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UP By Election: उपचुनाव का एलान नहीं, पर सत्ता पक्ष और विपक्ष ने कसी अपनी कमर
UP By Election: एनडीए गठबन्धन भी इन चुनाव को लेकर बेहद गंभीर दिख रहा है।हाल ही में सम्पन्न हुई भाजपा की राज्य कार्यसमिति की बैठक में होने वाले उपुचनाव को लेकर चिंतन मंथन का दौर चला।
UP By Election: लोकसभा चुनाव में अपेक्षित सफलता न मिलने से निराश भाजपा अब यूपी में होने वाली 10 सीटों के उपचुनाव के लिए एनडीए और इंडिया गठबन्धन में अभी से तैयारियां तेज हो गयी है। हांलाकि अभी चुनावों की तिथियों की घोषणा चुनाव आयोग ने नहीं की है। पर लोकसभा चुनाव में अपनी सफलता से उत्साहित सपा और कांग्रेस इस चुनाव में अपने सफलता को बरकरार रखने की कोशिश में हैं। वही एनडीए गठबन्धन भी इन चुनाव को लेकर बेहद गंभीर दिख रहा है।
हाल ही में सम्पन्न हुई भाजपा की राज्य कार्यसमिति की बैठक में होने वाले उपुचनाव को लेकर चिंतन मंथन का दौर चला। इस बैठक में भले ही एक दूसरे पर आरोप लगाकर बैठक का समापन हुआ हो पर यह उपचुनाव भाजपा की प्रतिष्ठा को एक बार फिर से बनाने का बेहतरीन अवसर हैं। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष ने भी लखनऊ में दो दिवसीय समीक्षा बैठक कर उपचुनाव में विजय का संकल्प लेकर काम करने के लिए कहा है।
उल्लेखनीय है कि सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में दस विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। अभी इनमें से पांच सीटें एनडीए तो पांच इंडिया गठबन्धन के पास हैं। उत्तर प्रदेश की फूलपुर, खैर, गाजियाबाद, मझवां, मीरापुर, मिल्कीपुर, करहल, कटेहरी और कुंदरकी के विधायकों के सांसद बनने के बाद इन सभी सीटों पर चुनावव होना है। जबकि दसवीं सीट सीसामऊ सपा विधायक इरफान सोलंकी की आपराधिक मुकदमे में सदस्यता रद्द होने के कारण खाली हुई है। प्रदेश में जिन दस सीटों पर उप चुनाव होने हैं उनमें से 5 पर समाजवादी पार्टी का कब्जा था. तीन सीटें भाजपा के पास थीं। जबकि एक एक सीट भाजपा के सहयोगी दलों आरएलडी और निषाद पार्टी के पास थीं
वहीं मिल्कीपुर सीट में मिली हार से बौखलाई भाजपा रिक्त हुई अयोध्या विधानसभा सीट को जीतने की पूरी कोशिश करेगी। अयोध्या की भूमि पर भाजपा को परास्त करने वाले अवधेश प्रसाद की इस सीट पर भाजपा को अपना बल दिखाना पड़ेगा। वहीं, कानपुर की सीसामऊ सीट की बात करें तो तीन बार से सपा के इरफान सोलंकी यहां विधायक थे।मैनपुरी की करहल सीट से सपा मुखिया अखिलेश यादव विधायक थे। यह सीट सपा का अभेद्य दुर्ग मानी जाती है। मुरादाबाद की कुंदरकी सीट से जियाउर्रहमान बर्क विधायक थे। अब वह सांसद हैं, लेकिन यह मुस्लिम बहुल सीट सपा के कब्जे से छीनना आसान नहीं दिखता। प्रयागराज की फूलपुर, अलीगढ़ की खैर और गाजियाबाद सीट पर भाजपा के लिए लड़ाई थोड़ी आसान होगी। लेकिन मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट इतनी आसान नहीं।
भाजपा की तैयारी कुंदरकी सीट भी समाजवादी पार्टी से छीनने की है। संभल जिले की कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र में 62 प्रतिशत मुसलमान वोटर हैं. बीजेपी यहां सिर्फ एक बार 1993 में ही जीत पाई थी। पिछली बार यहां से समाजवादी पार्टी के जियाउर्रहमान बर्क विधायक चुने गए थे. वे अब संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद बन गए हैं। वे पार्टी के बड़े नेता रहे शफीकुर्रहमान बर्क के पोते हैं।उधर हाल ही में देश के दूसरे राज्यों में हुए विधानसभा उपचुनाव की 13 सीटों में े कांग्रेस ने 4, टीएमसी ने 4, भाजपा ने 2, डीएमके और निर्दलीय ने 1-1 सीटें जीती हैं। एनडीए लोकसभा चुनाव के खराब प्रदर्शन को भुलाकर पूरी ताकत से उपचुनाव लड़ने की तैयारी में जुट गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने डेढ़ दर्जन मंत्रियों को इन सीटों का प्रभारी बना दिया है।
भाजपा उपचुनाव में अच्छा प्रदर्शन कर लोकसभा चुनाव में मिली हार का बदला आइएनडीआइए से लेना चाहती है।इंडिया गठबन्धन में सपा व कांग्रेस भी उपचुनाव में अधिक से अधिक सीटें जीतकर अपने विजय क्रम को बरकरार रखना चाहती हैं। सपा ने प्रत्याशियों पर मंथन भी शुरू कर दिया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी के शीर्ष नेताओं को पूरी तैयारी के साथ उपचुनाव में उतरने को कहा हैं। पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) को इस उपचुनाव में भी सपा और मजबूत करेगी।