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नेपाल में अमान्य भारतीय नोट-भारत की कूटनीतिक विफलता या चीनी चाल

seema
Published on: 21 Dec 2018 12:59 PM IST
नेपाल में अमान्य भारतीय नोट-भारत की कूटनीतिक विफलता या चीनी चाल
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नेपाल में अमान्य भारतीय नोट-भारत की कूटनीतिक विफलता या चीनी चाल

गोरखपुर। पड़ोसी नेपाल से भारत का रोटी-बेटी का संबंध रहा है। दोनों देशों में बीच करीब 1800 किमी की खुली सीमा सांस्कृतिक, सामरिक संबंधों की गवाही भी देता है। लेकिन चीन के दखल और भारत सरकार की लचर विदेश नीति से दोनों देशों के नागरिकों के बीच खटास के कई कारक पैदा हो रहे हैं। पिछले दिनों नेपाल सरकार द्वारा 200, 500 और 2000 के नोटों को प्रतिबंधित किये जाने के बाद दोनों देशों के बीच संबंध को लेकर नये सिरे से व्याख्या होने लगी है। सवाल उठ रहा है कि क्या भारतीय बड़े नोटों के प्रतिबंध के पीछे चीनी चाल है, या फिर 1000 करोड़ से अधिक पुराने भारतीय नोट को खजाने में रखने वाले नेपाल की भारत को ब्लैकमेल करने की साजिश। हकीकत यह है कि भारतीय नोटों के प्रतिबंध से न सिर्फ भारतीय पर्यटकों को दिक्कत हो रही है, बल्कि मित्र राष्ट्र नेपाल को लेकर भारत सरकार की कूटनीतिक विफलता एक बार फिर उजागर हो गई।

नेपाल सरकार के प्रवक्ता और सूचना और संवाद मंत्री गोकुल प्रसाद बसकोटा बीते 14 दिसम्बर को मीडिया को जानकारी दी कि नेपाल में 200, 500 और 2000 रुपये के नए भारतीय नोटों को वैधता नहीं होगी। सिर्फ 100 रुपये का भारतीय नोट नेपाल में स्वीकार्य होगा। भारतीय नोट में लेनदेन के साथ ही प्रतिबंधित नोट को जेब में रखना भी कानूनन अपराध की श्रेणी में आएगा। नेपाल के कड़े कदम से भारत सरकार के साथ ही लाखों कारोबारी और सैलानी सन्न हैं। यह प्रतिबंध तब लागू हुआ है कि नेपाल सरकार द्वारा साल 2019 को 'विजिट नेपाल ईयर' के रूप में मनाने की तैयारियां चल रही हैं। नेपाल का पर्यटन विभाग को अनुमान है कि इसमें करीब 20 लाख लोग नेपाल पहुंचेंगे, जिनमें 70 फीसदी भागीदारी भारतीयों की होगी। इससे भी कोई इनकार नहीं कर सकता है कि नेपाल में आज भी 70 फीसदी कारोबार भारतीय मुद्रा में होता है।

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नेपाल के कारोबार पर भारतीयों का कब्जा है, जिनका सीधा संपर्क भारत से हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर नेपाल अपनी अर्थव्यवस्था के खिलाफ निर्णय क्यों ले रहा है। जानकार मान रहे हैं कि नेपाल में भारतीय मुद्रा के बैन के पीछे चीन की शैतानी चाल है। चीन नेपाल के कंधे पर बंदूक रखकर भारत सरकार पर निशाना साध रहा है। कोई ताज्जुब नहीं कि पाकिस्तान की तरह अब नेपाल में चीन की मुद्रा का प्रचलन वैध और औपचारिक बना दिया जाए। नेपाल की शैक्षणिक संस्थाओं में चीनी भाषा के दखल के साथ ही सिंचाई, बिजली और सड़क की परियोजनाओं में चीनी हस्तक्षेप साफ दिखता है। जानकार मान रहे हैं कि भारतीय मुद्रा के प्रतिबंधित होने से चीन को नेपाल में पांव पसारने में आसानी होगी। वह चीनी माल अब आसानी से नेपाल में डंप कर सकेगा। उधर, नेपाल में प्रतिबंधित भारतीय नोट में गिरतारी भी शुरू हो गई है। वहां की पर्सा जिला पुलिस ने वीरगंज में प्रतिबंधित भारतीय नोट के साथ एक युवक को गिरतार कर लिया। पकड़े गए बिहार के युवक के पास से पांच सौ के 640 नोट जब्त किए गए। नेपाल पुलिस ने उसे राजस्व अनुसंधान विभाग को सौंप दिया गया।

दोनों देशों ने निर्णय नहीं लिया तो संबंधों में आएगी खटास

बड़े नोटों पर प्रतिबंध के बाद नेपाल पर्यटन पर बुरा असर दिखने लगा है। लोग नेपाल बार्डर पर भारतीय नोट को नेपाली करेंसी में बदलने को भटकते दिख रहे हैं। प्रतिबंध से सीमावर्ती क्षेत्र के व्यवसायियों एवं देशी-विदेशी पर्यटकों में खलबली मच गई है। नेपाल में भारी संख्या में पर्यटक आते-जाते रहते हैं। गोरखपुर में भवानी ट्रैवल्स के अरविन्द त्रिपाठी का कहना है कि ड्राईवर भारतीय मुद्रा लेकर नेपाल जाते थे, रास्ते के खर्च के लिए उन्हें अब 8 से 10 हजार नेपाली मुद्रा देना आसान नहीं है। गुजरात से आये सैलानियों के ग्रुप के मुखिया सुरभि पटेल ने बताया कि नेपाल के अंदर सिर्फ 100 रुपये की मुद्रा स्वीकार की जा रही है। हमारे पास कुछ बड़े नोट थे, जिसे लेकर कई स्थानों पर पूछताछ हुई।

