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किस्तों का भुगतान नहीं करने पर आवंटित फ्लैटों को कब्जे में लेकर जमा धनराशि को किया जा सकता है जब्त
Noida : आवसीस भवन योजना 2010 एच 01 में आंवटित किए गए डुप्लेक्स फ्लैटों में डिफाल्ट आवंटियों पर 87 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है।
Noida : किराया क्रय अभिधृति अनुबंध (एचपीटीए) के तहत फ्लैटों पर कब्जा करने वाले ऐसे आवंटी जिन्होंने निर्धारित अवधि में किस्तों का भुगतान नहीं किया, प्राधिकरण आवंटन निरस्त कर जमा धनराशि को जब्त करने की नीति पर कार्य कर रहा है। इससे प्राधिकरण को होने वाली वित्तीय हानि से बचाया जा सकता है।
दरअसल, आवसीस भवन योजना 2010 एच 01 में आंवटित किए गए डुप्लेक्स फ्लैटों में डिफाल्ट आवंटियों पर 87 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है। 39 ऐसे आंवटी है, जिनका एचपीटीए अनुबंध समाप्त हो चुका है। यदि प्राधिकरण अपनी नीति पर काम करता है, तो राजस्व के साथ उसे फ्लैटों पर कब्जा मिलेगा। हालांकि अनुबंध के तहत फ्लैटों की आधी उम्र करीब 10 साल निकल चुकी है।
प्रत्येक आवंटी के लिए छमाही किस्त इतने रुपये
प्राधिकरण ने 2010 में सेक्टर-135 में निर्मित 350 डुपलैक्स भवनों, जिनका क्षेत्रफल 180 वर्गमीटर है, का आवंटन किया था। योजना के तहत भवन की अंतिम कीमत 94 लाख 96 हजार 900 रुपये निर्धारित की गई। आंवटियों को 2011 में आवंटन पत्र दिए गए।
आंवटन प्रक्रिया में प्रत्येक भवन की कीमत का 30 प्रतिशत धनराशि प्राप्त करते हुए 70 प्रतिशत धनराशि 10 वर्ष की छमाही किस्तों पर देनी थी। ऐसे में प्रत्येक आवंटी के लिए छमाही किस्त 5 लाख 61 हजार 700 रुपए तय की गई।
यदि प्राधिकरण ऐसे डिफाल्ट आवंटी जिनकी देयता 15 लाख से 2.5 करोड़ रुपये है। भवनों को निरस्त करने के उपरांत नियमों के तहत भवन की कुल राशि का 30 प्रतिशत कटौती कर शेष राशि वापस करता है तो उसे 2 करोड 79 लाख 8211 रूपये की धनराशि जब्त करनी होगी।
प्राधिकरण को वित्तीय हानि
साथ ही प्राधिकरण को (पंजीकरण और किस्तों की धनराशि) के 41 करोड़ रुपए वापस करने होंगे। ऐसी स्थिति में प्राधिकरण को वित्तीय हानि हो सकती है। यह स्थिति तब है जब आवंटी 10 वर्ष से ज्यादा का आवासीय उपयोग कर चुका है। कमोबेश यही स्थिति सेक्टर-11,12,14,15,15ए,19,20, 22,26,27,31,34,35,36,40, 52,53,55,61,62,66,71,73,82,93,99 के अलावा अन्य सेक्टरों में आवंटित किए श्रमिक कुंज, ईडब्ल्यूएस, एलआईजी, एमआईजी , एचआईजी, में भी एचपीटीए के तहत अनुबंध कराकर आंवटियों को कब्जा दिया गया में है।
ऐसे में वित्तीय हानि से बचने के लिए प्राधिकरण ने विधि सलाहकार से बातचीत की। जिसमे स्पष्ट किया गया कि आवंटन निरस्त कर कुल कीमत में से 1 ,2 व 3 प्रतिशत धनराशि में कटौती करके शेष धनराशि आवंटी को वापस किए जाने के स्थान पर निरस्तीकरण के दिनांक तक आवंटी की समस्त धनराशि जब्त कर आवंटित भवन का कब्जा प्राधिकरण ले सकता है। इस विचार को बोर्ड के समक्ष रखा गया। बहरहाल इस पर मंथन किया जा रहा है। यदि इसके तहत कार्य किया जाता है तो प्राधिकरण को वित्तीय हानि से बचाया जा सकता है।