सांसद ने गोद लिया था गांव, कहा- हां अधिकारियों ने कर ली 19 करोड़ की बंदरबांट

सांसद बाबुलाल ने कहा कि 5 तहसीलों के लिए 5 करोड़ रुपए मिलते हैं। अगर एक ही गाँव पर सब खर्च कर देंगे तो कैसे काम चलेगा। 19 करोड़ कहां खर्च हो गए? इस सवाल पर वह कहते हैं कि सारे पैसे का अधिकारियो ने बन्दरबांट कर लिया है और काम नहीं कराया।

zafar
Published on: 15 May 2017 1:11 PM GMT
सांसद ने गोद लिया था गांव, कहा- हां अधिकारियों ने कर ली 19 करोड़ की बंदरबांट
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सांसद ने गोद लिया था गांव, कहा- हां अधिकारियों ने कर ली 19 करोड़ की बंदरबांट

आगरा: पीएम मोदी की पहल पर पिछड़े गांवों के विकास के लिए सांसद आदर्श ग्राम योजना लागू हुई थी। फतेहपुर सीकरी के सांसद बाबूलाल ने भी पुसेंता गाँव को गोद लिया। गाँव को आदर्श बनाने के लिए 19 करोड़ का खर्चा दिखाया गया है। लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि गाँव में तो कोई काम ही नहीं हुआ। NEWSTRACK.COM ने पुसेंता गाँव में तहकीकात की।

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सांसद ने गोद लिया था गांव, कहा- हां अधिकारियों ने कर ली 19 करोड़ की बंदरबांट

टूट गई आस

सैंया ब्लॉक में इरादतनगर कस्बे से करीब छह किलोमीटर की दूरी पर कच्चे पक्के रास्तों और संकरी टूटी गलियों से होकर आता है पुसेंता गांव। इस गांव को भाजपा के फतेहपुर सीकरी सांसद बाबूलाल ने तीन साल पहले गोद लिया था। ब्राह्मण बाहुल्य इस गांव में शुरुआत से बुनियादी सुविधाओं का टोटा रहा है। घोषणा के बाद लोगों के मन जरूर विकास की उम्मीद जगी थी, जो देखते ही देखते खत्म हो गई।

शुरुआत में, बुनियादी जरूरतों के लिए तरस रहे लोगों की आंखों में तैर रहे विकास के सपने जवां होने लगे थे। खूब मिठाइयां बांटी गईं। लोगों ने गले लगाकर एक-दूसरे को बधाई दी। डीएम, सीडीओ और सांसद ने एक के बाद एक कई बैठकें कर गांव का दौरा भी किया।

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अंधेरे में गांव

एक के बाद एक कई बैठकें होने के बाद बने प्लान फाइलों में कैद होकर रह गए। इन्हें अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका। तहसील और जिला मुख्यालय के कई चक्कर लगाने के बाद स्थानीय लोगों की रही सही आस भी जाती रही। उनकी मानें तो सबकुछ दिखावा मात्र है, पब्लिक का दुख-दर्द कोई नहीं सुनता।

हालांकि, सरकारी आंकड़ों में लगभग 19 करोड़ रूपए इस गाँव के विकास में खर्च किये जा चुके है। लेकिन गांव के लोग आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं।

बिजली शाम सात बजे आती है लेकिन रात में कभी भी कट जाती है। फिर सुबह चंद घंटे के लिए आती है। ट्रांसफार्मर काफी दिनों से खराब पड़े हैं।

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बिन पानी सब सून

बिना बिजली के सिंचाई बड़ी समस्या है। गाँव में पेयजल की बड़ी मुसीबत है। सारे हैंडपम्प बंद पडे हैं। टीटीएसपी पानी की टंकियों पर ताले लटके हैं। हैंडपंपों को रीबोर किया जाना है। लोगों को दूर दराज के इलाकों से पानी भरकर लाना पडता है जिससे बहुओं और लड़कियों को परेशानी झेलनी पडती हैं।

गर्मियों में तो फिर भी कच्चे रास्तों पर चला जा सकता है लेकिन बारिश के मौसम में गांव के लोगों को घर से निकलने में काफी दिक्कतें होती हैं। गांव मे खड़ंजे, नाली की कीचड़ और गंदे पानी से भरे हुए है। गांव के पानी की निकासी का रास्ता नहीं है। पूरे साल जलभराव रहता है। 4 से 5 फुट तक सिल्ट और कीचड जमा हो गया है। अक्सर इसमें दुर्घटनाएं होती रहती हैं।

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पैसों की बंदरबांट

इस बारे में जब सांसद बाबूलाल से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि 5 तहसीलों के लिए 5 करोड़ रुपए मिलते हैं। अगर एक ही गाँव पर सब खर्च कर देंगे तो कैसे काम चलेगा। 19 करोड़ कहां खर्च हो गए? इस सवाल पर वह कहते हैं कि सारे पैसे का अधिकारियो ने बंदरबांट कर लिया है और काम नहीं कराया।

अब जिलाधिकारी मामले की जांच करने की बात कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह खुद जांच करेंगे और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होगी।

सांसद अधिकारियों के सिर ठीकरा फोड़ रहे हैं, तो अधिकारी भी दबी जबान कह रहे हैं कि सांसद न क्षेत्र में जाते हैं, न उन्होंने सांसद निधि का एक भी पैसा खर्च किया। जो भी हो, गांव वाले तो खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। अब देखना है कि जिलाधिकारी 19 करोड़ के आरोपियों को क्या सजा दिला पाते हैं।

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