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Noida Supertech Twin Tower : क्यों गिराई जाएंगी 40 मंजिला इमारतें, निर्माण के लिए नोएडा प्राधिकरण की मंजूरी कानूनी थी या नहीं

Noida Supertech Twin Tower : क्या नोएडा प्राधिकरण द्रवारा निर्माण के लिए दी गयी मंजूरी कानूनी थी या नहीं? इस बात की जांच करनी होगी कि टावरों की ऊंचाई जो 73 मीटर से बढ़ाकर 120 मीटर की गई थी वह वैध है या नहीं।

Deepankar Jain
Report Deepankar JainPublished By Shivani
Published on: 31 Aug 2021 2:13 PM IST (Updated on: 31 Aug 2021 2:18 PM IST)
Noida Supertech Twin Tower : क्यों गिराई जाएंगी 40 मंजिला इमारतें, निर्माण के लिए नोएडा प्राधिकरण की मंजूरी कानूनी थी या नहीं
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Noida Supertech Twin Tower : एमराल्ड कोर्ट मामले में शीर्ष अदालत ने सुपरटेक के 40 मंजिला दोनों टावर को गिराने का आदेश किया है। अदालत ने प्राधिकरण के वकील से नोएडा प्राधिकरण की बिल्डर के साथ मिलीभगत होने की बात तक कहीं। 2014 में उच्च न्यायालय ने एमराल्ड कोर्ट के ट्विन टावर को गिराने का आदेश दिया था। जिस पर शीर्ष अदालत ने रोक लगा दी थी। इससे पहले हुई सुवाई करते हुए अदालत ने प्राधिकरण को फटकार लगाते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है। ऐसे में क्या नोएडा प्राधिकरण द्रवारा निर्माण के लिए दी गयी मंजूरी कानूनी थी या नहीं? इस बात की जांच करनी होगी कि टावरों की ऊंचाई जो 73 मीटर से बढ़ाकर 120 मीटर की गई थी वह वैध है या नहीं।

टावरों की ऊंचाई 73 मीटर से बढ़ाकर 120 मीटर करना वैध है या नही

सुपरटेक के दोनों टावरों में 950 से ज्यादा फ्लैट्स बनाए जाने थे। 32 फ्लोर का कंस्ट्रक्शन पूरा हो चुका था जब एमराल्ड कोर्ट हाउजिग सोसायटी के बाशिदों की याचिका पर टावर ढहाने का आदेश 2014 में आया। 633 लोगों ने फ्लैट बुक कराए थे। जिनमें से 248 रिफंड ले चुके हैं, 133 दूसरे प्रोजेक्ट्स में शिफ्ट हो गए, लेकिन 252 ने अब भी निवेश कर रखा है। अदालत ने नोएडा प्राधिकरण की हरकतों को 'सत्ता का आश्चर्यजनक व्यवहार' करार दिया।


यही नहीं जब फ्लैट खरीदने वालों ने आपसे दो टावरों, एपेक्स और सीयान के बिल्डिंग प्लान्स का खुलासा करने को कहा, तो आपने सुपरटेक से पूछा और कंपनी के आपत्ति जताने के बाद ऐसा करने से मना कर दिया। इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद ही आपने उसकी जानकारी दी। ऐसा नहीं है कि आप सुपरटेक जैसे हैं, आप उनके साथ मिले हुए हैं। सुपरटेक ने भी दलील दी थी एमराल्ड का निर्माण 2009 में शुरू किया गया। घर खरीददार उस समय कोर्ट जाने की बजाए 2012 के बाद ही गए।

वे तीन साल तक क्या कर रहे थे? मोलभाव? कंपनी ने नोएडा के अन्य हाउजिग प्रॉजेक्ट्स का हवाला दिया जिनके टावर्स के बीच 6 से 9 मीटर्स का फासला था जबकि उसके ट्विन टावर्स के बीच 9.88 मीटर की दूरी है।

हरित क्षेत्र में किया गया निर्माण

टावर नंबर-17 का निर्माण हरित क्षेत्र में हुआ। मूल योजना में बदलाव के लिए फ्लैट खरीदारों की सहमति जरूरी है। लेकिन इस मामले में बिना उनकी सहमति के ही 4० मंजिल का टावर खड़ा कर दिया गया। साथ ही दो टावरों के बीच की दूरी के नियम का भी पालन नहीं हुआ है। जबकि फ्लैट खरीदार से पूर्व अनुमति के मामले में बिल्डर ने कहा कि जब इस योजना को अंजाम दिया गया था उस वक्त वहां कोई पंजीकृत आरडब्ल्यूए नहीं थी, ऐसे में उसके लिए सभी खरीदारों से सहमति लेना संभव नहीं था।

ब्रोशर में दिखाया ग्रीन एरिया

गार्डन एरिया फ्लैट खरीदारों को न केवल ब्रोशर में बल्कि कंप्लीशन प्लान में भी दिखाया गया था। उस क्षेत्र में एक 4० मंजिला टावर बनाया गया था जिसे ब्रोशर में उद्यान क्षेत्र के साथ-साथ पूरा करने की योजना के रूप में दिखाया गया था। इसी एवज में घर खरीददारों ने भी पैसा लगाया।



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Shivani

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