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नौकरशाह बनने की तमन्ना में नतीजों से पहले ही जोड़-जुगत बैठा रहे हैं अफसर
यह तो दलित अफसरों का हाल है। उन्हें मायावती आती हुई दिख रही हैं। जबकि अखिलेश यादव के इर्द-गिर्द के अफसर सरकार के रिपीट होने की उम्मीद छोड़ने को तैयार नहीं हैं। उन्हें लगता है कि कांग्रेस से गठबंधन और काम बोलता है के सहारे वह यूपी में दोबारा मुख्यमंत्री बनने का इतिहास रचेंगे।
योगेश मिश्र
लखनऊ: विधानसभा चुनाव के नतीजे भले ही अभी दूर की कौड़ी नज़र आ रहे हों पर नौकरशाहों की उम्मीद अभी से कुलांचें मारने लगी है। जातियों और खांचों में बंटी सूबे की नौकरशाही अपनी अपनी जाति और अपने अपने दल के नेता को मुख्यमंत्री के रुप में देखने लगी है। नौकरशाही के अहम ओहदे भी अपनी जाति और जमात वाली पार्टी के हिसाब से बांटे जाने लगे हैं।
बड़े नेताओं के करीबी नौकरशाहों के घर तो आमद-रफ्त भी बढ़ने लगी है। पर नौकरशाही के दावों को भी अगर सच माना जाय तो हाल फिलहाल किसी की स्पष्ट बहुमत सरकार बनती नहीं दिख रही है। इसीलिए कई चतुर सुजान नौकरशाह अपनी जाति और जमात के नेताओं के लिए दूसरे दलो में भी ताकने झांकने लगे हैं।
अपनी अपनी सरकार
दलित नौकरशाहों में फतेहबहादुर को अगले मुख्यसचिव को तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि उनके सेवानिवृत्त होने में बहुत कम समय बचा है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि मायावती की सरकार बनी तो वह सेवानिवृत्त होकर शशांक शेखर सिंह की राह पकड़ लेंगे। वर्तमान मुख्य सचिव राहुल भटनागर इन दिनों फतेहबहादुर के निकट आ गये हैं।
अनिल सागर, कुमार कमलेश, दिनेश चंद्र, एस.एम. बोबड़े, सुधीर गर्ग और डीएस मिश्रा सरीखे अफसरों के बारे में प्राइम पोस्टिंग को लेकर अभी से ही सियासी हलको में बातचीत शुरू हो गयी है। कुछ नौकरशाहों ने तो अब पद भी बांट लिए हैं। सचिवालय प्रशासन ने तो गाडियों का पास बनाना भी बंद कर दिया है। वह नई सरकार में पास बनाएगा। सचिवालय प्रशासन के प्रमुख सचिव के पद पर एनएस रवि तैनात हैं। सेवानिवृत हो चुके नेतराम को भी शंभूसिंह यादव और जगदेव यादव की तरह उम्मीद जगने लगी है।
यह तो दलित अफसरों का हाल है। उन्हें मायावती आती हुई दिख रही हैं। जबकि अखिलेश यादव के इर्द-गिर्द के अफसर सरकार के रिपीट होने की उम्मीद छोड़ने को तैयार नहीं हैं। उन्हें लगता है कि कांग्रेस से गठबंधन के नाते और काम बोलता है के सहारे वह यूपी में लगातर दोबारा मुख्यमंत्री बनने का इतिहास रचेंगे। उनके पसंदीदा अफसर पार्थ सारथी सेन शर्मा, पंधारी यादव, अमित गुप्ता, जीएस नवीन कुमार, कुमार अरविंद देव, अरुण सिंघल, अरविंद कुमार, राजीव कुमार द्वितीय, रमारमण, प्रांजल यादव, कामरान रिजवी, संजय अग्रवाल उन अफसरों में शामिल हैं जिनकी उम्मीद अभी खत्म नहीं हुई है।
दरबार में हाजिरी
अखिलेश यादव के निकट अफसरों में शुमार नवनीत सहगल, सदाकांत, आराधना शुक्ला औऱ आलोक रंजन के बारे में अखिलेश के नौकरशाह यह आशंका जता रहे हैं कि भाजपा की सरकार आई तो इनको वहां भी जगह मिल जाएगी।
एक बड़े ओहदे पर तैनात अफसर तो पूर्वांचल के एक सांसद, जिनका नाम मुख्यमंत्री के लिए आया उनसे मिल भी आए हैं। मुख्य सचिव राहुल भटनागर के बने रहने की उम्मीद कम रह गयी है। भाजपा की सरकार आई तो संजय अग्रवाल और दीपक सिंघल अगले मुख्यसचिव की दौड़ में शामिल हैं। इन्हें उम्मीद है कि भाजपा पिछड़े वर्ग का मुख्यमंत्री देगी तो ऐसे में मुख्य सचिव अगड़ा देना होगा।
संजय अग्रवाल के एक भाई अनिल अग्रवाल गुजरात काडर में आईपीएस अफसर हैं। नौकरशाही के मुताबिक भाजपा ने जिस तरह ब्राह्मण मतदाताओं के लिए कवायद की है तो उस लिहाज से अगर पिछड़े वर्ग का मुख्यमंत्री बनता है तो मुख्य सचिव ब्राह्मण होगा। ऐसे में सदाकांत और अनूप पांडेय पसंदीदा अफसरों में शुमार हो सकते हैं। सदाकांत कल्याण सिंह के प्रिय रहे हैं जबकि अनूप पांडेय कल्याण सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में सूचना निदेशक थे। बाद में उमा भारती के निजी सचिव भी रहे हैं।
ट्यूनिंग पर ध्यान
पुलिस महकमे में, अगर सपा की सरकार आती है तो वर्तमान डीजी को किसी तरह का खतरा नहीं माना रहा है। उन्हें अगर किसी वजह से हटना पड़ा तो दूसरा नाम प्रवीण कुमार सिंह का चर्चा में है। वहीं बसपा की सरकार आने पर भी जावीद अहमद की बसपा सुप्रीमो से अच्छी ट्यूनिंग की वजह से बने रहने की प्रबल संभावना है।
वहीं उनके अलावा सुलखान सिंह और पीके तिवारी भी अपने जोड़ जुगत में हैं ऐसी चर्चा है। वहीं यह तय माना जा रहा कि अगर बसपा की सरकार आई तो आईपीएस अफसर चंद्रप्रकाश को एडीजी ला एंड आर्डर जैसी प्राइम पोस्टिंग मिलेगी। अगर भाजपा की सरकार आती है तो डी जी की दौड में सबसे आगे जीपी शर्मा हैं। वहीं उनके बेहद करीब एके द्विवेदी और सुलखान सिंह भी देखे जा रहे हैं। बीजेपी सरकार में भावेश सिंह और सूर्य कुमार शुक्ल भी बहुत पीछे नहीं दिख रहे हैं ऐसी चर्चा है। इसके अलावा एडीजी रैंक पर काम कर रहे महेंद्र मोदी को भी भाजपा सरकार आने पर काफी अच्छी पोस्टिंग मिल सकती है।
तो बहुरेंगे दिन
जिस तरह अखिलेश यादव के कार्यकाल में जाति विशेष के आईएएस और आईपीएस अफसर प्रतिनियुक्ति पर आ गये थे, उसी तरह अगर भाजपा की सरकार बनी तो गुजरात काडर के जो अफसर यूपी से ताल्लुक रखते हैं, उन्हें अपने गृहराज्य में आने का मौका मिलेगा।