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अंधेरे में जी रहा ये गांव, आजादी के 67 साल बाद भी नहीं पूरा हुआ सपना

Admin
Published on: 12 April 2016 12:42 PM GMT
अंधेरे में जी रहा ये गांव, आजादी के 67 साल बाद भी नहीं पूरा हुआ सपना
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सहारनपुर: देश के पीएम नरेंद्र मोदी हो या फिर यूपी के सीएम अखिलेश यादव गांवों के विकास को लेकर एक तरफ बड़ी-बड़ी करते हैं वहीं सरसावा में एक गांव ढिक्का टपरी भी है जहां आजादी के 67 साल बाद भी बिजली नहीं पहुंची है इस गांव के लोग नहीं जानते ही बिजली क्या होती है। गांव के कुछ हिस्सों में खंभे लगाए गए, तार भी खींच दिए गए, लेकिन बिजली तो केवल सपना ही है।

बिजली के लिए कर रहे आंदोलन

ढिक्का टपरी के लोग आजादी के बाद से आज तक बिजली के लिए आंदोलन करते आ रहे हैं। ग्रामीण रोजाना जिला मुख्यालय, तहसील दिवस अथवा किसी बडे़ मंत्री के सहारनपुर आगमन पर ज्ञापन हाथ में लिए खडे़ रहते हैं। इस गांव के लोगों की एक ही मांग होती है कि किसी तरह से उनके गांव को बिजली दे दी जाए। लेकिन यह मांग शायद इस गांव के लोगों के लिए एक सपना बनकर रह गई है।

गांव में सुविधाओं का अभाव

ब्लाक सरसावा में पड़ने वाला ढिक्का टपरी यमुना नदी पार दूसरे छोर पर हरियाणा में स्थित है। इस गांव में वैसे तो अनेक मूलभूत समस्याएं हैं, लेकिन बिजली की समस्या सबसे गंभीर है। आजादी के 67 साल बाद शायद ही कोई ऐसा गांव होगा जिसमें विद्युत आपूर्ति नहीं दी गई हो, लेकिन यह गांव आज भी अभावों में जी रहा है।

विद्युत विभाग के चीफ इंजीनियर को भी हुआ था आश्‍चर्य

ग्रामीणों द्वारा किए जा रहे धरना प्रदर्शन के बाद एक कुछ दिनों पहले विद्युत विभाग के चीफ इंजीनियर एससी श्रीवास्तव किसी कार्य से चंडीगढ़ जा रहे थे। यमुना नदी पर धरने पर ग्रामीणों को बैठे देखकर रुक गए। उन्‍होंने ग्रामीणों की समस्या सुनी तो दंग रहे गए। आजादी के 67 साल बाद भी गांव को विद्युत आपूर्ति नहीं मिल सकी।

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बाद में उन्होंने अधिकारियों से पूछा तो पता चला कि उक्त गांव हरियाणा की सीमा में है। यूपी से बिजली दिया जाना इसलिए संभव नहीं है, क्योंकि यमुना नदी का लंबा चौड़ा रकबा बीच में आता है। यदि यमुना नदी में विद्युत पोल लगाकर गांव को बिजली दी जाती है बरसात के मौसम में यमुना में आने वाली बाढ़ से सभी विद्युत खंभे ध्वस्त हो जाएंगे और विभाग को नुकसान उठाना पडे़गा।

खंभे लगे पर नहीं आई बिजली

इसके बाद उन्होंने हरियाणा सरकार से समन्वय स्थापित किया तो हरियाणा सरकार गांव को विद्युत आपूर्ति देने को राजी तो हो गई, लेकिन आज तक सप्लाई नहीं मिल सकी। इस कारण गांव में केवल खंभे ही लग सके हैं और गांव की करीब 15 फीसदी जनता को ही विद्युत आपूर्ति मिल सकी है, शेष 85 प्रतिशत गांव की आबादी आज भी अंधेरे में ही जीवन यापन कर रही है। कुछ गलियों में खंभों पर तार खींचे गए तो आपूर्ति ही नहीं मिल सकी।

पूर्व प्रधान ने क्‍या कहा

पूर्व ग्राम प्रधान हर्षवर्धन का कहा है कि विधुत विभाग द्वारा प्रयाप्त विधुत ट्रास्फार्मर नहीं रखे जाने के कारण आधे गांव को ही बिजली सप्लाई मिल पाई है। ग्रामीण राजेन्द्र का कहना है कि वैसे तो उनका गांव यूपी मे पड़ता है लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा आज तक उनके गांव मे विकास कार्य नहीं कराए गए।

पूर्व प्रधान रामनाथ ने बताया कि यूपी हरयिाणा सीमा के विवाद मे फसे गांव के ग्रामीण अपने को ठगा महसूस करते हैं। आजादी के बाद जहां छोटे-छोटे गांव के लिए केंद्र एवं प्रदेश सरकारों द्वारा गांवों मे विकास कार्य कराए गए। वहीं ढिक्का टपरी गांव आज भी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है।

बाढ़ का रहता है खतरा

ग्रामीण भीम सिंह का कहना है कि उनका गांव यमुना नदी के किनारे बसे होने के कारण यहां हमेशा ही बाढ़ का खतरा बना रहता है। कई बार यमुना नदी में बाढ़ आने के कारण गांव का संपर्क हरियाणा एवं यूपी से कट जाता है। जिससे ग्रामीणों को जान माल का नुकसान हुआ है, लेकिन आज तक उन्हें प्रशासन की ओर से कोई भी सुविधा नहीं मिल सकी।

विद्युत विभाग के जेई राजकुमार ने बताया कि विद्युत विभाग द्वारा गांव में कुछ ट्रास्फार्मर रखे जा चुके हैं जिससे करीब आधे गांव को विद्युत आपूर्ति दी जा चुकी है। करीब एक हफ्ते के अंदर गांव में और ट्रास्फार्मर की व्यवस्था कर पूरे गांव को सप्लाई मुहैया कराई जाएगी।

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