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Noida News: सम्राट मिहिर भोज को गुर्जर बताने पर बवाल, करणी सेना ने किया विरोध, गुर्जर व क्षत्रिय समाज आमने सामने

Noida News: सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के अनावरण से पहले ही विवाद लगातार बढ़ता दिख रहा है। इस मामले को लेकर गुर्जर व क्षत्रिय समाज आमने सामने है।

Deepankar Jain
Published on: 19 Sep 2021 3:27 PM GMT
Gujjar and Kshatriya society face to face regarding Emperor Mihir Bhoj
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नोएडा: सम्राट मिहिर भोज को लेकर गुर्जर व क्षत्रिय समाज आमने सामने

Noida News: दादरी के एक डिग्री कॉलेज में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के अनावरण से पहले ही विवाद लगातार बढ़ता दिख रहा है। सम्राट मिहिर भोज को गुर्जर बताने का विरोध शुरू हो गया है। रविवार को 144 गांवों के क्षत्रिय समाज की महापंचायत प्यावली गांव में हुई है। यह महापंचायत अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा और करणी सेना ने आयोजित की थी। पंचायत में फैसला हुआ कि पहले जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपे जाएंगे। एलान किया गया है कि अगर इतिहास से खिलवाड़ किया गया तो नतीजे भुगतने पड़ेंगे। अगर फिर भी बात नहीं मानी गई तो आंदोलन किया जाएगा। लेकिन गुर्जर महासभा ने इस लड़ाई में पीछे नहीं हटने का संकल्प जताया है। लिहाज़ा गुर्जर व क्षत्रिय आमने सामने आ गये हैं।,

महापंचायत में इस कार्यक्रम के विरोध की पूरी रणनीति बनाई गई। दावा किया गया था कि क्षत्रिय समाज के सभी प्रमुख लोग इस महापंचायत में हिस्सा लेंगे। लेकिन भीड़ युवाओं की रही। अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेंद्र सिह तंवर, राष्ट्रीय सचिव पृथ्वी सिह, करणी सेना के प्रदेश संगठन मंत्री राणा ब्रजेश प्रताप सिह, अधिवक्ता रीमा सिह और अशोक चौहान आदि ने शनिवार को प्रेस वार्ता की थी।

प्यावली गांव में 144 गांवों के क्षत्रिय समाज की हुई महापंचायत

इन लोगों ने कहा, "नौंवी शताब्दी के राजपूत सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार को गुज्जर समुदाय से जोड़ना गलत है। हम अपने इतिहास से छेड़छाड़ नहीं होने देंगे। इसको लेकर समाज के लोगों में नाराजगी है। अपने इतिहास को बचाये रखने के लिए हम सड़क से लेकर संसद तक लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं। इसी क्रम में रविवार को प्यावली गांव में महापंचायत हुई। जिसमें करीब एक हजार युवकों की भीड़ शामिल हुई।


पहले जन प्रतिनिधियों को सौंपा जाएगा ज्ञापन, फिर होगा आंदोलन

करणी सेना के ब्रजेश राणा ने कहा, "हम लोगों ने तय कर लिया है कि सबसे पहले इस कार्यक्रम को रोकने के लिए जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपेंगे । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी एक ज्ञापन भेजा गया है। अगर इसके बावजूद भी इस कार्यक्रम को नहीं रोका गया तो सड़क पर उतरकर आंदोलन किया जाएगा। क्षत्रिय समाज अपने इतिहास के साथ छेड़छाड़ बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा। सम्राट मिहिर भोज को गुर्जर समुदाय से जोड़कर प्रचार प्रसार करना हमें कतई स्वीकार नहीं है।" इस कार्यक्रम को लेकर सोशल मीडिया पर भी अभियान चलाया जा रहा है।

गुर्जर व क्षत्रिय समाज आया आमने-सामने

अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा और आखिल भारतीय क्षत्रीय महासभा ट्रस्ट आमने सामने आ गए। वीर गुर्जर महासभा के आचार्य वीरेन्द्र विक्रम ने इसे समस्त देशवासियों के लिए गौरव की बात बताया।वार्ता के दौरान वीर गुर्जर महासभा के आचार्य वीरेन्द्र विक्रम ने कहा कि गुर्जर सम्राट मिहिर भोज रघुवंशी सम्राट थे । गुर्जर प्रतिहार वंश के सबसे प्रतापी सम्राट थे। जिन्होने 53 वर्षों तक अखंड भारत पर शासन किया। उनकी पहचान समाज में गुर्जर सम्राट के नाम से ही है। उनके समकालीन शासकों राष्ट्रकूट और पालो ने अपने अभिलेखों में उनको गुर्जर कहकर ही संबोधित किया है। 851 ईसवी में भारत भ्रमण पर आए अरब यात्री सुलेमान ने उनको गुर्जर राजा और उनके देश को गुर्जर देश कहा है।

