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Sonbhadra: यहां बगैर दलालों के नहीं होती इंट्री, हर काम का तय है रेट, चहेते बाबुओं को थमाए गए हैं महत्वपूर्ण टेबल

Sonbhadra:सोनभद्र एआरटीओ दफ्तर में बगैर दलालों के इंट्री नहीं होती है, हर काम का रेट तय है और कुछ बाबुओं को ही महत्वपूर्ण टेबलों को जिम्मेदारी दी गई है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 26 April 2022 8:12 PM IST
Sonbhadra: यहां बगैर दलालों के नहीं होती इंट्री, हर काम का तय है रेट, चहेते बाबुओं को थमाए गए हैं महत्वपूर्ण टेबल
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Sonbhadra News: सीएम योगी (CM Yogi Adityanath) एक तरफ जीरो टालरेंस (zero tolerance) की नीति को सख्ती से लागू कराने में जुटे हुए हैं। वहीं जिले के परिवहन महकमे (transport Department) के दफ्तर में बगैर दलालों-बिचैलियों का दामन थामे कोई काम करा पाना खासा मुश्किल है। यहां सरकारी शुल्क से इतर, हर काम के लिए अलग से कथित रेट भी तय है। वर्तमान में कामकाज के लिए छह बाबुओं की तैनाती है, लेकिन महत्वपूर्ण टेबल दो से तीन बाबुओं तक सिमटे हुए हैं। अफसरों का जवाब है कि स्टाफ कम है। आखिर कम स्टाफ में भी एक को प्रशासनिक कामकाज के साथ कई महत्वपूर्ण पटल तो दूसरे को एक भी नहीं? यह सवाल हर किसी के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।

न्यूजट्रैक रिपोर्टर (newstrack reporter) ने मंगलवार को जिला मुख्यालय स्थित सहायक संभागीय दफ्तर में कामकाज का हाल जाना तो सामने आई चीजें हैरत में डालने वाली रही। बाहरी कांउटर से लेकर अंदर के टेबल तक हर जगह कामकाज के लिए खड़े लोगों के साथ किसी न किसी दलाल का कनेक्सन जुड़ा मिला। पहुंचे लोगों का कहना था कि बगैर दलाल यहां कोई काम करा पाना मुश्किल है। इसलिए यहां आने सभी के लिए किसी न किसी दलाल-माध्यम का सहारा लेना मजबूरी है। महत्वपूर्ण टेबल वाले बाबुओं के यहां भी प्राइवेट व्यक्तियों का ही डेरा है। बाह्य कक्ष, लेखा कक्ष, आरआई आलोक यादव के कक्ष की कुर्सियां खाली मिलीं।


एआरटीओ प्रवर्तन का कमरा बंद मिला। लाइसेंस के लिए फोटो खिंचाने वाले कक्ष पर अभ्यर्थियों की कतार तो मिली लेकिन यहां भी बिचैलियों का ही प्रभाव नजर आया। एआरटीओ प्रशासन पीएस राय अपने कक्ष में बैठे मिले। उनके यहां भी वाहन स्वामियों की बजाय, दूसरे लोग फाइल लेकर पहुंचते नजर आए। बाह्य कक्ष की कुर्सी खाली मिलने पर कहा कि वहां बैठने वाले बाबू अवकाश पर हैं। आरआई के बारे में बताया कि वह थानों पर निष्प्रयोज्य वाहनों के मूल्यांकन के लिए गए हुए हैं। शेष बाबुओं के बारे में बताया कि कहीं अगल-बगल में होंगे। बाबुओं की कुर्सियां खाली होने और कामकाज के लिए आने वाले लोगों के भटकने के सवाल पर कहा कि स्टाफ कम है, इसीलिए दिक्कत आ रही है।

