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Noida : देश में अपने आप की पहली अनोखी सर्जरी , 2 साल तक कृत्रिम हृदय से जीवित रहा इराकी मरीज

Noida : दो साल तक कृत्रिम हृदय पर रहने के बाद स्वत: ही मरीज का हृदय काम करने लगा...

Deepankar Jain
Report Deepankar JainPublished By Vidushi Mishra
Published on: 5 Oct 2021 3:04 PM IST
Dr Ajay Kaul
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हॉट एंड वैस्कुलर इंस्टिट्यट के चेयरमैन डॉक्टर अजय कौल 

Noida : दो साल तक कृत्रिम हृदय पर रहने के बाद स्वत: ही मरीज का हृदय काम करने लग जाए और वह स्वस्थ हो जाए। यही नहीं, वह अपनी दैनिक प्रक्रिया भी बड़े आराम से करने लगे । यह चमत्कार नहीं तो क्या है । कुछ ऐसा ही हुआ इराक निवासी हनी मोहम्मद जावेद के साथ। 2 साल पहले वह फोर्टिस अस्पताल सेक्टर 62 में इलाज कराने के लिए इराक से आए थे। उनकी हालत स्थिर थी । वे व्हीलचेयर से उठ भी नहीं सकते थे।

हॉर्ट एंड वैस्कुलर इंस्टिट्यट के चेयरमैन डॉक्टर अजय कौल ने 2 साल बाद उनकी सर्जरी कर कृत्रिम हृदय निकाला। उन्होंने बताया कि दुनिया भर में ऐसे चंद ही केस है। कौल ने बताया कि जब हनी मोहम्मद जावेद अस्पताल लाए गए तो उन्हें टर्मिनल हार्ट फेलियर की शिकायत थी ।

जीवन रक्षक मशीनों पर रखा

उन्हें सांस लेने में काफी कठिनाई हो रही थी। वह नहाने जैसी साधारण गतिविधियों को भी दूसरे की मदद के बगैर नहीं कर पाते थे। इस मामले में सर्जरी की कोई संभावना नहीं थी। इसलिए उन्हें हृदय प्रत्यारोपण की सूची में रखा गया ।उन्हें जिंदा रखने के लिए जीवन रक्षक मशीनों पर रखा गया।

डॉक्टरों ने कृत्रिम हृदय लगाने का फैसला किया। कृत्रिम हृदय लगाने के बाद मरीज को 2 सप्ताह तक अस्पताल में रखा गया । उसके बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई ।करीब 6 महीने बाद उनको वापस बुलाया गया ।उनका रूटीन चेकअप किया गया।

डेढ़ साल बाद हुआ ड्राइव लाइन इन्फेक्शन


डॉक्टर कौल ने बताया कि इस दौरान उनको चीरे वाले स्थान पर ड्राई लाइन इंफेक्शन हो गया। जिसको ठीक किया गया । इस दौरान उनके हृदय की जांच की गई । वह पूरी तरीके से स्वस्थ हो चुका था। हार्टबीट भी नॉर्मल आ रही थी ।

लेकिन कृत्रिम पंप को जारी रखा। इस तरह से 6 महीने तक और इसका फॉलोअप किया गया। 1 साल तक उन पर पूरी नजर रखी गई ।इस दौरान देखा गया कि उनका हृदय बिना किसी सपोर्ट के बीच चल रहा था

2 साल बाद हटाया कृत्रिम हृदय

मरीज के साथ परामर्श के बाद कृत्रिम हृदय हटाने का डॉक्टर ने फैसला किया। उन्होंने बताया कि यह अपनी तरह की एक अनोखी प्रक्रिया है ।जिसे भारत में पहली बार सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया । 5 दिन बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई ।

वास्तविक ह्रदय को आराम देने के चलते हुआ ठीक

डॉक्टर कौल ने बताया कि 2 साल तक कृत्रिम हृदय के जरिए जीवन चलते रहने के दौरान मुख्य हृदय आराम अवस्था में था ।ऐसे में वह तेजी से रिकवर हुआ । अपनी वास्तविक स्थिति में आ गया।

बच्चे का नाम डॉक्टर अजय कौल के नाम पर रखा

मरीज हनी मोहम्मद जावेद ने शुक्रिया अदा करते हुए बताया की दो बार डॉक्टर ने उनको जिंदगी दी । उन्होंने अपने बच्चे का नाम डॉक्टर अजय कौल के नाम पर रखा है।



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Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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