UP अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग के 9 सदस्यों की घोषणा, बैजनाथ रावत बने अध्यक्ष

UP Politics: पूर्व विधायक बेचन राम और जीत सिंह खरवार को आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया है।

Ashish Kumar Pandey
Published on: 24 Aug 2024 2:29 AM GMT (Updated on: 24 Aug 2024 5:15 AM GMT)
Baijnath Rawat chairman
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Baijnath Rawat   (photo: social media )

UP Politics: भाजपा सरकार ने उपचुनाव से पहले निगम आयोग और बोर्ड में नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यूपी अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग के 9 सदस्यों की घोषणा की गई है। पूर्व विधायक बैजनाथ रावत को अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है। पूर्व विधायक बेचन राम और जीत सिंह खरवार को आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया है। बता दें कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा की दस सीटों पर जल्द ही उप चुनाव होने वाले हैं।

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने उपचुनाव से पहले अनसूचित जाति और जनजाति के आयोग का गठन कर दिया है। 2017 में बाराबंकी से विधायक रहे बैजनाथ रावत उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग के अध्यक्ष बनाए गए हैं। वहीं गोरखपुर से पूर्व विधायक बेचन राम और सोनभद्र से जीत सिंह खरवार को उपाध्यक्ष बनाया गया है। आयोग में एक अध्यक्ष दो उपाध्यक्ष के साथ 9 सदस्यों के नाम की घोषणा की गई है।

आयोग में जिन 9 सदस्यों को जिम्मेदारी दी गई है उनमें हरेंद्र जाटव, महिपाल वाल्मिकी, संजय सिंह, दिनेश भारत, शिव नारायण सोनकर, नीरज गौतम, रमेश कुमार तूफानी, नरेंद्र सिंह खजूरी और तीजाराम शामिल हैं.

कौन हैं बैजनाथ रावत

आयोग के अध्यक्ष बनाए गए बैजनाथ रावत का राजनीति से पुराना नाता है। उन्होंने विधायक से लेकर सांसद तक की जिम्मेदारी संभाली है। बैजनाथ रावत बाराबंकी के हैदरगढ़ के पास मौजूद एक गांव के रहने वाले हैं। रावत को साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने हैदरगढ़ सीट से टिकट दिया था, जिसके बाद रावत ने चुनाव में भारी मतों के साथ जीत हासिल की थी और सपा के दो बार के विधायक राम मगन को करीब 33 हजार वोटों से मात दी थी।

बीजेपी से हुए थे नाराज

बैजनाथ रावत तीन बार विधायक रह चुके हैं और एक बार साल 1998 में बाराबंकी से सांसद भी चुने गए थे। साथ ही उन्हें यूपी सरकार में राज्य मंत्री की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी। हालांकि, बैजनाथ रावत के सियासी सफर में मोड़ तक आया जब साल 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव में उनका टिकट काट लिया गया था, जिससे रावत पार्टी से काफी नाराज भी हो गए थे। उन्होंने आलाकमान से नाराजगी जताते हुए यहां तक कह दिया था कि क्या उनका नाता दलित समाज से है इसीलिए उनका टिकट काटा गया। बीजेपी ने बैजनाथ रावत की जगह हैदरगढ़ से दिनेश रावत को टिकट दिया था।

दलित परिवार से नाता

बैजनाथ रावत एक दलित परिवार से आते हैं, वो राजनीति में इतना लंबा समय गुजारने के बाद भी सादा जीवन जीते हैं, खुद खेती करते हैं, खुद जानवरों को चारा डालते हैं। हालांकि अब आयोग का अध्यक्ष बनाए जाने के साथ ही बैजनाथ रावत के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी आ गई है।

Monika

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Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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