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Supertech Emerald Case: 2 दिन में एसआईटी शासन को सौंप सकती है जांच रिपोर्ट
Noida News: आधिकारिक सूत्रों की मानें तो एक-दो दिन में एसआईटी शासन को सुपरटेक एमराल्ड (Supertech Emerald) मामले की जांच रिपोर्ट सौंप सकती है
Noida News: सुपरटेक एमराल्ड (Supertech Emerald) मामले में नोएडा (Noida) प्राधिकरण ने ड्रोन सर्वे रिपोर्ट एसआईटी को भेज दी है। आधिकारिक सूत्रों की मानें तो एक-दो दिन में एसआईटी (SIT) शासन को जांच रिपोर्ट सौंप सकती है। नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि एसआईटी की ओर से सुपरटेक एमराल्ड के भूखंड की ड्रोन सर्वे रिपोर्ट मांगी गई थी। इस पर नोएडा प्राधिकरण ने एक एजेंसी से संपर्क कर यह सर्वे कराया। तीन-चार दिन तक सर्वे कर एजेंसी ने रिपोर्ट तैयार की। अब इस रिपोर्ट को नोएडा प्राधिकरण ने बुधवार को एसआईटी को भेज दिया है। रिपोर्ट थ्री डी व्यू में तैयार की गई है।
इसमें ट्विन टावर, आसपास के रिहायशी टावर, पार्किंग, हरित क्षेत्र आदि समेत सभी चीजों को लेकर रिपोर्ट तैयार की है। प्राधिकरण अधिकारियों का कहना है कि एसआईटी अभी तक कागजों में इस प्रकरण से जुड़ी जानकारियां हैं। अब इनसे संबंधित ड्रोन सर्वे रिपोर्ट पहुंचने पर मामले को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे।
वहीं दूसरी ओर एसआईटी की ओर से अब भी इस प्रकरण से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां मांगी जा रही हैं। आधिकारिक सूत्रों की मानें तो एसआईटी की जांच पूरा होने का काम अंतिम चरण में है। उम्मीद है कि एक-दो दिन में एसआईटी मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंप देगी। बता दें कि सुपरटेक एमराल्ड के दोनों टावर का ध्वस्तीकरण तीन महीने में प्राधिकरण को करना है। इसके लिए सोमवार को केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, रूड़की (सीबीआरआई) की टीम नोएडा प्राधिकरण पहुंची। प्राधिकरण अधिकारियों के साथ टीम ने सेक्टर-93ए ग्रुप हाउसिंग प्लॉट नंबर-4 का निरीक्षण किया।
बता दे प्राधिकरण ने सीबीआरआई को पत्र लिखकर ध्वस्तीकरण की कार्य योजना एक सप्ताह में प्रस्तुत करने के लिए कहा था। सुपरटेक के दोनों टावर सियान और एपेक्स की ऊंचाई करीब 121 मीटर है। 40-40 फ्लोर के दोनों टावरों में 37 फ्लोर का काम पूरा हो चुका है। दोनों टावरों को गिराना प्राधिकरण के लिए एक चुनौती है। सीबीआरआई के निदेशक एन गोपालकृष्णन के साथ प्राधिकरण वर्क सर्किल 8 के अधिकारियों ने दोनों टावरों का स्थलीय निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने अन्य टावरों से दोनों टावरों के बीच की दूरी, दोनों टावरों को ध्वस्त करने में क्या-क्या तकनीकी पक्ष हो सकते हैं इसकी नोटिग की। इसी आधार पर ध्वस्तीकरण की कार्ययोजना को तैयार किया जाएगा।