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पेट्रोल पंपों की जांच में हीलाहवाली, ज्यादातर पेट्रोल पंप बंद, जनता परेशान
घटतौली कर आम उपभोक्ताओं की जेब पर डाका डालने वाले पेट्रोल पंप संचालकों को लूट की खुली छूट मिली हुई है। एक महीने में प्रदेश भर के पेट्रोल पंप की चेकिंग का आदेश हवा में उड़ा दिया गया।
शारिब जाफरी
लखनऊ: घटतौली कर आम उपभोक्ताओं की जेब पर डाका डालने वाले पेट्रोल पंप संचालकों को लूट की खुली छूट मिली हुई है। एक महीने में प्रदेश भर के पेट्रोल पंप की चेकिंग का आदेश हवा में उड़ा दिया गया। हाईकोर्ट की सख्ती के बाद प्रदेश भर के 6,600 पेट्रोल पंप की चेकिंग के लिए प्रदेश भर में टास्क फोर्स का गठन किया गया था।
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प्रदेश में चिप के जरिए घटतौली के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर अब तक 4,500 पेट्रोल पंप चेक किए गए हैं। जांच के दौरान जिम्मेदारान एक-दूसरे पर दोषारोपण कर अपनी जिम्मेदारियों से भागते नजर आ रहे हैं। जिलों में बाट माप विभाग, आपूर्ति विभाग और तेल कंपनियां अब तक पंप से बरामद चिपों को जांच के लिए लैब तक नहीं भेज सकी हैं। इसी से पूरी जांच के अंजाम का अंदाजा लगाया जा सकता है।
लैब नहीं भेजी गई डिवाइस
पेट्रोल पंप पर चिप के जरिए घटतौली कर उपभोक्ताओं पर डाका डाला जाता रहा, लेकिन सरकारें कुम्भकर्णी नींद सोती रहीं। एसटीएफ की कार्रवाई के बाद यूपी सरकार इस पूरे गड़बड़झाले को डम्पिंग यार्ड में डालने पर तुली हुई है। 27 अप्रैल को यूपी एसटीएफ ने लखनऊ के पांच पेट्रोल पंपों पर एक साथ छापेमारी कर चिप के जरिए तेल चोरी का खुलासा किया था।
इसके बाद बड़े पैमाने पर प्रदेश भर में पेट्रोल पंप पर घटतौली की जांच शुरू की गई। एसटीएफ ने पंपों पर मिली चिपों को लैब में जांच के लिए भेजने का दावा किया था, लेकिन अब जांच में हीलाहवाली की जा रही है।
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जिला प्रशासन और तेल कंपनियां इसका ठीकरा एक-दूसरे पर फोड़ने की तैयारी में हैं। लखनऊ में ही 202 पेट्रोल पंपों पर चेकिंग के दौरान 51 में गड़बडिय़ां मिलीं। इन पंपों में लगी मशीनों को दो महीने से ज्यादा का वक्त बीत जाने के बाद भी जांच के लिए लैब नहीं भेजा गया।
इस कारण अब शासन की नीयत पर ही सवाल उठने लगे हैं। हालांकि, डीएम लखनऊ कौशलराज शर्मा कहते हैं कि तेल कंपनियों को एक सप्ताह में चिप की जांच कराकर रिपोर्ट देने को कहा गया है।
48 के खिलाफ परिवाद दायर करने की तैयारी
प्रदेश भर में पंपों पर छापेमारी के बाद अब पंप संचालकों के खिलाफ मुकदमा चलाए जाने के साथ पंप का लाइसेंस निरस्त किए जाने की तैयारी है। अब तक 56 पंपों पर गड़बड़ी मिली है। इनमें से आठ पंपों पर जुर्माना लगाया गया है जबकि 48 के खिलाफ कोर्ट में परिवाद दायर किए जाने की तैयारी है।
एसटीएफ की शुरुआती कार्रवाई के बाद 13 पंप मालिकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया, लेकिन गिरफ्तारी आज तक नहीं हो सकी। अब इन पंप संचालकों के खिलाफ एसीजीएम न्यायालय में परिवाद दायर कराने का फैसला किया गया है।
अब कोको नीति पर तेल कंपनियां
प्रदेश में 127 पंपों के लाइसेंस कैंसिल करने की कार्रवाई शुरू की गई है। लखनऊ में इंडियन ऑयल के तीन और भारत पेट्रोलियम ने 10 पंपों के लाइसेंस निरस्त होने हैं। भारत पेट्रोलियम से जुड़े एक अफसर ने नाम न छापे जाने की शर्त पर बताया कि तेल कंपनियां अब कोको नीति पर पंप खोलने पर विचार कर रही हैं।
इस नीति के तहत कमीशन बेस पर पेट्रोल पंप चलाया जाता है, जिसमें भूमि उपलब्ध करानी होती है जबकि मशीन, कर्मचारी सब कंपनी के होते हैं। राजधानी में इंडियन ऑयल का गोमतीनगर में कोको नीति के तहत एक पेट्रोल पंप है। यहां भी घटतौली पकड़ी गई थी।
ऊपर से नीचे तक थी मिलीभगत
महाराष्ट्र से गिरफ्तार इंजीनियरों से एसटीएफ की पूछताछ में जो खुलासे हुए हैं उससे ऊपर से लेकर नीचे तक मिलीभगत की पुष्टि होती है। डिप्टी एसपी एसटीएफ व नोडल अधिकारी पी.के.मिश्रा कहते हैं कि महाराष्ट्र से गिरफ्तार इंजीनियरों का काम मार्केट से चिप खरीदकर सॉफ्टवेयर के जरिए प्रोग्रामिंग सेट करना था।
