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Noida : एक्सप्लोसिव या किसी अन्य तरीके से ध्वस्त की जाए 121 मीटर ऊंची इमारतें, प्रेजेंटेशन आज
Noida : सुपरटेक के दोनों टावरों को गिराने का काम खुद सुपरटेक को ही करना है। यह कार्य नोएडा प्राधिकरण व सीबीआरआई की देखरेख में किया जाना है।
Noida : इमारतों को एक बार में ध्वस्त किया जाएगा या फिर इसे धीरे-धीरे कर यह प्रश्न सभी के जहन में है। आज होने वाले प्रस्तुतीकरण का मुख्य बिंदु यही होगा। अटकलें लगाई जा रही हैं कि कई फ्लोर तक पिलर में डायनामाइट लगाकर इसे ध्वस्त किया जाएगा। जिससे यह एक तह की तरह सीधे जमींदोज हो जाएगी।
हालांकि इसमें भी कई रिस्क फैक्टर हैं। जिनका अध्ययन करने के बाद सुपरटेक की दोनों कंपनियां सीबीआरआई, इंडियन डिमोलियशन एसोसिएशन और एमबीसीसी के अधिकारियों सामने अपनी कार्ययोजना प्रस्तुत करेंगी।
जल्द ही दोनों टावरों का निरीक्षण
सुपरटेक के दोनों टावरों को गिराने का काम खुद सुपरटेक को ही करना है। यह कार्य नोएडा प्राधिकरण व सीबीआरआई की देखरेख में किया जाना है। इमारत को गिराने में जो भी खर्च आएगा, उसका वहन भी सुपरटेक को ही करना है। इसके लिए पहली कंपनी एडिफिस इंजीनियरिग है। यह कंपनी जल्द ही दोनों टावरों का निरीक्षण करेगी।
सुपरटेक की ओर से यह कंपनी एक विशेषज्ञ है जो कि इमारतों की तकनीकी जांच करेगी। इसके अलावा एक अन्य कंपनी भी है जो कि सोमवार को निर्माण को ध्वस्त करने की कार्ययोजना पर अपना प्रस्तुतीकरण करेगी। यह प्रजेंटेशन एनिमेटेड होगा। जिसका थ्री डी माडल रखा जाएगा। जिसे ड्रोन मैपिंग, स्ट्रक्चरल डिजाइन और स्थलीय निरीक्षण के आधर पर बनाया जाएगा।
121 मीटर ऊंची इमारत को गिराने में कितना होगा वाइब्रेशन
प्राधिकरण ने बताया कि इस मामले में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण यदि कोई बिंदु है वह सुरक्षा है। क्योंकि इमारत की ऊंचाई करीब 121 मीटर है। मानकों के हिसाब से टावरों की दूरी भी सही नहीं है। एमराल्ड में 15 टावर और बने है। इन दोनों टावरों से अन्य टावरों की दूरी मानकों पर खरी नहीं है।
ऐसे में दूसरी इमारतों को कोई नुकसान न हो इसका ध्यान रखना ही महत्वपूर्ण है। यदि इमारत को गिराने में एक्सप्लोसिव का प्रयोग करते हैं, तो उसका वाइब्रेशन कितना होगा। यदि वाइब्रेशन ज्यादा हुआ तो अन्य इमारतों को भी नुकसान हो सकता है।
क्या आसपास की इमारतों को कराया जा सकता है खाली
कार्ययोजना में यह भी ध्यान दिया जाएगा कि इमारत के ध्वस्तीकरण के दौरान क्या आसपास की इमारतों को भी खाली कराया जा सकता है। इसके लिए एओए को भी इमारत के ध्वस्तीकरण प्लान में शामिल किया जाएगा। साथ ही एनजीटी के नियमों का ध्यान भी रखा जाएगा।