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Newstrack की तरफ से भावपूर्ण श्रद्धांजलि: बहुत याद आओगे किशन

Newstrack की तरफ से भावपूर्ण श्रद्धांजलि: किशन की कद काठी छोटी थी। शरीर में कहीं चर्बी नहीं थी। मुस्तैदी तो जैसे उनने मशीनों से सीखी थी। ऑफिस आने वाले हर आदमी को गुड पानी और चाय के लिये...

Yogesh Mishra
Written By Yogesh Mishra
Published on: 18 Jan 2023 3:35 PM GMT (Updated on: 22 Jan 2023 12:50 PM GMT)
Newstrack Tribute To Kishan
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Newstrack Tribute To Kishan

Newstrack की तरफ से भावपूर्ण श्रद्धांजलि: नहीं पता था कि किशन की यात्रा को यहीं विराम लेना था। नहीं पता था कि न्यूज़ ट्रैक उसका अंतिम मुक़ाम होगा। केजीएमयू के लारी कॉर्डियालॉजी में किशन अंतिम साँसें गिनेगा। किशन को वैसे तो बहुत दिनों से जानता हूँ। पर मेरा सीधा और निकट का उससे परिचय केवल तब से है, जब से वह न्यूज़ट्रैक में काम करने आया। नौकरी तो उसे ऑफिस ब्वॉय की मिली थीं। पर उसे देख कर, उसकी उम्र के लिहाज़ से उसे ब्वाय कैटेगरी में नहीं रखा जा सकता था।

लिहाज़ा उसे अनुसेवक या सेवा संपादक नाम दिया गया। हालांकि उसको पद नाम की ज़रूरत कभी नहीं पड़ी। ऑफिस का हर आदमी उसे उसके नाम किशन से ही बुलाता था। किशन उम्र में हमसे कम था। पर परिस्थितियों की मार ने उसे हमसे ज़्यादा बूढ़ा और बड़ा बना दिया था। किशन की उम्र का भी पता तब चला, जब सिविल अस्पताल में भर्ती के लिए उसका आधार कार्ड हाथ लगा। जब चारों तरफ़ देश व समाज में हर कोई जाति का मकड़जाल बुनता नज़र आ रहा हो। तब किशन जाति से ऊपर रहा। हमें तेरह महीने साथ काम करने के बाद भी नहीं पता चला कि किशन की जाति क्या है? कल जब किशन का हाल-चाल आलोक से ले रहा था। तब आलोक ने बताया कि वह कन्नोजिया था। किशन कन्नोजिया। आलोक ने किशन को सिविल अस्पताल में भर्ती से लेकर लारी कार्डियालॉजी में भर्ती कराने तक की कथा सुनाई।

किशन ने घनश्याम से पैसे लेकर ऑफिस में खिचड़ी मनाने का फ़ैसला कर डाला।चौदह तारीख़ यानी शनिवार किशन की खिचड़ी का दिन मुक़र्रर हुआ। शनिवार को सुबह उनने हमसे कह दिया कि खाना घर से नहीं आयेगा। सब लोग ऑफिस में खिचड़ी खायेंगे। किशन ने बहुत चुस्ती फुर्ती से खिचड़ी का आयोजन किया। छत पर सबने मिल कर किशन की खिचड़ी खाई। किशन ने खिचड़ी में हल्दी नहीं डाली थी। इसे लेकर हमने किशन का ख़ासा उपहास भी उड़ाया। क्योंकि किशन के बारे में जब हमें पहली बार बताया गया था तब यह कहा गया था कि किशन खाना बहुत अच्छा और स्वादिष्ट पकाता है। किशन के इस हुनर ने हल्दी न डालने की उसकी गलती पर हमें उससे मज़ा लेने का अवसर दे दिया। पर किशन का बड़ा सीधा सा उत्तर था-" सर! मैंने कभी खिचड़ी नहीं बनाया था। इसलिए हमें पता नहीं था।"

