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Noida News: अधिकारियों की अनियमितता से हुई वित्तीय हानि पर पर्दा डालने की तैयारी

सेक्टर-18 में पी-5 व पी-6 भूखंड लीज डीड के उल्लंघन से हुई 53 लाख 63 रुपए की हानि।

Deepankar Jain
Published on: 21 Sept 2021 9:22 PM IST
pradhikaran
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प्राधिकरण से संबंधित फाइल तस्वीर (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

Noida News: 2004 में सेक्टर-18 के पी-5 व पी-6 में लीज डीड नियमों (leej deed neyamo) के उल्लंघन से हुई वित्तीय हानि आवंटियों से वसूलने की तैयारी की जा रही है। दोनों ही भूखंडों में बेसमेंट का प्रयोग पार्किंग के लिए किया जाना था। यहां आवंटियों द्बारा व्यावसायिक गतिविधियां की जाने लगी। शासन द्बारा गठित माथुर जांच आयोग (mathur janch aayog) की रिपोर्ट इस अनियमितता (aniyamitata) की पुष्टि भी करती है। रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन परियोजना अभियंता व राजस्व अधिकारी को दोषी भी माना गया। इन दोनों अधिकारियों से हुई अनियमितता के कारण ही प्राधिकरण को 53 लाख 603 रुपए के राजस्व हानि हुई। इस प्रकरण को आगामी बोर्ड में रखा जाएगा।

प्राधिकरण (pradhikaran) से मिली जानकारी के मुताबिक सेक्टर-18 के पी-1 से पी-6 तक की कंट्रोल ड्राइंग 1988 में अनुमोदित की गई। 1989 से 1990 में इसे बेचा गया। भवन संख्या पी-1, पी-4, पी-5 व पी-6 में बेसमेंट व भूतल का प्रयोग स्टोरेज, मल्टीपर्पज हॉल व पाîकग के लिए किया जाना था। लेकिन यहा इसका प्रयोग आफिस व वाणिज्यिक गतिविधियों में किया जाने लगा। अधिभोग प्रमाण पत्र (सीसी) के नियमों का उल्लंघन किया गया। वहीं पी-2 व पी-3 में बेसमेंट का प्रयोग अधिभोग प्रमाण पत्र के अनुसार वाणिज्यिक ही रहा। भूखंड संख्या पी-5 में बेसमेंट तथा भूतल के अतरिक्त कंट्रोल डिजाइन में चार तल है। वहीं भूखंड संख्या पी-6 में बेसमेंट व भूतल के अतरिक्त छह तल है। 2004 में प्राधिकरण (pradhikaran) के सभी विभागों के आवंटन की जांच के लिए शासन की ओर से माथुर जांच आयोग (madhur janch aayog) का गठन किया गया।

माथुर आयोग की जांच में हुई थी पुष्टि

आयोग ने प्राधिकरण की 150 से ज्यादा आवंटन की जांच की। जांच में पी-5 व पी-6 में आवंटन के विपरीत गतिविधि मिली। इससे प्राधिकरण को 53 लाख 603 रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ। स्पष्ट निर्देश थे कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए। इसके लिए 8 अक्टूबर 2006 को तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी को एक पत्र भी भेजा गया। इसमे दोनों अधिकारियों से वित्तीय हानि के 53 लाख 603 रुपए वसूलने के लिए पत्र भेजा गया।

अधिकारियों के बजाए आवंटियों से की जाए वसूली नियोजन ने रखा विचार

इसके बाद तत्कालीन वास्तुविद नियोजन द्बारा दोषी अधिकारियों की बजाए आवंटी से वित्तीय हानि वसूलने का विचार किया गया। यही नहीं, 29 अक्टूबर 2018 को आवंटियों को इसके लिए एक नोटिस भेजी गयी।जिसका उत्तर वर्तमान तक आवंटी की ओर से नहीं दिया गया। मसलन 17 साल पहले हुई वित्तीय हानि को प्राधिकरण अब तक नहीं वसूल सका है। जिसे दोषी अधिकारियों से वसूला जाना था उसे आवंटियों से वसूलने की तैयारी की जा रही है। इस प्रकरण को आगामी बोर्ड में रखा जाएगा।



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Raghvendra Prasad Mishra

Raghvendra Prasad Mishra

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