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खबर का असर: पॉलीथिन को इकट्ठा करने के लिए नगर निगम लगाएगा नए डस्टबिन

कान्हा उपवन के पशु अस्पताल में एक गाय के पेट से 35 किलो पॉलीथिन निकलने की खबर न्यूज ट्रैक से प्रसारित होने के बाद लखनऊ नगर निगम में बैठक की गई. अधिकारीयों ने आनन फानन में शहर से पॉलीथिन हटाने के लिए एक योजना बनाई और इसके लिए नए तरह की डस्टबिन लगाने का निर्णय लिया गया. फ़िलहाल यह डस्टबिन हजरतगंज और गोमती नगर के पत्रकार पुरम में लगाए जाएंगे। 

tiwarishalini
Published on: 3 Feb 2018 10:28 AM GMT
खबर का असर: पॉलीथिन को इकट्ठा करने के लिए नगर निगम लगाएगा नए डस्टबिन
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मनोज द्विवेदी

लखनऊ: कान्हा उपवन के पशु अस्पताल में एक गाय के पेट से 35 किलो पॉलीथिन निकलने की खबर न्यूज ट्रैक से प्रसारित होने के बाद लखनऊ नगर निगम में बैठक की गई. अधिकारीयों ने आनन फानन में शहर से पॉलीथिन हटाने के लिए एक योजना बनाई और इसके लिए नए तरह की डस्टबिन लगाने का निर्णय लिया गया. फ़िलहाल यह डस्टबिन हजरतगंज और गोमती नगर के पत्रकार पुरम में लगाए जाएंगे।

नगर निगम के अधिकारीयों ने बताया की मुंबई की एक कंपनी से करार किया जायेगा। जिसके तहत पॉलीथिन के अलग तरह का डस्टबिन और प्लास्टिक कचरा उठाने की व्यवस्था की जायेगी। अधिकारीयों ने बताया की लखनऊ शहर को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए यह कदम मील का पत्थर साबित होगा।

इससे आलावा शहर के नागरिकों को इस बात के लिए जागरूक किया जाएगा की वे खुले में पॉलीथिन न फेंके और जहां तक हो सके पॉलीथिन का उपयोग कम से कम किया जाए. इस योजना के तहत हजरतगंज और गोमती नगर के पत्रकारपुरम से इसकी शुरुआत होगी और धीरे धीरे पुरे शहर में ऐसे डस्टबिन रखे जाएंगे। नगर विकास मंत्रालय के पास यह कार्य योजना भेजी गयी है और स्वीकृति मिलते ही काम शुरू किया जाएगा।

पशुओं और इंसानों के लिए घातक है पॉलीथिन

आंकड़े दर्शाते हैं कि देश में 15,342 टन प्लास्टिक कचरा प्रतिदिन उत्पन्न होता है. यानी देश में प्रतिदिन लगभग 6,000 टन प्लास्टिक बिना पुनर्चक्रण के अभाव में सड़ता रहता है। वर्षभर में यह आंकड़ा 22 लाख टन से भी अधिक पहुंच जाता है। हर साल लाखों टन प्लास्टिक का कूड़ा निकलता है, जो सीवर, टॉयलेट, मेडिकल वेस्ट के तौर पर, डायपर या अन्य रूपों में पानी में बहा दिया जाता है।

जो की गाय या अन्य पशुओं के लिए घातक है, वहीं दूसरी ओर छोटी मछलियां भी इस प्लास्टिक कूड़े को खाना समझ कर खा लेती हैं। इन छोटी-बड़ी मछलियोंं को इंसान अपना भोजन बना लेते हैं। मछलियों के शरीर में पाया जाने वाला प्लास्टिक कई तरह से मछली खाने वालों के लिए जहरीला साबित हो सकता है।

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tiwarishalini

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