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UP Election 2022: साहिबाबाद सीट पर भाजपा ने बनाया था जीत का रिकॉर्ड, इस बार कड़े मुकाबले की उम्मीद
UP Election 2022: साहिबाबाद विधानसभा सीट मतदाताओं की संख्या के हिसाब से उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी विधानसभा सीट मानी जाती है। यह सीट 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी।
UP Election 2022: गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र (Ghaziabad Lok Sabha) के अंतर्गत आने वाली साहिबाबाद विधानसभा सीट (Sahibabad Vidhan Sabha Seat) को प्रदेश की सबसे बड़ी विधानसभा सीट माना जाता है। मतदाताओं की संख्या के हिसाब से यह उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की सबसे बड़ी विधानसभा सीट मानी जाती है। इस विधानसभा सीट पर 10 लाख से अधिक मतदाता (Voters In Sahibabad) प्रत्याशियों की जीत या हार का फैसला करते हैं। यह सीट 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी।
2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी सुनील कुमार शर्मा (BJP Candidate Sunil Kumar Sharma) ने प्रदेश में सबसे ज्यादा मतों से जीतने का रिकॉर्ड कायम किया था। उन्होंने कांग्रेस (Congress) के टिकट पर उतरे अमरपाल शर्मा (Amarpal Sharma) को एक लाख 50 हजार 685 मतों से हराकर यह रिकॉर्ड बनाया था। अमरनाथ शर्मा (Amarnath Sharma) इस बार पाला बदलकर सपा (Samajwadi Party) के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे हैं। वे पिछले चुनाव में अपनी करारी हार का बदला लेने की कोशिश में जुटे हुए हैं और इस कारण इलाके में कड़े मुकाबले की उम्मीद जताई जा रही है।
प्रदेश में सबसे ज्यादा मतदाता
साहिबाबाद विधानसभा सीट (Sahibabad Assembly Seat) पर मतदाताओं को साधना प्रत्याशियों के लिए हमेशा एक बड़ी चुनौती रहा है। इस सीट पर सबसे ज्यादा मतदाताओं का नाम दर्ज होने के कारण इसे प्रदेश की सबसे बड़ी विधानसभा सीट माना जाता रहा है। इस विधानसभा क्षेत्र में 5.71 लाख पुरुष मतदाताओं के नाम दर्ज हैं। यदि महिला मतदाताओं की बात की जाए तो 4.40 लाख महिला मतदाता प्रत्याशियों की जीत या हार का फैसला करेंगी।
चुनाव प्रचार के दौरान हर प्रत्याशी मतदाताओं से सीधा संपर्क साधने का प्रयास करता है मगर इस विधानसभा क्षेत्र में सभी मतदाताओं तक पहुंचना प्रत्याशियों के लिए काफी मुश्किल काम माना जाता है।
2017 का जनादेश
2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर सुनील कुमार शर्मा ने जीत हासिल की थी। 2012 के विधानसभा चुनाव में वे दूसरे नंबर पर रहे थे मगर 2017 में उन्होंने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की थी। 2017 में उन्होंने अमरपाल शर्मा को हराकर न केवल 2012 की हार का बदला लिया था बल्कि 1,50,685 मतों से जीत हासिल करके सूबे में सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड भी कायम कर दिया था। सुनील शर्मा 2,62,741 वोट हासिल करने में कामयाब हुए थे जबकि कांग्रेस के अमरपाल को 1,12,056 मत हासिल हुए थे। बसपा के जलालुद्दीन 41,654 मतदाताओं का समर्थन पाने में कामयाब हुए थे।
इस बार सियासी हालात बदले
साहिबाबाद विधानसभा सीट पर इस बार सियासी हालात बदले हुए हैं। अमरपाल शर्मा पिछली बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे मगर इस बार उन्होंने पाला बदल लिया है। पिछले साल वे समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे और अब सपा की ओर से उन्हें चुनाव मैदान में उतारा गया है। अमरपाल शर्मा के बारे में एक बात और यह भी उल्लेखनीय है कि वे हर बार नए सियासी दल के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरते रहे हैं।
2012 के विधानसभा चुनाव में वे बसपा (Bahujan Samaj Party) के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे जबकि पिछला चुनाव उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था और दूसरे स्थान पर रहे थे। इस बार वे समाजवादी पार्टी का टिकट पाने में कामयाब हुए हैं और सपा-रालोद गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में भाजपा के सुनील शर्मा को चुनौती दे रहे हैं।
भाजपा प्रत्याशी की घेराबंदी
साहिबाबाद विधानसभा क्षेत्र काफी फैला हुआ है और इस क्षेत्र के अंतर्गत वसुंधरा (Vasundhara), इंदिरापुरम (Indirapuram), वैशाली (Vaishali) और कौशांबी (Kaushambi) जैसे पॉश इलाके भी आते हैं। खोड़ा जैसी घनी आबादी वाला इलाका भी इसी विधानसभा क्षेत्र का ही हिस्सा है। भाजपा प्रत्याशी सुनील शर्मा की ओर से क्षेत्र में काफी विकास कार्य कराने का दावा किया जा रहा है। वे फ्लाईओवर एवं सड़कों के साथ ही स्कूलों के कायाकल्प का दावा कर रहे हैं। योगी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट कैलाश मानसरोवर भवन भी इसी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत बनाया गया है।
दूसरी ओर विपक्षी दलों के उम्मीदवारों की ओर से भाजपा प्रत्याशी की घेराबंदी की जा रही है। विपक्ष की ओर से विकास कार्यों की अनदेखी का आरोप लगाया जा रहा है। एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने भी क्षेत्र में अपना प्रत्याशी उतारा है। अधिकांश सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारने वाले ओवैसी ने यहां पंडित मदन मोहन झा को टिकट देकर हर किसी को चौंका दिया है। इस विधानसभा सीट पर प्रवासी मजदूर भी बड़ी भूमिका निभाते रहे हैं और अब यह देखने वाली बात होगी कि इस बार के चुनाव में वे किस पार्टी का समर्थन करते हैं।
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