किशन का खिचड़ी भोज बहुत ठीक से संपन्न हो गया। किशन जब दोबारा मेरे लिए पानी ले कर ऊपर आया तो थका लग रहा था-" हमने पूछा, कहीं खिचड़ी बनाने के नाते तुम थक तो नहीं गये हो।" उसने मज़बूत प्रतिवाद किया। पर हमने आलोक को निर्देशित किया कि सोमवार को किशन को सिविल अस्पताल में दिखा दें। मेरे ऑफिस पहुँचने से पहले आशीष किशन को लेकर सिविल अस्पताल पहुँच गये।सिविल में डॉक्टरों ने भर्ती करने की सलाह दी। सिविल की इको मशीन कई दिनों से ख़राब चल रही है। सो, सिविल के डॉक्टरों की यह सलाह केवल ईसीजी के आधार पर थी। किशन भर्ती होने को तैयार नहीं था।

लिहाज़ा आलोक ने हमसे पूछा डॉक्टर किशन को भर्ती करने की बात कह रहे हैं। वह तैयार नहीं है। वह कह रहा है कल भर्ती होऊँगा। मैंने कहा नहीं। उसे भर्ती करायें। उससे कहें कि वह अपनी पत्नी को देखभाल के लिए बुला ले। उसने अपनी पत्नी को फ़ोन किया। वह भी चल दी। दिन में उसकी देखभाल सिविल में होती रही। रात को आशीष की ड्यूटी लग गई। अनंत सिविल के पास रहते हैं, उन्हें कह दिया गया कि रात को जब भी ज़रूरत हो तब हाज़िर होना पड़ेगा।

पर जब रात को आलोक हास्पिटल पहुँचे। तो डॉक्टर ने उसे सलाह दी कि आप का मरीज़ बहुत सीरियस है। उसे सिवियर हार्ट अटैक है। हालाँकि किशन को देख कर डॉक्टर के अलावा कोई नहीं कह सकता था। किशन को भी कोई दिक़्क़त नहीं थी। कोई शिकायत नहीं थी। पर डॉक्टर का कहना मानना था। लिहाज़ा हमने अपने मित्र डॉ सुधांशु जी को फ़ोन किया। वह वैसे तो विंटर वेकेशन पर थे। पर उन्होंने इंतज़ाम कर दिया। किशन को रात को डॉक्टरों ने देखा परखा । पर रात को ही डॉक्टर का जो मैसेज आया । उसने हमें बहुत निराश किया।

डॉक्टर के संदेश में था-

Sir

At moment, as I am told, he is very sick and serious. Lets hope for best.

Regards

आलोक, प्रवीन, आशीष किशन व उसके परिवार के साथ थे। किशन को देख कर इन्हें डॉक्टर का कहा सच नहीं लगता था। पर हमारे सामने सब कुछ भगवान पर छोड़ने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। किशन को रात को ही पेसमेकर लगा दिया गया था।

किशन से मेरे मुलाक़ात की कहानी में जो कुछ है, वह केवल यह तसल्ली देती है कि पिछले जन्म में हम दोनों का कोई रिश्ता रहा होगा। कोई हिसाब बाक़ी रहा होगा। किशन वह बराबर करने बीते साल दस अक्टूबर को न्यूज़ ट्रैक में नौकरी करने आया था। सीतापुर का रहने वाला किशन उर्दू की दुनिया में नामचीन जोगेंद्र पाल जी के यहाँ दिल्ली में तकरीबन पच्चीस बरस रहा होगा। उनकी बेटी सुकृता पाल बताती है कि किशन सात साल का था , तब घर आया था। शुरू में तो हमारी माता जी उसकी सेवा करती थीं। तो कई बार मैंने नाराज़गी भी जतायी थी कि तुम इसकी सेवा कर रही हो। तब उनकी माता जी कहती थीं कि इसे में पढ़ाऊँगी। हालाँकि बहुत मेहनत मशक़्क़त के बाद किशन का मन पढ़ने में नहीं लगा। किशन को इनके परिवार ने एक स्कूल में काम पर लगवा दिया था। पर किशन को वहाँ भी ठगा गया। उसकी नौकरी नहीं रही। पर बाक़ी कोई भी देय उसे नहीं मिला।

स्कूल की नौकरी जाने के बाद एक बार सुनील भइया ने हमें उसकी यूपी में कहीं नौकरी लगाने को कहा। ताकि उसे दस हज़ार रुपये खाने पहनने को मिल जाये। हमारे मित्र आईपी पांडेय एक पद पर तैनात थे। उन्हें एक चपरासी की दरकार थी। मेरे कहने पर उन्होंने झट पट किशन को रख लिया।

