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हल्दिया गंगा परिवहन सेवा हुई शुरू, अब युवाओं को मिलेगें रोजगार

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Published on: 12 Aug 2016 10:22 AM IST
हल्दिया गंगा परिवहन सेवा हुई शुरू, अब युवाओं को मिलेगें रोजगार
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वाराणसीकेंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी सुबह 11 बजे वाराणसी के अवधूत भगवान राम घाट पहुंचे। उन्होंने वहां मालवाहक जलपोत पर पूजा की और हरी झंडी दिखाकर जलपोत को हल्दिया के लिए रवाना किया और 2500 करोड़ की लागत से बनी सड़क परियोजनाओं का भी शिलान्यास किया। इस परिवहन सेवा से जहां व्यापारियों को ट्रांसपोर्ट रूट का ऑप्शन उपलब्ध होगा तो वहीं पूर्वांचल और पश्चिमी बिहार के युवाओं को बड़ी संख्या में रोज़गार भी मिलेगा, साथ ही टर्मिनल के आस-पास के इलाकों का विकास भी होगा। राज्य का पहला मल्टी मॉडल टर्मिनल काशी में बनने जा रहा है और इसका असर व्यवसाय से लेकर रोज़गार तक और सेवा क्षेत्र से लेकर कृषि क्षेत्र सब में दिखेगा।

क्या कहते है इनलैंड वाटरवेज़ अथॉरिटी के वाईस चैयरमैन प्रवीर पांडेय?

ट्रांसपोर्टेशन-लॉजिस्टिक कॉस्ट को कम करने की हमारी कोशिश है जो अभी जीडीपी का अठारह प्रतिशत है। अगर इसे हम 12 प्रतिशत तक भी ला सकें तो ये हमारे लिए उपलब्धि होगी। अमरीका-यूरोप और चीन में ट्रांसपोर्टेशन-लॉजिस्टिक कॉस्ट जीडीपी का 5 से 8 प्रतिशत है और हमारे यहां 18 प्रतिशत है। इस वाटर वेज-1 के शुरू होने से खासकर रोड हाई वेज पर दबाव कम होगा। वैसे भी रेल में संभावना अब कम हो गई है। रोड बनाने में भूमि अधिग्रहण जैसे क़ानून को इम्प्लीमेंट में लाना बड़ी समस्या है ऐसे में रिवर रूट ही एकमात्र विकल्प बचा है। इस वाटर वेज-1 से हम 2020 तक 15 मिलियन टन माल की ढुलाई का लक्ष्य रखा गया है। इसको 2035 तक 53 मिलियन टन तक ले जाना तय किया गया है।

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RITES ने जारी किए आंकड़े

रेलवे की संस्था RITES ने 2014 में आंकड़े जारी किए थे जिसके अनुसार रेल से माल ढुलाई की लागत 2.15 रूपए प्रति टन प्रति किलोमीटर और रोड से माल ढुलाई की लागत 2.85 रूपए प्रति टन प्रति किलोमीटर है जबकि जहाज से माल ढुलाई की लागत 1.20 रूपए प्रति टन प्रति किलोमीटर ही पड़ेगी। इसके साथ ही अगर बल्क में माल की ढुलाई होती है और जहाज़ों के फेरे बढ़ते हैं तो ये और सस्ता पड़ेगा। रिटर्न कार्गो की सुविधा बढ़ाने पर भी हम काम कर रहे हैं जिसके बाद माल ढुलाई की डिलेवरी और लागत दोनों कम होंगी।

युवाओं को मिलेगा रोजगार

टर्मिनल के आस-पास के इलाकों के सेवा और कृषि क्षेत्रों में अच्छे विकास की संभावना है। साथ ही टर्मिनल मेंटेनेंस ,ड्रेजिंग,फ्यूल बुनकेरिंग,कार्गो मूवमेंट ,शिप रिपेयरिंग जैसे कई कामों के लिए स्थानीय लोगों को तवज्जो मिलेगी। इनलैंड वाटरवेज़ अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया के चेयरमैन अमिताभ वर्मा का कहना है कि अगले पांच सालों में देश भर में हम दो लाख युवाओं को सीधे रोज़गार देंगे जबकि अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार और स्थानीय व्यवसाय के लिए बड़ी संभावाना बनेगी। इस परियोजना से पूर्वांचल में ही करीब बीस हजार लोगों के लिए रोज़गार की संभावाना रहेगी। 300 किमी की फोर लेन सड़क बनाने में तमाम समस्याओं के साथ सरकार को साठ से सत्तर हज़ार करोड़ खर्च करना पड़ता है जबकि इस सोलह सौ बीस किमी की परियोजना पर महज चार सौ करोड़ का खर्चा आया है।

क्या कहते है अर्थशास्त्री?

अर्थशास्त्री मानते हैं की इस परियोजना से पूर्वांचल में विकास की संभावना बनेगी। औद्योगीकरण में परिवहन की बड़ी भूमिका होती है और इसका असर महंगाई को कम करने में भी दिखता है। अगर कम लागत और समयबद्ध तरीके से ये परियोजना चलती है तो रीजनल डेवलपमेंट का एक अच्छा अवसर पूर्वांचल को मिलेगा। ट्रेड -बिज़नस और एम्प्लॉयमेंट के लिहाज से मोदी सरकार की ये महत्वाकांक्षी परियोजना है।

कछुआ सेंचुरी की वजह से था रुका

ट्रायल रन के लिए मालवाहक जहाज 10 जुलाई को ही वाराणसी पहुंच गए थे लेकिन कछुआ सेंचुरी की वजह से पूरा महीना बीत गया। वाइल्‍ड लाइफ इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंडिया के एक्‍सपर्ट कमिटी की रिपोर्ट के बाद भी यूपी सरकार के एनओसी न जारी करने से नए स्‍थान की तलाश कर जहाजों को चलाने का निर्णय लिया गया। नई साइट अधोरेश्‍वर अवधूत भगवान राम घाट कछुआ सेंचुरी एरिया से काफी दूर होने से रोक प्रभावी नहीं होगी। हालांकि बीते शनिवार को यूपी सरकार ने सशर्त वन टाइम एनओसी जारी कर दिया।



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