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'निशस्त्र' है पांच देशोंं की मार्शल आर्ट का मिक्स्चर, पछताना है तो छेड़ लो
लखनऊ: दामिनी की याद में रेड ब्रिगेड ने महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान एवं आत्मविश्वास के लिए लखनऊ में 16 से 29 दिसंबर तक पद यात्रा का आगाज कर दिया है। डीजी महिला सम्मान प्रकोष्ठ सुतापा सान्याल ने हरी झंडी दिखा कर रेड ब्रिगेड की इस पद यात्रा को रवाना किया। इस कार्यक्रम के दौरान रेड ब्रिगेड की फौज महिलाओं को सेल्फ डिफेन्स प्रशिक्षण देने के लिए 14 दिन में 200 किलोमीटर पैदल सफर तय करेंगी। रेड ब्रिगेड के इस अभियान का मकसद 5000 छात्राओं और महिलाओं को सेल्फ डिफेन्स के गुर सिखाना है ताकि मुश्किल वक्त में वो खुद अपनी मदद कर सके।
राजघराने की महिलाओं ने भी सीखे थे आत्मरक्षा के गुर
रेड ब्रिगेड की फाउंडर ऊषा विश्वकर्मा की माने तो अब वक्त आ गया है जब महिलाओं को पढ़ाई लिखाई के साथ साथ वो विधा भी सीखनी होगी जो उनकी सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा की पहले जमाने में भले ही महिलाएं राजपाट नहीं संभालती थीं लेकिन जब बात देश और महिलाओं की इज्जत की आई तो उन्होंने रणभूमि में उतरकर दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए। समाज हमेशा ही महिलाओं को भारी भरकम कपड़ों में ही उलझा कर रख देता है जिससे हम कई बार चाहते हुए भी अपने साथ होने वाली घटनाओं का जवाब नहीं दे पाते।
निशस्त्र दिखाएगा मनचलों को दिन में तारे :ऊषा विश्वकर्मा
वैसे तो कई महिलाएं हैं जिन्होंने मार्शल आर्ट सीखी है लेकिन यह गौर करने वाली बात है की कुंगफू या किसी भी मार्शल आर्ट के फर्म से पहले अपने विरोधी को थोड़ा स्पेस दिया जाता है लेकिन महिलाओं के साथ होने वाली घटनाएं अचानक होती हैं जिससे महिलाओं को सम्भलने का मौका तक नहीं मिल पता और आत्मरक्षा के लिए सीखा हुआ हुनर भी हमे बचा नहीं पाता। इस बात को मद्देनजर रखते हुए रेड ब्रिगेड ने पांच देशों (अमेरिका, इंग्लैड, ऑस्ट्रेलिया, भारत और इज़राइल)की विधाओं को मिलाकर निशस्त्र यानी मार्शल आर्ट के 20 25 ऐसे स्टेप बनाए हैं जो महिलाओं पर अचानक हुए हमले का जवाब देकर मनचलों को दिन में तारे दिखा देंगे।
वक़्त आ गया है जब महिलाओं को आत्मरक्षा आनी चाहिए:सुतापा सान्याल
रेड ब्रिगेड की इस मुहीम को हरी झंडी दिखाकर रवाना करने वाली डीजी महिला सम्मान प्रकोष्ठ सुतापा सान्याल ने कहा कि अब बिलकुल ज़रूरत है जब महिलाओं को आत्मरक्षा करनी आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सेल्फ डिफेन्स आने से महिलाओं में विश्वास बढ़ता है, उनकी बॉडी लैंग्वेज में चेंज आता है। उन्होंने कहा कि रेड ब्रिगेड की तरह महिला सम्मान प्रकोष्ठ भी अक्षया नाम का एक अभियान चलाकर महिलाओं को प्रशिक्षित कर रही हैं जिसके तहत लखनऊ और आस पास के ज़िलों में 12 हज़ार स्कूली छात्राओं को ट्रेनर्स से सेल्फ डिफेन्स के गुर सीखा कर उमने आत्मविश्वास जगाया है।
आजादी की लड़ाई में शामिल होने वाली 14 वीरांगनाओं के नाम होगी पदयात्रा
हर रोज पदयात्रा का नाम 1857 की क्रांति में आजादी की लड़ाई में अगुवाई करने वाली महिलाओं में से 14 वीरांगनाओं के नाम से पद यात्रा होगी। जिनमे बेग़म हज़रत महल, उदा देवी, रानी लक्ष्मीबाई, झलकारी बाई, रहीमी, महावीरी देवी, रानी अमोढ़ा, हाजी बेग़म, अवंतिबाई लोधी, आशादेवी, शीला देवी, तपस्विनी देवी, अजीज़न बाई और ताईबाई की शौर्य गाथा का ज़िक्र होगा।
हर रोज अलग अलग महिला समूह की अगुवाई में होगी पदयात्रा
पद यात्रा में हर रोज उन महिलाओं के अलग-अलग समूह के अगुवाई में होगा जिन्होंने विपरीत स्थिति में भी ताकत के साथ लगातार आगे बढ़ते हुए हिम्मत दिखाई और दूसरी महिलाओं के लिए मिसाल पेश की। रेड ब्रिगेड की यह मुहिम महिलाओं की ताकत के अलग-अलग रंग को मिलाकर महिला सशक्तिकरण की एक पूरी तस्वीर बनाने की कोशिश होगी। जिसमे वकील, डॉक्टर, पत्रकार, गतका समूह, power wing, एसिड सर्वाइवर, पेट्रोल पम्प पर तेल भरने का काम करने वाली महिलाऐं, लायंस क्लब की महिलाएं, NCC व NSS, दिव्यांग, e-रिक्शा महिला चालक इस मुहीम का हिस्सा होगी।