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UP Elections 2022: संजय निषाद ने BJP की बढ़ाई टेंशन, मांगा उपमुख्यमंत्री का पद
निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने बीजेपी से उपमुख्यमंत्री पद की डिमांड की है। उन्होंने कहा कि बीजेपी ऐसा करती है तो उसे 2022 में फायदा होगा।
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा, इसको लेकर सभी के मन में संशय है। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ये कह चुके हैं कि 2022 में अगर बीजेपी दुबारा सत्ता में वापसी करती है तो सीएम पर फैसला केंद्रीय नेतृत्व करेगा। वहीं एनडीए के सहयोगी और निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद भी अब खुलकर बैटिंग करने लगे हैं। संजय निषाद ने बीजेपी से खुद को उपमुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि 160 विधानसभा सीट निषाद बाहुल्य है और निषाद पार्टी 100 सीट जीतने का संकल्प के सात काम कर रही है।
संजय निषाद ने क्या कहा?
विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी बीजेपी अपने सहयोगी दलों के नेताओं के साथ विचार विमर्श कर चुनाव में उतरने की तैयारी कर रही है। लेकिन उससे पहले उनके सहयोगी निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद ने बीजेपी के सामने उप मुख्यमंत्री पद की मांग रख दी है। संजय निषाद ने कहा उत्तर प्रदेश में सभी जातियों के मुख्यमंत्री बन चुके हैं, निषाद समाज का अबतक कोई मुख्यमंत्री नहीं बना है। इसलिए अगर बीजेपी 2022 में मुझे उपमुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर चुनाव लड़ती है तो इसका फायदा उसे मिलेगा और हमारी सरकार बनेगी। उन्होंने 2022 के चुनाव में बीजेपी-निषाद गठबंधन के तहत अपनी हिस्सेदारी के तहत निषाद पार्टी ने बीजेपी से 160 सीटें देने को कहा है।
18 प्रतिशत मछुवारा समाज की आबादी
संजय निषाद ने कहा कि बीजेपी ने कैबिनेट पद और राज्यसभा सीट का वादा किया था। अगर वे हमें चोट पहुंचाएंगे तो वे भी खुश नहीं रहेंगे। हम अपने आरक्षण के मुद्दे के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने कहा 18 फीसद वोट की ताकत रखने वाले मछुआरा समाज के चेहरे पर बीजेपी को चुनाव लड़ना चाहिए। यदि मुख्यमंत्री नहीं बना सकते तो कम से कम डॉ. संजय निषाद को आगामी चुनाव में उप मुख्यमंत्री का चेहरा बना कर चुनाव लड़े, अगर भाजपा ऐसा करती है तो इससे पूरे प्रदेश में निश्चित ही विजय मिलेगी।
संजय निषाद को जानिए?
बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले डॉक्टर संजय निषाद गोरखपुर के रहने वाले हैं। राजनीति में आने से पहले वह गोरखपुर के गीता वाटिका रोड पर इलेक्ट्रो होम्योपैथी क्लीनिक चलाते थे। शुरुआत में इलेक्ट्रो होम्योपैथी को मान्यता दिलाने के लिए काम किया। 2002 में उन्होंने पूर्वांचल मेडिकल इलेक्ट्रो होम्योपैथी असोसिएशन बनाया। वह अपनी मांग लेकर सुप्रीम कोर्ट तक भी गए।
2013 में निषाद पार्टी बनाई
संजय निषाद देश की राजनीति में उस वक्त चर्चा में आए जब उन्होंने 2013 में निषाद पार्टी बनाई। उसके बाद उन्होंने योगी आदित्यनाथ की सीट पर बीजेपी को हराने के लिए काम किया। उससे पहले वह उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में गीता वाटिका रोड पर इलेक्ट्रो होम्योपैथी क्लीनिक चलाते थे। संजय सबसे पहले बामसेफ से जुड़े और कैम्पियरगंज विधानसभा से पहली बार चुनाव लड़े और हार गए। यहां से उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई। 2008 में उन्होंने ऑल इंडिया बैकवर्ड ऐंड माइनॉरिटी वेलफेयर मिशन और शक्ति मुक्ति महासंग्राम नामक दो संगठन बनाए। उन्होंने राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद बनाई। मछुआ समुदाय की 553 जातियों को एक मंच पर लाने की मुहिम शुरू की।
2017 में पीस पार्टी के साथ किया गठबंधन
अखिलेश सरकार में संजय निषाद सहित तीन दर्जन लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ। इस घटना के बाद से संजय निषाद काफी पॉप्युलर हो गए। उन्होंने अपनी निषाद पार्टी बनाई और जुलाई 2016 को गोरखपुर में शक्ति प्रदर्शन किया। 2017 के विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी ने पीस पार्टी के साथ गठबंधन किया और 72 सीटों पर चुनाव लड़ी लेकिन पार्टी को सिर्फ एक सीट भदोही की ज्ञानपुर में बाहुबली विजय मिश्रा ही जीत सके।
बेटा प्रवीण निषाद हैं सांसद
संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद खाली हुई गोरखपुर लोकसभा सीट से सांसद बने। उपचुनाव में समाजवादी पार्टी और निषाद पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा था और गोरखपुर की सीट पर बीजेपी की लगातार जीत का तिलस्म तोड़ दिया था। जिसके बाद बीजेपी खेले में खलबली मची और वह संजय निषाद को तोड़कर अपने पाले में ले आई। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी संतकबीरनगर सीट निषाद पार्टी को दे दिया और प्रवीण निषाद ने जीत दर्ज की।
पूर्वांचल में निषाद पार्टी की क्या है ताकत?
गंगा के किनारे वाले पूर्वी उत्तर प्रदेश के इलाके में निषाद समुदाय की अच्छी-खासी आबादी है। वर्ष 2016 में गठित निषाद पार्टी का खासकर निषाद, केवट, मल्लाह, बेलदार और बिंद बिरादरियों में अच्छा असर माना जाता है। गोरखपुर, देवरिया, महराजगंज, जौनपुर, संत कबीरनगर, भदोही और वाराणसी समेत 16 जिलों में निषाद समुदाय के वोट जीत-हार में बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं।