी दी गई थी। यह कहते हुए कि एक दूसरे मामले में गाजियाबाद की सीबीआई अदालत में पेशी है। अर्जी के साथ सीबीआई अदालत की काज लिस्ट की फोटो कापी भी दाखिल थी। अदालत ने अवलोकन के बाद पाया कि गाजियाबाद में मुल्जिम अमनमणि की पिछली पेशी की तारीख 22 सितंबर थी। जबकि यहां 16 सितंबर थी और उस रोज अगली तारीख 26 सितंबर तय की गई थी। लेकिन मुल्जिम ने 22 सितंबर को गाजियाबाद की सीबीआई अदालत में जानबूझकर अगली तारीख 26 सितंबर हासिल की। ताकि यहां चल रहे मुकदमे में कार्यवाही न हो सके।

दूसरी तरफ मुल्जिम संदीप त्रिपाठी की हाजिरी माफी की अर्जी में कहा गया था कि वह आवश्यक कार्य से अदालत आने में असमर्थ है। लेकिन अर्जी में इस बात का उल्लेख नहीं था कि क्या आवश्यक कार्य है।

Gagan D Mishra

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