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कतर्नियाघाट में 15 घोंसलों के 975 अंडों से बाहर आए 1,050 घड़ियाल
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बहराइच: नन्हें घड़ियालों ने कतर्निया के गेरुआ नदी में टापुओं पर दस्तक दी। मादा घड़ियालों के द्वारा सहेजे गए 15 घोंसलों से 1,050 नन्हें मेहमान निकले। इन सबको वन विभाग ने सुरक्षित गेरुआ नदी में छोड़ दिया है। इस बार तापमान के उतार-चढ़ाव से वनाधिकारी चिंतित थे, लेकिन सही समय से दो दिन पहले घोंसलों से बच्चे निकले। जिससे वन विभाग के अधिकारी भी खुश हैं।
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कतर्निया घाट संरक्षित वन क्षेत्र से होकर बहने वाली नेपाल की गेरुआ नदी घड़ियालों के कुनबों को बढ़ाने में मददगार मानी जाती है। इस समय अनुमान के मुताबिक नदी में लगभग 300 घड़ियाल मौजूद हैं। हर साल फरवरी-मार्च महीने में घड़ियाल नदी के टापू वाले स्थानों पर अंडे देकर उन्हें बालू के घोसले में सहेज देते हैं।
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विशेषज्ञों की माने तो एक घोंसले में 60 से 65 अंडे होते हैं। बालुओं में ढकने के बाद मादा घड़ियाल अंडों को लेकर बेफिक्र हो जाती है। 15 जून का समय अंडों से बच्चों के निकलने का होता है। लेकिन इस बार तराई का मौसम अधिक गर्म होने के चलते दो दिन पहले ही ब्रीडिग शुरू हो गई। जिसके चलते वन विभाग के अधिकारी गदगद हैं।
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कतर्नियाघाट के प्रभागीय वनाधिकारी व वन संरक्षक आशीष तिवारी ने बताया कि जब भवनियापुर घाट पर निगरानी टीम भ्रमण कर रही थी तभी कुछ घोंसलों से उन्हे चहचहाहट की आवाज सुनाई पड़ी। इस पर टीम ने अवगत कराया। वन क्षेत्राधिकारी गयादीन नाविक रामरूप और ने मौके पर पहुंचकर घोसलों को एक एक कर खोला। डीएफओ ने बताया कि 15 घोसलों से 1050 नन्हे घड़ियाल निकले। जिन्हें वन विभाग की टीम ने गेरुआ नदी में छोड़ दिया है। डीएफओ ने बताया कि इस बार मादा घड़ियालों ने 38 स्थानों पर घोंसले बनाकर अंडे सहेजे हैं। प्रतिदिन सुबह-शाम इन सभी घोसलों की निगरानी हो रही है।
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