नेपाल-भारत सहयोग मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक वैद्य का कहना है कि नेपाल की आर्थिक धुरी पर्यटन ही है। सरकार के इस निर्णय से नेपाल की अर्थव्यवस्था पर काफी असर पड़ेगा। दोनों देशों की सरकार को पहल कर इस समस्या का समाधान करना चाहिए। चेम्बर ऑफ इण्डस्ट्रीज के सचिव प्रवीण मोदी नेपाल में आक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई करते हैं। वह कहते हैं कि नेपाली एजेंसियां भारतीय मुद्रा में ही भुगतान करते थे। खुली सीमा के चलते दोनों देशों की मुद्रा नागरिकों की जेब में होना आम बात रही है। अब काफी दिक्कत हो रही है।

नेपाल की बैंकों में जमा करोड़ों रुपये हैं प्रतिबंध की वजह

दो वर्ष पहले भारत सरकार द्वारा की गई नोटबंदी का असर नेपाल में भी साफ दिखा था। भारत में नौकरी करने वाले नेपालियों के पास रखे हुए भारतीय मुद्रा को लेकर भारत सरकार ने सहूलियत दी लेकिन वहां के कारोबारियों और आम नागरिकों के पास जमा भारतीय नोट को लेकर कोई दिशा निर्देश जारी किया। नेपाल राष्ट्र बैंक, आम कारोबारी से लेकर नेपाली नागरिकों के पास अभी भी 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा के अमान्य भारतीय नोट हैं। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने अपनी चुनावी सभाओं में अमान्य भारतीय नोट को लेकर तमाम वादे किये थे।

ओली ने नेपाली जनता को भरोसा दिया था कि उनकी सरकार बनी तो भारत से वार्ता कर नोटों की बदली की जाएगी। प्रधानमंत्री बनने के बाद नई दिल्ली में पीएम मोदी से ओली की मुलाकात में अमान्य नोट प्रमुख मुददा था, लेकिन भरोसे के बाद भी इन्हें नहीं बदला गया। इतना ही नहीं नेपाली पीएम के भरोसे के बाद भारत से तस्करी कर बड़ी मात्रा में अमान्य नोट इस उम्मीद में नेपाल पहुंचा दिये गए कि भारत सरकार की सहूलियत के बाद इन्हें भी बदला जा सकेगा।

भारत सरकार से नोट बदलने की कई बार गुहार कर चुका है नेपाल

भारत के अमान्य नोट को बदलने के लिए नेपाल भारत कई बार गुहार कर चुका है। प्रधानमंत्री बनने के बाद केपी ओली पीएम नरेन्द्र मोदी से दिल्ली मुलाकात करने पहुंचे थे, तब उन्होंने अमान्य नोटों को बदलने का आग्रह किया था। लेकिन पीएम की सहमति के बाद भी कोई निर्णय नहीं लिया जा सका। पिछले मई महीने में पीएम मोदी के जनकपुर दर्शन के दौरान भी नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने नेपाल के खजाने में मौजूद पुराने नोटों को बदलने का प्रस्ताव रखा था। प्रधानमंत्री की मौखिक सहममि के बाद भी कुछ नहीं हुआ। बीते सितंबर महीने में विदेशी मुद्रा विनिमय विभाग ने सितंबर में फिर भारत के आगे हाथ फैलाया कि वह पुराने नोट बदल दे। कुछ नहीं हुआ। दरअसल, नेपाल सरकार ने दस दिसंबर को ही 100 रुपये से अधिक के नोटों का प्रतिबंध लगाने का फैसला ले लिया था। उसे सार्वजनिक नहीं किया गया था। दिल्ली दरबार में नेपाल सरकार ने एक बार फिर गुहार लगाई, लेकिन सकारात्मक जवाब नहीं मिला तो नेपाल सरकार के प्रवक्ता ने 100 रुपये से अधिक के नोट पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय सुना दिया। नेपाल की दलील है कि नेपाल के साथ ही भूटान में भी भारतीय मुद्रा प्रचलन में है। वहां अमान्य हो चुके पुराने नोट को बदलने में भारत सरकार ने आनाकानी नहीं की। बहरहाल, नये आदेश के बाद नेपाल में अब कोई भारत की मुद्रा रख पाएगा न उस मुद्रा में कोई कारोबार कर पाएगा। यह जुर्म होगा।

भारत ने नहीं जारी किया है फेमा नेटिफिकेशन

नेपाल में भारतीय नोटों का प्रचलन बंद होने से दुकानदारों से लेकर आम आदमी में भारतीय मुद्रा में प्रति संशय की स्थिति उत्पन्न हो गई है। नेपाल के बैंक मांग करते रहे हैं कि भारत विदेशी आदान-प्रदान अधिनियम के मुताबिक फेमा नोटिफिकेशन जारी करे। ताकि मुद्रा विनिमय को लेकर संशय की स्थिति खत्म हो।



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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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