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Noida News: सुनयोजित तरीके से सुपरटेक को पहुंचाया गया था लाभ, फाइल एप्रूवल में फंसे दो सीईओ और एक एसीईओ

नोएडा प्राधिकरण में हुए भ्रष्टाचार की परतें खुलनी शुरू

Deepankar Jain
Published on: 4 Oct 2021 9:33 PM IST
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सुपरटेक एमराल्ड मामला (फोटो : सोशल मीडिया )

Noida News: एसआईटी (SIT) की जांच में जिन 26 अधिकारियों के नाम शामिल हैं। दस्तावेजों की जांच में यह एक भ्रष्ट कड़ी के रूप में नजर आए। जिन्होंने सुनयोजित तरीके से इस अनियमितता को अपने अंजाम तक पहुंचाया। विजिलेंस जांच (vigilance janch) में इनसे जुड़े और लोगों के नाम भी सामने आएंगें। जिनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। आगामी 24 से 48 घंटे में अनियमितता में शामिल अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज कर आगे की कार्यवाही की जाएगी।

जांच के बाद दोषी अधिकारियों की सूची में तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी मोहिंदर सिंह, एसके द्बिवेदी, अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी आरपी अरोड़ा का नाम भी शामिल है। सूत्रों ने बताया कि इन अधिकारियों ने तीनों ही रिवाइज प्लान पर एप्रूवल दिया था। जबकि जांच में दूसरे व तीसरे रिवाइज प्लान (revised plan) को ए्रपूव कराने में नियोजन विभाग की ओर से अनियमितता बरती गई थी। जाहिर है फाइलों पर वार्ता लिखकर इनकी अपने स्तर पर जांच कराई जा सकती थी। लेकिन ऐसा किया नहीं गया। इस सूची में तत्कालीन विधि सलाहकार राजेश कुमार व विधि अधिकारी ज्ञान चंद को अनियमितता में शामिल किया गया। वह इसलिए क्योंकि इन दोनों अधिकारियों ने आरडब्ल्यूए की ओर से लगाई गई आरटीआई का जवाब देने में आपत्ती लगाई थी।


सुप्रीम कोर्ट में भी आरडब्ल्यूए को आरटीआई का जवाब नहीं देने का मामला रखा गया था। सूची में एक नाम तत्कालीन वित्त नियंत्रक एसी सिंह का नाम भी है। इन्होने परचेबल एफएआर देने में नियमों की अनदेखी की। टावर की उचाई बढ़ती गई। आसपास के टावरों से उसके बीच की दूरी घटती चली गई। इसका निरीक्षण कर परियोजना अभियंता को रिपोर्ट देनी थी। रिपोर्ट लगाई भी गई तो नियमों की अनदेखी करते हुए यही कारण है तत्कालीन परियोजना अभियंता एमसी त्यागी और मुख्य परियोजना अभियंता के के पांडे का नाम भी इस सूची में शामिल किया गया। हालांकि एसआईटी की जांच में और भी कई बिंदु है जिनमे इन अधिकारियों को सूचीबद्ध किया गया है।

विजिलेंस जांच में आएंगे और भी कई नाम

इस मामले में अब विजिलेंस की टीम भी जांच करेगी। पत्रावलियों की जांच होगी। बयान दर्ज किए जाएंगे एक दूसरे को आमने सामने बैठाकर जांच की जाएगी। जाहिर है कई और नामों का खुलासा हो सकता है। इस दौरान कहां कहां नियम तोड़े गए किन-किन अधिकारियों के हस्ताक्षर किसके दबाव या आर्थिक लाभ के लिए किए गए सब कुछ पूछा जाएगा।

महज एक अनियमितता में फंस गई टीम 26...

