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Noida News: दोनों टावरों के निर्माण में खो गया अविकसित पार्क, मिलीभगत कर बिल्डर को आवंटित की गई ग्रीन बेल्ट की जमीन

सुपरटेक के एमराल्ड प्रोजेक्ट के लिए दो बार में जमीन आवंटित की गई । पहली बार में 48,263 वर्ग मीटर जमीन आवंटित की गई। दूसरी बार में 6556.5 1 वर्ग मीटर जमीन आवंटित की गई। सूत्रों ने बताया की दूसरी बार में आवंटित की गई जमीन में ही अविकसित पार्क का हिस्सा है।

Deepankar Jain
Report Deepankar JainPublished By Ashiki
Published on: 18 Sept 2021 10:14 PM IST
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सुपरटेक एमराल्ड टॉवर की फाइल तस्वीर (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

नोएडा: सुपरटेक के दोनों टावरों अपैक्स और सियान निर्माण में अधिकांश जमीन अविकसित पार्क की थी। यह पार्क सिविल यानी सीसीडी को चहारदीवारी कर उद्यान विभाग को सौंपा जाना था। अविकसित पार्क की जमीन कितनी थी इसकी जानकारी ना तो उद्यान विभाग के पास है, ना ही नियोजन, भूलेख और भवन प्रकोष्ठ अथवा ग्रुप हाउसिंग का काम देखने वाले सेक्शन के पास है। आलम यह है कि अभी तक इस जमीन की पैमाइश तक नहीं करवाई गई। जबकि ड्रोन सर्वे में इस बात की पुष्टि होती है कि यहां निर्माण एक पार्क पर कराया गया है।

ग्रुप हाउसिंग भूखंड संख्या-04 सेक्टर 93 का आवंटन और मानचित्र स्वीकृत 2004 से 2012 के बीच हुआ। इसका कुल क्षेत्रफल 54815 वर्ग मीटर है। भूखंड पर 2005 , 2006 , 2009 व 2012 में समय-समय पर मानचित्र स्वीकृत किया गया। सुपरटेक के आवेदन पर 29 दिसंबर, 2006 को पहला रिवाइज प्लान प्राधिकरण ने पास किया। 26 नवंबर, 2009 को दूसरा रिवाइज प्लान पास किया गया। वही, 2 मार्च, 2012 को तीसरा रिवाइज प्लान प्राधिकरण ने पास किया। तीन बार प्लान को रिवाइज करने के बाद भी किसी भी विभाग की नजर अविकसित पार्क की जमीन पर नहीं गई। यही नहीं, भूखंड आवंटन के दौरान ना तो पार्क की जमीन की पैमाइश कराई गई और ना ही भू प्रयोग में बदलाव किया गया। इसका आंकड़ा तक प्राधिकरण के पास नहीं है कि आखिर पार्क की जमीन कितनी थी।

दरअसल, सुपरटेक के एमराल्ड प्रोजेक्ट के लिए दो बार में जमीन आवंटित की गई । पहली बार में 48,263 वर्ग मीटर जमीन आवंटित की गई। दूसरी बार में 6556.5 1 वर्ग मीटर जमीन आवंटित की गई। सूत्रों ने बताया की दूसरी बार में आवंटित की गई जमीन में ही अविकसित पार्क का हिस्सा है । यह कितना है या कितना हो सकता है इसका भी संज्ञान नहीं लिया गया। सवाल यह है कि यह सब प्राधिकरण द्वारा सुपरटेक को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया । सुपरटेक ने अपने 15 टावरों के खरीदारों को लुभाने के लिए दोनों टावरों के निर्माण से पहले के क्षेत्र को ग्रीन एरिया में दिखाया था । जिस पर आरडब्ल्यूए ने आपत्ति भी दर्ज कराई थी। सवाल यह है कि आखिर जमीन गई कहां जिस पर पार्क विकसित होना था। सीसीडी को चहारदीवारी कर उद्यान विभाग को सौंपना था।

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