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Ghaziabad News: सावन के पहले सोमवार पर दूधेश्वर नाथ मंदिर में उमड़ी भीड़, रावण ने भी की थी इस मंदिर में पूजा अर्चना
Ghaziabad News: प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर जहां पर स्थापित है, इस जगह पर प्राचीन काल में एक टीला हुआ करता था। इस टीले का इतिहास आज आपको सुनाते हैं।
Ghaziabad News: प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर(Dudheshwar Nath temple) में सावन(Sawan) के पहले सोमवार (Sawan ka Somwar) पर भक्तों की भीड़ उमड़ी है। मंदिर के महंत ने बताया कि कोरोना नियमो(Corona Protocol) का पालन करवाने के लिए मंदिर में पूरी व्यवस्था की गई है।
प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर की प्राचीन मान्यता है। जहां पर प्राचीन काल में रावण ने भी पूजा-अर्चना की थी। देश के 8 प्रसिद्ध मंदिर मठों में से एक है प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर मठ।
गाय स्वयं देती थी दूध
प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर(Dudheshwar Nath temple) जहां पर स्थापित है, इस जगह पर प्राचीन काल में एक टीला हुआ करता था। इस टीले पर एक गाय आती थी। और स्वयं दूध दिया करती थी। लोगों ने जब टीले पर खुदाई की तो वहां पर भगवान दूधेश्वर के शिवलिंग प्रकट हुए। तभी से यहां पर मंदिर की स्थापना हो गई।
भक्त यहां दूर-दूर से आते हैं। सावन के पहले सोमवार(Sawan ka Somwar) पर दूध अभिषेक का अलग महत्व है। मंदिर के महंत ने बताया कि भगवान भोलेनाथ(Baba Bholenath) सावन(Sawan) के महीने में जलाभिषेक करने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं।
रावण ने चढ़ाया था दसवां सिर
भगवान दूधेश्वर(Dudheshwar Nath temple) के शिवलिंग की स्थापना करने वाले रावण के पिता थे। बाद में रावण ने भी इसी मंदिर में पूजा अर्चना की थी। बताया जाता है कि प्राचीन काल में भगवान भोलेनाथ(Baba Bholenath) की भक्ति में लीन रावण ने अपना 10वां सिर भगवान भोलेनाथ(Baba Bholenath) के चरणों में इसी मंदिर में ही अर्पित किया था।
मंदिर से जुड़ी यह प्राचीन मान्यता इसका महत्व और बढ़ाती है। हर साल शिवरात्रि पर दूधेश्वर नाथ मंदिर में लाखों भक्तों का ताता लगता है। सावन के पहले सोमवार(Sawan ka Somwar)पर भी हजारों भक्त यहां पहुंचे हैं। सुबह से ही मंदिर में भव्य नजारा है। और बोल बम के जयकारों से पूरा माहौल सराबोर है।