-2००7 से 2०11 तक पालिसी में बदलाव कर दर्जनों आवंटन में बिल्डरों को पहुंचाया गया लाभ

-बिल्डरों पर 2० हजार करोड़ बकाया इसी वजह से रुकी है रजिस्टि्रयां

नोएडा: 2००7 से 2०11 तक ग्रुप हाउसिंग विभाग में दर्जनों भूखंड आवंटन हुए और कई परियोजनाओं का कागजी खांचा तैयार किया गया। महज एक बिल्डर के दो टावरों की जांच में ही दो तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी एक एसीईओ समेत 26 अधिकारी अनियमितता में लि' पाए गए। जबकि ऐसे दर्जन प्रकरण नोएडा प्राधिकरण में चल रहे है, जिसमें अनियमितता बरती गई, लेकिन उस पर अभी तक किसी का ध्यान नहीं गया। बिल्डरों का प्राधिकरण पर करीब 2० हजार करोड़ के आसपास का बकाया है। लगभग सभी बिल्डरों की ओर आवंटन प्रक्रिया में कही कही खमिया है। बिल्डरों ने अनियमितता कर पर्चेजेबल एफएआर बढ़वाया, आज तक किसी ने बढ़े एफएआर का शुल्क नहीं जमा किया। बकाया जमा नहीं करने से शहर में हजारों बायर्स को उनका मालिकाना हक नहीं मिला।

2००7 से 2०11 तक मोहिंदर सिंह प्राधिकरण के मुख्यकार्यपालक अधिकारी रहे। इसी दौरान करीब बिल्डरों को सर्वाधिक आवंटन किया गया। सूत्रों के मुताबिक अब तक करीब 25० ग्रुप हाउसिंग परियोजनाएं नोएडा में चल रही है। जिसमे प्राधिकरण के पास कुल 12 हजार से ज्यादा प्रापर्टी रजिस्टर्ड है। यहा सुपरटेक से लेकर आम्रपाली , यूनीटेक के अलावा कई और बड़े बिल्डरों का भू आवंटन इसी दौर में किया गया। महज लाभ और बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए प्राधिकरण की पालिसी में बदलाव करे आवंटन भूखंड की कुल लागत का 1० प्रतिशत जमा कर किया जाने लगा। बिल्डरों ने कंसोर्डियम बनाकर जमकर भू-आवंटन कराए। कुल लागत का 1० प्रतिशत तो जमा किया ताकि जांच में न फंसे लेकिन कुछ किस्त जमा करने के बाद श्ोष आज तक जमा नहीं की। यही कारण है कि अकेले ग्रुप हाउसिंग में ही बिल्डरों का 2० हजार करोड़ रुपए बकाया है। यह वह पैसा है जिसके जमा होने के बाद ही बायर्स को उनका मालिकाना हक मिल सकता है।

इन परियोजनाओं का खींचा गया खाचा

-सेक्टर-18 मल्टीलेवल कार पार्किंग- 243.32 करोड़ की लागत से 2०13 में इसका निर्माण शुरु किया गया। यह पार्किंग आज तक नोएडा ट्रैफिक सेल के हस्तगत नहीं की गई।

-एमपी-2 पर बनी एलिवेटड करीब 4.8० किमी लंबी 415 करोड़ में बनाई गई। प्राधिकरण विभागीय जांच में पाया गया कि इसमें अधिकारी द्बारा निर्माण कंपनी को ज्यादा पेंमेंट कर दिया गया।

-सेक्टर-94ए स्थित राष्ट्रीस दलित प्रेरणा स्थल शासन के ऑडिट रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ था कि सिर्फ 84 करोड़ का एमओयू साइन कर लगभग एक हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए। 2०12 में तत्कालीन चीफ प्रॉजेक्ट इंजिनियर की तरफ से दी गई रिपोर्ट के अनुसार 679 करोड़ रुपये का खर्च 2००9-1० तक था। इसके कोई भी बिल या बाउचर प्राधिकरण को नहीं मिले।

-सेक्टर-3० स्थित बना जिला अस्पताल 6०० करोड़ से ज्यादा की लागत से बनाया गया। 2०15 के आसपास इसे हैंडओवर किया गया। इसके बेसमेंट में पानी भर जाता है। 18 बार प्राधिकरण की और से निर्माण कंपनी को पत्र जारी किए गए लेकिन एक बार भी अनियमितता बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ क्यों जांच नहीं की गई।

-इसके अलावा दो सरकारी स्कूल व उद्यान विभाग के कई कार्य कराए गए। जिनमे भी अनियमितता बरती गई।



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Raghvendra Prasad Mishra

Raghvendra Prasad Mishra

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