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Sonbhadra News: हाइवे टोल प्लाजा पर एनजीटी सख्त, नोटिस जारी कर मांगा जवाब

Sonbhadra News: एसीपी टोलवेज प्राइवेट लिमिटेड, यूपी राजमार्ग प्राधिकरण, प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन सहित आठ को नोटिस जारी कर एक माह के भीतर जवाब मांगा गया है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 25 Dec 2022 6:09 PM IST
Sonbhadra News
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Sonbhadra News (Newstrack)

Sonbhadra News: जिला मुख्यालय क्षेत्र के लोढ़ी में वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग पर एसीपी टोलवेज प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से निर्मित टोल प्लाजा कार्यालय और आवास को वन विभाग की जमीन पर निर्मित किए जाने के मामले को लेकर एनजीटी ने सख्त रवैया अपनाया है। मामले में जहां पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, एसीपी टोलवेज प्राइवेट लिमिटेड, यूपी राजमार्ग प्राधिकरण, प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन सहित आठ को नोटिस जारी कर एक माह के भीतर जवाब मांगा गया है।

अपर मुख्य सचिव वन, प्रधान मुख्य वन संरक्षक उत्तर प्रदेश, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला मजिस्ट्रेट को पूर्व में जारी आदेश का एक माह के भीतर अनुपालन के निर्देश दिए गए हैं।

इस मसलों को लेकर दाखिल की गई है याचिका

ममले को लेकर राबटर्सगंज निवासी अधिवक्ता आशीष चैबे की तरफ से एनजीटी में याचिका दाखिल याचिका की गई है। उसमें अवगत कराया गया है कि वाराणसी-शक्तिनगर राजमार्ग के निर्माण में सोनभद्र, ओबरा और रेणुकूट वन प्रभाग क्षेत्र की 129.251 हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग और कैमूर वन्य जीव प्रभाग के 18632 पेड़ों की कटाई की गई।

इसको लेकर राज्य राजमार्ग प्राधिकरण के साथ वन विभाग की तरफ से शर्त तय की गई कि वन भूमि पर कोई भी श्रमिक शिविर स्थापित नहीं किया जाएगा। बावजूद एसीपी टोल-वे प्राइवेट लिमिटेड ने, एनओसी के पैरा आठ, 11 और 18 में लगाई गई शर्तों का उल्लंघन करते हुए लोढ़ी में वन भूमि पर आवासीय कॉलोनी और कार्यालयों का निर्माण कर लिया बया।

पूर्व में एनजीटी की तरफ से यह दिया गया था आदेश

मामले में पूर्व में हुई सुनवाई में एनजीटी की बेंच ने यह माना था कि आरक्षित वन की भूमि पर, पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्र में स्थायी प्रकृति के निर्माण प्रथमदृष्टया सवाल खड़े करते हैं।

इसको लेकर पर्यावरण से संबंधित राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम 2010 की संबंधित अनुसूची का हवाला देते हुए तथ्यात्मक स्थिति के सत्यापन के लिए एक संयुक्त उच्चस्तरीय टीम गठित की गई थी और मुख्य सचिव वन उत्तर प्रदेश, प्रधान मुख्य वन संरक्षक उत्तर प्रदेश, राज्य प्रदूषण निंयत्रण बोर्ड और जिला मजिस्ट्रेट को अपने प्रतिनिधियों के जरिए या फिर स्वयं संबंधित साइट का दौरा कर, आवेदक के कथन की सच्चाई जांचने, तथ्यात्मक स्थिति सत्यापित कर रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए गए थे। आदेश के क्रियान्वयन के लिए समन्वय और अनुपालन की जिम्मेदारी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सौंपी गई थी।

यूपीपीसीबी ने किया स्थगन का अनुरोध, एनजीटी ने कहा-दाखिल करें रिपेार्ट

न्यायमूर्ति अरूण कुमार त्यागी और न्यायिक सदस्य डा. अफरोज अहमद की बेंच ने बीते सप्ताह मामले की सुनवाई की। पाया कि अभी रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई है। यूपीपीसीबी की तरफ से इसके स्थगन का भी अनुरोध किया गया।

बेंच ने आरक्षति वन भूमि पर पारिस्थितिक संवेदनशीलता को देखते हुए, जहां संयुक्त समिति को एक माह के भीतर तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए। वहीं मामले में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय सहित आठ पक्षकारों को नोटिस जारी कर, एक माह के भीतर जवाब/प्रतिक्रिया दाखिल करने के लिए कहा गया।

सुनवाई की अगली तिथि छह फरवरी तय करते हुए, आदेश के अनुपालन के लिए प्रधान मुख्य संरक्षक वन यूपी, यूपीपीसीबी और जिला मजिस्ट्रेट को आदेश की प्रति भेजी गई है।



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Durgesh Sharma

Durgesh Sharma

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