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Noida Supertech Case: पर्यावरण और ढांचा सुरक्षा मानकों पर टिकी भी है या नहीं रिहायशी इमारत सवाल कायम

Noida Supertech Case: बिना जमा कराए ही सुपरटेक को प्राधिकरण ने अधिभोग प्रमाण पत्र (Occupancy Certificate) जारी किए।

Deepankar Jain
Report Deepankar JainPublished By Shraddha
Published on: 10 Oct 2021 3:29 PM GMT
नोएडा का सुपरटेक मामला
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नोएडा का सुपरटेक मामला (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया) 

Noida : सुपरटेक मामले (Noida Supertech Case SIT Investigation) में एक बड़ी अनियमितता एनवारमेंटल क्लीयरेंस (Environmental Clearance) और स्ट्रक्च्रल सेफ्टी सर्टिफिकेट (Structural Safety Certificate) भी है। इनको बिना जमा कराए ही सुपरटेक को प्राधिकरण ने अधिभोग प्रमाण पत्र (Occupancy Certificate) जारी किए। जिस समय यह अनियमितता बरती गई वह समय 2009 से 2012,के बीच का है। उस दौरान प्राधिकरण ने सबसे ज्यादा ग्रुप हाउसिंग भूखंडों का आवंटन किया। एसआईटी की जांच (SIT Investigation) में इसका प्रमाण है। इसको देखते हुए ही नियोजन विभाग के अधिकारियों को निलंबित किया गया। ऐसे में विजिलेंस की जांच में अन्य बिल्डरों को जारी किए गए सीसी में भी अनियमितता मिल सकती है। जिसके बाद कई और तत्कालीन अधिकारियों पर गाज गिर सकती है।

(Noida Supertech Case SIT Investigation) जांच में सामने आया था कि 20 जून 2005 और 29 दिसंबर 2006 को स्वीकृत किए गए प्रथम ले आउट और प्रथम रिवाइज ले आउट प्लान के बाद स्टेट लेवल इनवायरमेंटल इपेक्ट अस्समेंट अथारिटी ने 23 मई 2008 को योजना पर 1,22,684 वर्गमीटर बिल्टअप एरिया के लिए इनवायरमेंटल अस्समेंट नोटिफि केशन 2006 के प्राविधानों के अनुसार इनवायरमेंटल क्लीयरेंस जारी किया गया था। लेकिन 26 नवंबर 2009 और 2 मार्च 2012 को बढ़े हुए बिल्टअप एरिया के लिए दी गई । दोनों रिवाइज प्लान के बाद व निर्माण से पहले इनवारमेंटल क्लीयरेंस के बिना अधिभोग जारी किया गया। इसी तरह परचेबल एफएआर के बाद टावरों में अधिक तलों के निर्माण का कार्य के लिए अधिभोग प्रमाण पत्र के दौरान स्ट्रक्चरल सेफ्टी सर्टिफिकेट प्रस्तुत नहीं किया गया। इसके बाद भी प्राधिकरण ने निर्माण पर कोई एक्शन नहीं लिया।

इस मामले में प्राधिकरण ((Noida Supertech Case SIT Investigation) की नियोजन सेल के अधिकारी को निलंबित किया गया। एक बात यह भी है कि उस समय नोएडा में ग्रुप हाउसिंग के भूखंड धड़ल्ले से बेचे जा रहे थे। जिसमे निर्माण कार्य भी तेजी से किए जा रहे थे। यह कृत्य आर्थिक प्रलोभन के लिए ही किया गया होगा। यदि जांच का दायरा बढ़ता है तो कई और बड़े बिल्डरों के नाम और उनके कृत्य सामने आ सकते है। जिसमे स्ट्रक्च्रल सेफ्टी सर्टिफिकेट और इनवायरमेंट क्लीयरेंस नहीं लिया गया हो। विजिलेंस की जांच में इससे पर्दा उठ सकता है। कई और अधिकारियों के काले कारनामे सामने आ सकते है।

विजिलेंस जांच में फंस सकते है बड़े अधिकारी

प्राधिकरण ने 26 अधिकारियों समैत कुल 30 के खिलाफ विजिलेंस में एफआईआर दर्ज कराई है। एसआईटी (Noida Supertech Case SIT Investigation) की जांच में भी त्तकालीन सीईओ से लेकर विधि विभाग, विधि सलाहकार, वित्त नियंत्रक, मुख्य परियोजना अभियंता, नियोजन अधिकारी तक के नाम है। लेकिन इनके बीच की कड़ी अब भी जांच से दूर है। जिनके पास से भी फाइल होकर गई होगी। उसमे डीसीईओ, एसीईओ के अलावा ओएसडी रैंक के और अधिकारी भी शामिल हो सकते है। विजिलेंस की जांच में इन पर शिकंजा कसना तय माना जा रहा है।

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