काम कराना है तो दलालों को पकड़ने के साथ ही, अदा करनी होगी तय रकम

यहां कामकाज के लिए आने वालों का कहना था कि इस दफ्तर में समय से काम कराने के लिए दलालों को माध्यम तो बनाना ही पड़ेगा, साथ ही दलालों-प्राइवेट व्यक्तियों के जरिए सरकारी शुल्क से इतर हर काम के लिए तय रकम भी अदा करनी पड़ेगी। नाम जाहिर न करने की शर्त पर कई ने दावा किया कि ट्रक-बस के फिटनेस के लिए दस से बारह हजार, छोटे चार पहिया वाहन के फिटनेस के लिए चार से पांच हजार, कामर्शियल लाइेंस के लिए दस हजार, प्राइवेट लाइेंसस के लिए डेढ़ से दो हजार, बडे वाहनों के ट्रांसफर के लिए पांच हजार, छोटे वाहनों के लिए दो से तीन हजार, बाइक के लिए एक हजार, कामशियल लाइसेंस रिन्यूअल में दो से तीन हजार, ट्रेड लाइसेंस के लिए 15 से 20 हजार, रिन्यूअल का पांच हजार, बडे़ वाहनों के ट्रांसफर की एनओसी के लिए दस हजार, छोटे वाहनों की एनओसी के लिए पांच हजार और दो पहिया वाहनों के लिए डेढ से दो हजार, सीज वाहनों को रिलीज कराने के लिए भी पांच से दस हजार तक अदा करने पड़ रहे हैं। हालांकि अधिकारी इसे नकारते रहे और अब तक इस बारे में एक भी शिकायत न मिलने की बात कहते रहे।


प्राइवेट व्यक्तियों के सहारे निबटाए जा रहे कामकाज

एआरटीओ दफ्तर पर कामकाज के लिए पहुंचने वाले लोगों की बातों पर यकीं करें यहां बाबू कम, उनके द्वारा लाए गए प्राइवेट व्यक्ति ज्यादा कामकाज निबटाते हैं। छह साल पूर्व के एक साल को छोड़कर लगभग 15 वर्षों से जमे प्रधान सहायक अरविंद सिंह को जीए बाबू होने के नाते प्रशासनिक कामकाज-लिखापढ़ी की जिम्मेदारी तो है ही, कमाऊ पटल के रूप में पहचाने जाने वाले कामर्शियल गाड़ियों का पंजीयन, फिटनेस, ट्रेड लाइसेंस और एनओसी की जिम्मेदारी है। इसके लिए भी उन्हें एक दफ्तर में अलग-अलग समय पर तीन टेबल संभालने पड़ते हैं।

लगभग पांच साल से तैनात विनोद श्रीवास्तव के पास प्राइवेट वाहनों का पंजीयन, कार, बाइक, लग्जरी वाहनों से जुड़े कामकाज तथा प्रवर्तन के कामकाज यानी वाहनों को रिलीज करने, कैश काउंटर, कामर्शियल वाहनों के ट्रांसफर का जिम्मा है। अफसरों की मेहरबानी वाले तीसरे बाबू हैं विनोद सोनकर, जिनको अदर स्टेट, अदर रीजन वाहनों के ट्रांसफर, परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस, लर्निंग लाइसेंस, कामर्शियल लर्निंग लाइसेंस, ट्रक तथा छोटे वाहनों के ट्रांसफर की जिम्मेदारी है। प्रधान सहायक गुणवती देवी एवं एक अन्य बाबू के पास सामान्य कामकाज है। वरिष्ठ सहायक अतुल को कोई जिम्मेदारी न दिए जाने की बात बताई गई। वहीं यहां तैनात हरिश्चंद्र लगभग छह माह से निलंबित चल रहे हैं।


प्राइवेट व्यक्तियों पर लगाई गई है पाबंदी, मिली शिकायत तो होगी कार्रवाई

आरटीओ मिर्जापुर संजय तिवारी (RTO Mirzapur Sanjay Tiwari) कहते हैं कि सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी के दफ्तर में कामकाज के लिए आने वाले लागों से इतर किसी भी प्राइवेट व्यक्ति की मौजूदगी, चाहे वह दलाल-बिचौलिए हों या बाबुओं द्वारा अपने काम के सहयोग के लिए रखे जाने वाले कथित प्राइवेट व्यक्ति, पर सख्ती से रोक का निर्देश दिया गया है।


उन्होंने इसकी जांच के लिए कई बार दौरा भी किया लेकिन ऐसी कोई शिकायत नहीं पाई गई। कुछ बाबुओं को ही महत्वपूर्ण टेबलों को जिम्मेदारी दिए जाने के सवाल पर कहा कि कुछ लोग काम नहीं करना चाहते, इसलिए इस तरह की बात फैला रहे हैं, सभी बाबू जिनको, जितनी क्षमता है, काम दिया गया है। कोई भी ऐसा बाबू नहीं है, जिसको कार्य की जिम्मेदारी नहीं दी गई है। हर काम के लिए रेट तय होने और प्राइवेट व्यक्तियों के जरिए इसकी वसूली किए जाने के सवाल पर कहा कि इस बारे में उनसे किसी भी वाहन स्वामी या व्यक्ति द्वारा कभी कोई शिकायत नहीं की गई। फिर भी वह पूरे मामले की जानकारी करेंगे, उगाही या प्राइवेट व्यक्ति के दखल की शिकायत मिली तो कार्रवाई होगी।



Shashi kant gautam

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