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Noida Supertech News: कई बिल्डर और अधिकारियों की सांठगांठ होगी बेनकाब, जांच में छह फायर ऑफिसर पाए गए दोषी
Noida Supertech News: सुपरटेक एमराल्ड (Supertech Emerald) में ही नहीं बल्कि उन दौरान आवंटित किए गए विभिन्न श्रेणी की परिसंपत्तियों में भी ऐसा किया गया। जांच में छह अधिकारियों को दोषी पाया गया।
Noida News: 2007 से 2012 तक नोएडा प्राधिकरण (Noida Pradhikaran) द्वारा 250 से ज्यादा ग्रुप हाउसिंग सोसायटियों का आवंटन (group housing society avantan) किया गया। यह आवंटन कुल लागत का 10प्रतिशत लेकर किया गया। नक्शा पास और रिवाइज प्लान मंजूरी में नोएडा प्राधिकरण के नियोजन विभाग ने अनियमितता बरती। एसआईटी की जांच (SIT investigation) में इसकी पुष्टि हो चुकी है। इसके अलावा अग्निशमन अधिकारियों ने एनओसी जारी करने में नियमों को ताक पर रखा। यह खेल सुपरटेक एमराल्ड (supertech emerald kya hai) में ही नहीं बल्कि उन दौरान आवंटित किए गए विभिन्न श्रेणी की परिसंपत्तियों में भी ऐसा किया गया। जांच में छह अधिकारियों को दोषी (supertech emerald ki janch kya hai) पाया गया। इन पर कड़ी अनुशासनिक कार्यवाही करने के लिए शासन ने गृह विभाग को पत्र लिखा है।
जानें क्या है Supertech Emerald Project
यह खेल नहीं बल्कि एक चेन है। जिन्होंने मिलकर सरकारी नियमों को ताक पर रख कर सरकारी राजस्व को करोड़ो अरबों रुपयों का चुना (supertech emerald court case) लगाया। बिल्डर पहले भूखंड आवंटन कराता है। इसके बाद प्राधिकरण के नियोजन विभाग से उसे सभी तरह के कागज यानी नक्शा, रिवाइज प्लान, कंपलीशन सर्टिफिकेट मिल जाता है। फायर एनओसी (Noida Authority) लेने के लिए इन सभी दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। प्राधिकरण इन्ही दस्तावेजों के आधार पर फायर विभाग में आवेदन किया जाता है। यहा अलग खेल है। निर्माण कार्य के दौरान ही विभाग द्वारा सांठगांठ कर कई जगह पर फर्जी तरीके से ईक्यूमेंट लगाए जाते है। टीम के निरीक्षण व फोटो ग्राफ होने के बाद एनओसी जारी कर ईक्यूमेंट हटवा लिए जाते है। 2007 से 2012 तक ऐसी कई एनओसी जारी की गई होंगी। यदि बड़े स्तर पर जांच की जाए तो कई और और अधिकारी सामने आ सकते है।
सितंबर 2019 में पकड़ा गया था सबसे बड़ा सिंडीकेट
रुपये लेकर फायर एनओसी (अनापत्ति प्रमाणपत्र) जारी कराने में सितंबर 2019 में फायर सेफ्टी आफिसर (supertech emerald court case fire safety officer) के साथ वेंडरों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। बताया गया कि करीब 450 एनओसी फर्जी तरीके से जारी की गई। दरअसल, फायर एनओसी लेने की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है। फिर भी अग्निशामक यंत्र बेचने वाले वेंडरों ने इसमें सेंध लगा दी थाी। पुलिस जांच में सामने आया था कि वेंडर एनओसी दिलाने के लिए भवन मालिकों से ठेका लेते थे।। भवन मालिक के नाम पर ही विभाग की वेबसाइट पर एनओसी के लिए आवेदन किया जाता था। सभी जानकारी तो भवन मालिक की डाली जाती थी। लेकिन ईमेल और मोबाइल नंबर वेंडर अपना डाल देते थे। ऐसे में एनओसी को लेकर होने वाली सभी प्रक्रिया का अपडेट वेंडर की ईमेल और मोबाइल पर ही आता था। उसी अपडेट के आधार पर वेंडर आवेदकों से सौदेबाजी करते थे। ऑनलाइन आवेदन जब चीफ फायर सेफ्टी ऑफिसर तक पहुंचता तो वे जांच के लिए एफएसओ को भेज देते थे। एफएसओ भवन का निरीक्षण करने के बाद रिपोर्ट को वेबसाइट पर ही अपडेट करता था। एफएसओ की रिपोर्ट के बाद ही सीएफओ फैसला लेते थे कि एनओसी देनी है या नहीं
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