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Pani Ka Sankat: भविष्य खतरे में, लगातार गिर रहा भूजल का स्तर, बड़े भूखंडों पर बनें रिचार्ज वेल

Pani Ka Sankat: नोएडा में गिरता भू-जल स्तर भविष्य में बड़ा संकट बन सकता है। इसकी वजह 300 वर्गमीटर से अधिक के भूखंड में रिचार्ज वेल का नहीं होना और नहीं बनाया जाना है।

Deepankar Jain
Report Deepankar JainPublished By Deepak Kumar
Published on: 25 Oct 2021 4:15 PM GMT
Pani Ka Sankat: भविष्य खतरे में, लगातार गिर रहा भूजल का स्तर, बड़े भूखंडों पर बनें रिचार्ज वेल
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Pani Ka Sankat: एक तरफ प्रधानमंत्री जल शक्ति योजना के तहत भू-जल दोहन रोकने व भू जल रिचार्ज को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे है। वहीं नोएडा में गिरता भू-जल स्तर भविष्य में बड़ा संकट बन सकता है। इसकी वजह 300 वर्गमीटर से अधिक के भूखंड में रिचार्ज वेल का नहीं होना और नहीं बनाया जाना है। ऐसे में बारिश का पानी भू-जल स्तर को बढ़ाने की बजाए वह वेस्ट होता दिख रहा है।

2021 तक शहर की आबादी 21 लाख हो जाएगी। इसके लिए सप्लाई पानी की क्षमता बढ़ाकर 590 एमएलडी की जाएगी। वर्तमान में 240 एमएलडी पानी की सप्लाई की जा रही है। यह सप्लाई 16 लाख की आबादी के अनुसार है। लेकिन डिमांड 332 एमएलडी पानी की है। पानी की मांग को पूरा करने के लिए नोएडा प्राधिकरण 44 प्रतिशत पानी भू-जल के जरिए निकालता है। वर्तमान में भूजल स्तर लगातार गिर रहा है।

भूजल रिचार्ज की तुलना में 106.90 प्रतिशत पानी का जमीन से दोहन हो रहा है। उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक जिले में सालाना 29233.06 हेक्टयर मीटर भूजल रिचार्ज होता है। उससे ज्यादा 31251.26 हेक्टयर मीटर भूजल का दोहन हो रहा है। यदि यही स्थिति रही तो आने वाले समय में नोएडा व आसपास के क्षेत्र में भूजल समाप्त हो जाएगा।

भू-जल विभाग की ओर से अगस्त -2019 में समिति आकलन के अनुसार नोएडा का भू-जल स्तर औसतन 1.79 मीटर प्रतिवर्ष की दर से घट रहा है। यहा के कई सेक्टरों में भू-जल समाप्त हो गया है। इसकी एक वजह बारिश का पानी का जमीन में संचयन न होकर वेस्ट हो जाना है। इसका खामियाजा यह होगा कि आने वाले समय में नोएडा में भू-जल नहीं होगा। यही नहीं ग्रेटरनोएडा पाई सिग्मा-3 में यह स्थिति और खराब है। यहा प्रतिवर्ष 3.9 मीटर की दर से भू-जल स्तर गिर रहा है। 2019 में बिसरख ब्लाक को अतिदोहन की श्रेणी में शामिल किया गया था। यहा ड्राइंग दर 149.8 प्रतिशत थी, जबकि दनकौर में 99.84 प्रतिशत की ड्राइंग दर के साथ क्रिटिकल श्रेणी रखा गया था। दादरी सेमी-क्रिटिकल श्रेणी में आता है। जेवर में 1०8.81 प्रतिशत की निकासी दर के साथ ओवरएक्लोएटेड यानी अतिदोहन की श्रेणी में हैं।

बारिश के पानी का सदुपयोग नहीं

प्रदेश में सालाना औसतन करीब 700 से 900 एमएम बारिश होती है। नोएडा में इस बार 1450 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई। यह सामान्य नहीं है। इसका अधिकांश हिस्सा दूषित हो गया और काफी बह गया। यदि इसका 65 प्रतिशत हिस्सा रिचार्ज कर भूजल को बढ़ाने में किया जाता तो आने वाले समय में भू-जल की समस्या कुछ कम जरूर होती।

प्राधिकरण वर्तमान में 135 एमएलडी बचा रहा भू-जल

गिरते भू-जल स्तर स्थिरता लाने के लिए प्राधिकरण लगातार कार्य कर रहा है। वर्तमान में प्रतिदिन 135 एमएलडी भू-जल दोहन रोका जा रहा है। इसकी जगह 135 एमएलडी शोधित पानी का प्रयोग किया जा रहा है। यह शोधन सेक्टर-50, सेक्टर-54, सेक्टर-123, सेक्टर-168 में बने एसटीपी से किया जा रहा है। एसटीपी तक सीवरेज पहुंचाने के लिए 36 सीवरेज पंपिंग स्टेशन सीवरेज को अपलिफ्ट के लिए बनाए गए है। इन एसटीपी से कुल 190 एमएलडी सीवरेज को शोधित किया जा रहा है। इसमे 135 एमएलडी पानी का प्रयोग किया जा रहा है। इसके अलावा सेक्टर-123 में 80 और सेक्टर-168 में 100 एमएलडी क्षमता के दो एसटीपी और तैयार किए जा रहे हैं। इसके बाद सेक्टर-123 एसटीपी की क्षमता 115 एमएलडी व सेक्टर-168 की क्षमता 150 एमएलडी हो जाएगी। यानी चारों एसटीपी प्लांट से कुल 411 एमएलडी पानी शोधित किया जा सकेगा।

Deepak Kumar

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