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UP Politics: यूपी विधान परिषद में सपा को झटका, लाल बिहारी यादव से छिना नेता प्रतिपक्ष का दर्जा

UP Politics: उत्तर प्रदेश विधान परिषद (Uttar Pradesh Legislative Council) में समाजवादी पार्टी का संख्या बल लगातार कम होने के कारण नेता प्रतिपक्ष का दर्जा भी छिन गया है।

Rahul Singh Rajpoot
Published on: 7 July 2022 7:48 PM IST
The Samajwadi Party did not have the recognition of the opposition leader in the Uttar Pradesh Legislative Council
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सपा नेता लाल बिहारी यादव : photo - social media

Lucknow: उत्तर प्रदेश विधान परिषद (Uttar Pradesh Legislative Council) में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का संख्या बल लगातार कम होने के कारण नेता प्रतिपक्ष का दर्जा भी छिन गया है। लाल बिहारी यादव (Lal Bihari Yadav) अब तक यूपी के उच्च सदन में नेता प्रतिपक्ष थे, लेकिन अब लाल बिहारी सपा विधान परिषद दल के नेता ही रहेंगे। लाल बिहारी से पहले अहमद हसन (Ahmed Hassan) नेता प्रतिपक्ष थे। उनके निधन के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव (SP chief Akhilesh Yadav) ने विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी लाल बिहारी यादव को सौंपी थी जो अब विधान परिषद में सपा के दल के नेता रहेंगे।

डॉ राजेश सिंह प्रमुख सचिव (Dr. Rajesh Singh Principal Secretary) की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि दिनांक 27 मई 2022 को उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदन में समाजवादी पार्टी अपनी सदस्य संख्या 11 के साथ सबसे बड़ा विरोधी दल था। जिसके अनुसार उस दल के सदस्य लाल बिहारी यादव को नेता विरोधी दल की मान्यता प्रदान की गई थी।

गणपूर्ति की संख्या 10 से न्यूनतम

आज 7 जुलाई 2022 को उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदन में समाजवादी पार्टी की सदस्य संख्या 9 हो गई है। जो उत्तर प्रदेश विधान परिषद की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली 1956 के नियम 254 के अनुसार गणपूर्ति की संख्या 10 से न्यून है।

इसलिए उत्तर प्रदेश विधान परिषद में मुख्य विरोधी दल समाजवादी पार्टी के लाल बिहारी यादव जो नेता विरोधी दल के पद पर आसीन हैं उनको नेता विरोधी दल की दी गई मान्यता को माननीय सभापति विधान परिषद उत्तर प्रदेश द्वारा तत्काल प्रभाव से समाप्त करते हुए उन्हें सदन में समाजवादी पार्टी के दल के नेता बनाए रखा गया है।

समाजवादी पार्टी के पास नेता विरोधी दल की मान्यता नहीं बची

बता दें बीते दिनों विधान परिषद से 10 सदस्य रिटायर हुए थे। जिसमें समाजवादी पार्टी की भी संख्या कम हो गई है, संख्या कम होने के कारण अब उनके पास विधान परिषद में नेता विरोधी दल की मान्यता नहीं बची है। यहीं नहीं यूपी विधानपरिषद कांग्रेस विहीन हो गई है। कांग्रेस की ओर से दीपक सिंह एक मात्र एमएलसी थे जिनका कार्यकाल बीते दिनों पूरा हो गया है।



Shashi kant gautam

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