वे कहते हैं कि चिप मार्केट में आराम से मिल जाती है, लेकिन प्रोग्रामिंग सबसे कठिन काम है। प्रोग्रामिंग के बाद मशीन में फाॅल्ट दिखाकर चिप फिट गई। जिसमें कंपनी की मिलीभगत की बात उजागर हुई है।
खास बात यह है कि इस दौरान बाट माप विभाग की मौजूदगी भी जरूरी रहती थी। इसलिए बाट माप विभाग की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता। मिश्र कहते हैं कि लखनऊ से गिरफ्तार अजय चौरसिया के पास बाट माप विभाग की सील भी बरामद हुई थी। ऐसे में जांच का दायरा बड़ा है।
30 प्रतिशत पंपों पर मिली गड़बड़ी
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच की फटकार के बाद प्रदेश भर के 6600 पेट्रोल पंप की चेकिंग के लिए सभी जिलों में टास्क फोर्स का गठन किया गया था। प्रदेश भर में बाट माप विभाग, आपूर्ति विभाग और तेल कंपनियों को मिलकर जांच करनी थी। लेकिन अब तक सिर्फ 4500 पंपों की ही जांच हो सकी है। इनमें से करीब ३0 फीसदी पंपों पर गड़बड़ी मिली है।
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ज्यादातर पेट्रोल पंप बंद, जनता परेशान
प्रदेश में भर पंपों पर हुई छापेमारी के बाद कई पेट्रोल पंप सीज किए गए हैं। इसका असर आम लोगों पर पड़ रहा है। लखनऊ में जगह-जगह पंपों पर लंबी कतारें दिख रही हैं।
पुराने लखनऊ से लेकर ट्रांसगोमती तक जो पेट्रोल पंप करवाई की जद में आने से बच गए हैं वहां खपत के मुकाबले आवक की कमी के चलते तेल जल्दी खत्म हो जा रहा है। इस कारण पंपों पर तेल खत्म हो जाने का नोटिस लगा नजर आ रहा है। हजरतगंज, ठाकुरगंज, अलीगंज, रिंग रोड, कैसरबाग, डालीगंज, कैंट जैसे इलाकों में यह नजारा ज्यादा दिख रहा है। हालांकि तेल कंपनियों के अफसर तेल की कमी की बात से इनकार कर रहे हैं।
महाराष्ट्र में भी पेट्रोल पंपों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई
उत्तर प्रदेश के बाद अब मुंबई समेत महाराष्ट्र के अन्य शहरों में भी तेल चोरी के खिलाफ मुहिम शुरू की गई है। ठाणे पुलिस अब तक 13 पेट्रोल पंपों पर चोरी पकड़ कर उसे सील कर चुकी है। इसमें नासिक, भिवंडी, रायगढ़, कल्याण और कसारा के पेट्रोल पंप शामिल हैं।
जांच में उत्तर प्रदेश की तरह ही पेट्रोल पंपों पर डिस्पेन्सर यूनिट के पल्सर में आईसी लगाकर छेड़छाड़ करने के अलावा कीपैड, कंट्रोल कार्ड और सॉफ्टवेयर में छेड़छाड़ कर तेल चोरी किए जाने की बात सामने आई है।
पुलिस की छानबीन से पता चला है कि सबसे ज्यादा पेट्रोल और डीजल की चोरी भिवंडी के कोनगांव स्थित पेट्रोल पंप से होती थी। यहां पर प्रति 5 लीटर पेट्रोल-डीजल पर 700 मिलीलीटर की चोरी की जाती थी।
ठाणे के वागले इस्टेट के पेट्रोल पंप से प्रति 5 लीटर में 200 मिली लीटर की चोरी होती थी। इन सभी पेट्रोल पंपों पर उत्तर प्रदेश एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार किए गए विवेक शेट्टी और उमेश नाईक के बनाए गए और बेचे गए तकनीकी का इस्तेमाल कर चोरी का कारोबार हो रहा था।
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महाराष्ट्र माप-तौल विभाग के कंट्रोलर अमिताभ गुप्ता ने बताया कि राज्य भर के पेट्रोल पंपों पर चिप के जरिये बड़े पैमाने पर तेल चोरी की खबरों के बाद जांच पड़ताल के लिए बड़ी तैयारी की गई है। इसके लिए दो अफसरों को दिल्ली भेजकर उन्हें ट्रेनिंग दी गई है और उनके जरिये विभाग के सभी 280 इंस्पेक्टरों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
इधर पेट्रोल डीलर एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि जांच पूरी होने के पहले ही उन्हें आरोपी बना दिया जा रहा है, इससे सभी दहशत में हैं। पंपों पर काम करने वाले मजदूर भी काम करने में डर रहे हैं। यही बहाना यूपी में भी पंप मालिकों ने बनाया था।
ठाणे पुलिस आयुक्त परमवीर सिंह के मुताबिक जिस तरह से मामले उजागर हो रहे हैं, उससे अंदेशा है कि राज्य के करीब दो हजार पेट्रोल पंपों पर चिप के जरिए चोरी हो रही है।