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योगी सरकार ने ढूंढा विकास का नया फॉर्मूला, 'अनुभव' से बदलेंगे यूपी की तस्वीर
लखनऊ: लगभग दो दशक पहले की बात है जब 1976 बैच के गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी ने शहरी विकास योजना में विश्व बैंक की नौकरी में देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी नाम कमाया। गुजरात कैडर के यह अधिकारी अब सेवा निवृत हो गए हैं, लेकिन यूपी सरकार अपनी शहरी विकास के लिए शहरी निकायों में योजनाओं में इनका सहयोग लेना चाहती है। इस अधिकारी का नाम है केशव शरण वर्मा।
शहरी निकाय की योजनाओं में केशव शरण वर्मा की सलाहकार की भूमिका हो इसके लिए राज्य के मुख्य सचिव राजीव कुमार ने पहल की है। राजीव कुमार सिर्फ केशव शरण ही नहीं, बल्कि उन सभी अधिकारियों की सेवा लेना चाहते हैं, जो अब सेवा निवृत हो चुके हैं और जिनका गृह राज्य उत्तर प्रदेश है। ऐसे अधिकारियों के साथ बातचीत की शुरुआत हो चुकी है कि वो कहीं भी बसे हों, यहां आएं और राज्य के विकास में अपना योगदान दें।
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राजीव कुमार ने newstrack.com से बातचीत में कहा कि राज्य के विकास में सभी के योगदान की आवश्यकता है ।इन लोगों का सालों का अनुभव विकास के योगदान में काम आएगा। उन्होंने कहा कि केशव शरण वर्मा से चार या पांच शहरी निकाय के विकास का रोड मैप तैयार करने को कहा गया है, जिसमें स्कूल,अस्पताल बिजली और सीवर की बेहतर व्यवस्था करने को कहा गया है ।
हम इन सभी को लेकर उनकी सलाह पर अमल करेंगे ताकि लोगों को बेहतर सुविधा मिल सके। केशव शरण वर्मा ने अहमदाबाद नगर निगम को प्रॉफिट में ला दिया था। इसको लेकर देश-विदेश में उनकी काफी सराहना की गई थी।अहमदाबाद एशिया का पहला नगर निगम था जिसे सीआरआईएसआईएल रेटिंग मिली थी।
यही नहीं केशव शरण वर्मा गुजरात में साबरमती परियोजना के संस्थापक सदस्य थे । परियोजना में साबरमती रिवर फ्रंट की योजना भी शामिल थी। केशव शरण को 2004 में नौकरी से अवकाश मिला। उन्होंने 16 साल तक विश्व बैंक को अपनी सेवा दी। अब वो अपने गृह राज्य उत्तर प्रदेश को अपनी सेवा देंगे।
पीएम नरेंद्र मोदी भी चाहते हैं कि ऐसे अधिकारी जो सेवा निवृत हो चुके हैं और जिन्होंने अपने कार्यकाल में बेहतर काम किया है उनकी सेवा ली जाए। पीएम ने पेयजल ओर सेनीटेशन में अवकाश प्राप्त अधिकारी परमेश्वरन अयर की सेवा ली है।