किशन बेहद ईमानदार था। अथक परिश्रमी , कभी ख़ाली बैठना उसे गंवारा नहीं था। उसके इन गुणों की तारीफ़ सुनील भइया, व आईपी पांडेय दोनों गाहे बगाहे करते थे। जब आईपी पांडेय का तबादला हुआ तो उनकी जगह आये दूसरे अफ़सर ने किशन को आज़माने की जगह उसकी छुट्टी कर दी। किशन को सुनील भइया ने मेरे हवाले किया था। लिहाज़ा किशन को हमने अपने ऑफिस में रख लिया। किशन से पहले ऑफिस में तीन सेवा संपादक थे। पर किशन अकेले ही सब काम कर लेते थे। लिहाज़ा तीन की जगह ही नहीं रह गयी। किशन का काम चाय पानी का था। पर वह खुद ही लॉन का काम भी कर लेते थे। पेड़ों की जो टहनियाँ लॉन में लटकती थी, उसे काट देते थे। बहुत दिनों तक हमारे पास ड्राइवर नहीं था, पर जब भी किशन को मेरी गाड़ी गंदी दिखती बिना पूछे सफ़ाई में जुट जाते। गमले रंग लेते थे। सुबह उठ कर भगवान की पूजा कर लेते थे। मेरे ऑफिस पहुँचने से पहले भगवान जी की पूजा का हो जाना हमें भी सुखद लगता था।

किशन की क़द काठी छोटी थी। शरीर में कहीं चर्बी नहीं थी। मुस्तैदी तो जैसे उनने मशीनों से सीखी थी। ऑफिस आने वाले हर आदमी को गुड पानी और चाय के लिये कभी कहना नहीं पड़ता था। खिलना पिलाना जैसे किशन का शग़ल था। ऑफिस में पानी कम गिरे और किसी जगह बिजली बे वजह न जले वह हमेशा यह करते दिखते थे। इस कोशिश में ऑफिस के कुछ साथियों से उनकी तू तू, मैं मैं भी हो जाती थी। पर उसे वहीं ख़त्म कर देते थे। हमसे कभी किसी की उनने शिकायत नहीं की।

तीन चार दिन पहले किशन ने कहा कि उसे पानी गर्म करने कि लिए एक राड चाहिए । हमने उससे कहा कि गीज़र लगा है। फिर तुम राड का क्या करोगे? किशन का जवाब था गीज़र में ज़्यादा पानी गर्म होता है। ज़्यादा बिजली खर्च होती है। हमें नहाने में कम पानी की ज़रूरत होती है। ऑफिस के हर आदमी से उनके अपने निजी और कलेक्टिव दोनों तरह के रिश्ते थे।18 जनवरी, 2023 को दोपहर तीन बजे जब आलोक का फ़ोन आया कि किशन …।..॥ किशन की जीवन यात्रा ने विराम ले लिया। किशन चिर प्रयाण कर गये। सहसा यक़ीन नहीं हुआ। क्योंकि किशन की शक्ति, जिजिविषा, ताक़त की हम लोग रोज चर्चा कर रहे थे।क्योंकि डॉक्टर के कहे और किशन के करें में बहुत अंतर था। किशन मेडिकल साइंस को अपने हाव भाव से निरंतर चुनौती दे रहे थे। डॉक्टरों को झुठला रहे थे। मैं लारी गया। देखा मेरे समीप से गुजरने पर कुर्सी पर बैठा जो किशन झट पट उठ जाता था।मुझे हर बार उसके कंधे पर हाथ रख कर कहना पड़ता था कि मेरे आने पर उठा मत करो। मीडिया के ऑफिस में ऐसे नहीं हुआ करता है। वह किशन चुपचाप बेड पर लेटा रहा। इसके बाद आलोक के कहे पर यक़ीन करने के लिए मुझे किसी प्रमाण की ज़रूरत नहीं थी। वैसे जब किशन लारी कार्डियालॉजी में भर्ती हुए तब मैं केवल इस नाते उन्हें देखने नहीं गया क्योंकि केजीएमयू में जब जब किसी बीमार को देखने गया। तब तब सूचना बहुत दुख देने वाली आई। पर किशन को देखने नहीं जाने के टोटके पर अमल करने के बाद भी वही हुआ। केजीएमयू में हमने बहुत प्रियजनों को खोया है। किसी को केजीएमयू न जाना पड़े।