सम्राट मिहिर भोज के पौत्र सम्राट महिपाल को कन्नड़ कवि पंप ने गुर्जर राजा लिखा है। उन्होंने बताया कि प्रतिहारो को कदवाहा, राजोर , देवली, राधनपुर, करहाड़, सज्जन, नीलगुंड, बड़ौदा के शिलालेखों में गुर्जर जाति का लिखा है। 1957 मे डॉक्टर बैजनाथ पुरी ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से गुर्जर प्रतिहारो पर पीएचडी करी और उनको गुर्जर जाति का सिद्ध किया । भारत के इतिहास में 1300 ईसवी से पहले राजपूत नाम की किसी भी जाति का कोई उल्लेख नहीं है। क्षत्रिय कोई जाति नहीं है , क्षत्रिय एक वर्ण है जिसमे जाट , गुर्जर , राजपूत अहीर (यादव ) , मराठा आदि सभी जातिया आती है। उन्होंने बताया की हमारे सारे प्रमाण मूल लेखो, समकालीन साहित्य और शिलालेखों पर आधारित है।

इतिहास के साथ नहीं होने दिया जाएगा खिलवाड़

क्षत्रिय समाज के अध्यक्ष ऋषिपाल परमार ने बताया गया कि गुर्जर शब्द एक स्थान विशेष व भौगोलिक है न कि जातिवाचक। गुजरात पर शासन करने वाले राजा को गुर्जेश्वर या गुर्जर अधिपति की उपाधि मिलती थी। लेकिन एक समाज विशेष इसे अपनी जाति से जोड़ने का प्रयास कर रहा है। सम्राट मिहिर भोज के वंशज आज भी नागौर में राजकुमार किले में रहते है। उन्होंने लिखकर दिया है कि हम लक्ष्मण के वंशज राजपूत है न कि गुर्जर। इतिहास के साथ खिलवाड़ किया गया तो इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

गांव में पुलिस और पीएसी तैनात की गई

प्यावली गांव में महापंचायत की घोषणा के बाद भारी फोर्स तैनात कर दी गयी है। अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय सचिव पृथ्वी सिह ने कहा,"महापंचायत की घोषणा होने के बाद से पुलिस अफसर दबाव बना रहे हैं। यह महापंचायत रोकने की पूरी कोशिश की गई है। कार्रवाई की धमकी दी जा रही हैं। लेकिन वह इस महापंचायत को आयोजित करेंगे। यह हमारे लिए अपनी पहचान और अपने इतिहास को बचाये रखने का सवाल है।"


15 फुट ऊंची अष्टधातु की है प्रतिमा

दादरी के सम्राट मिहिर भोज कॉलेज में लगने वाली प्रतिमा 15 फुट ऊंची है। जिसे स्टेच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण करने वाले विख्यात मूर्तिकार रामसुतार ने बनाया है। यह प्रतिमा अष्टधातु की है। जिसे कॉलेज में स्थापित किया जा चुका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसका अनावरण करने के लिए 22 सितंबर को आएंगे। खास बात यह है कि मिहिरभोज डिग्री कॉलेज में पहले से ही सम्राट मिहिर भोज की एक छोटी प्रतिमा लगी हुई है।

राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के प्रदेश संगठन महामंत्री राणा बृजेश प्रताप सिह का कहना है, "गुर्जर समाज के कुछ लोग इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश कर रहे हैं। योगी आदित्यनाथ को पता होना चाहिए कि वह जिसकी प्रतिमा का अनावरण करने आ रहे हैं, वह कौन सी जाति से हैं।" उन्होंने आगे कहा, असल में भाजपा के कुछ नेता और आरएसएस के कार्यकर्त्ता लोगों को भड़काने का काम कर रहे हैं। साठा चौरासी और बिसहाड़ा गांव के आसपास हजारों ठाकुर समाज के परिवार रहते हैं। कुछ भाजपा और संघ के लोग ही दो जाति के बीच मतभेद पैदा करके भाजपा के खिलाफ गहरी राजनीति रच रहे हैं। उनका उनका है कि ठाकुर और गुर्जर समाज के लोग भाजपा को वोट देते हैं । लेकिन ऐसा करके भाजपा के वोटरों को बांटने का काम किया जा रहा है।

Shashi kant gautam

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