यहाँ एक बात का उल्लेख करना बहुत जरुरी होगा। किशन को हार्ट अटैक जैसी परेशानी होगी ये हम में से किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था। छोटी मोटी परेशानी छोड़ दिया जाये तो उन्हें कभी कोई गंभीर बीमारी नहीं हुई। कुछ महीने पहले जब किशन ने अपने पैर में दर्द की शिकायत की थी तो संस्थान के ही एक सहयोगी राकेश मिश्रा के माध्यम से उनकी बॉडी का ओवरऑल चेक अप कराया गया। यकीन मानिये की वैसी रिपोर्ट्स 50 वर्ष की अवस्था में इस समय शायद ही किसी की होगी। ना शुगर, ना बीपी, ना कोलेस्ट्रॉल, कोई समस्या नहीं निकली। किशन के सभी टेस्ट पूरी तरह से नार्मल थे।

किशन की चाय पिलाने की आदत, खिचड़ी परोसने का तरीक़ा, दोपहर का भोजन मैं समय से कर लूँ इसलिए बार बार याद दिलाने की लत, टहलने के लिए स्पोटर्स शू लाकर रखने की आदत, मेरे दोस्तों का मेरे रिश्तों के हिसाब से ख़्याल रखना यह सब अब किशन के शक्ल में याद आयेगा।इस साल जब ज़ोर की ठंड शुरू हुई तो मैं घर पर जब कपड़े पहन रहा था तो सोचा किशन को कपड़े ले देने चाहिए । ऑफिस आया तो पता चला राजकुमार जी हमसे पहले ऑफिस आ गये थे। उन्होंने अपने पास से पैसे देकर किशन को जैकेट, टोपी, मफ़लर और मोज़ा लेने को भेज दिया था। किशन ने राजकुमार जी द्वारा ख़रीदवाये कपड़े पहन कर सबको दिखाया। ख़ाली समय में किशन अपनी बातें करता। जोगेंद्र पॉल जी, सुकृता जी और सुनील भइया के क़िस्से सुनाता। एक दिन किशन ने बताया कि उसने बेटी की शादी में बीस हज़ार रुपये क़र्ज़ पर लिये थे। जिसमें दो हज़ार रुपये ब्याज देना पड़ता है। सुनकर मैं आपे से बाहर हो गया।पर उसे बीस हज़ार रुपये देकर घर भेजा। जाओ। पैसे वापस कर दो। ताकि ब्याज न देना पडे। किशन ने बताया साहब जिससे पैसे लिए थे, उसकी बेटी की शादी है। वह पैसे माँगने के लिए दबाव बना रहा था। सोच रहा था कहाँ से दूँ। मैंने कहा, भगवान ने तेरी मदद की। अब क़र्ज़ मत लेना। किशन ने इन रूपयों को दो हज़ार रुपये महीने में कटवाने की बात कही। पर शायद नियति को कुछ और मंज़ूर था। मैं तो एक तरह से किशन पर आश्रित सा हो गया था। किशन ऑफिस की मेरी बैसाखी था। जिसे किसी ने छीन लिया। आज ऑफिस के हर साथी के पास किशन से जुड़े कोई क़िस्से ज़रूर है।

Anant kumar shukla

Anant kumar shukla

Content Writer

अनंत कुमार शुक्ल - मूल रूप से जौनपुर से हूं। लेकिन विगत 20 सालों से लखनऊ में रह रहा हूं। BBAU से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन (MJMC) की पढ़ाई। UNI (यूनिवार्ता) से शुरू हुआ सफर शुरू हुआ। राजनीति, शिक्षा, हेल्थ व समसामयिक घटनाओं से संबंधित ख़बरों में बेहद रुचि। लखनऊ में न्यूज़ एजेंसी, टीवी और पोर्टल में रिपोर्टिंग और डेस्क अनुभव है। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काम किया। रिपोर्टिंग और नई चीजों को जानना और उजागर करने का शौक।

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