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कुंभ मेले में कोई वीआईपी नहीं, सभी को मिले समान अधिकार: हाईकोर्ट
हालांकि, कोर्ट ने तीर्थ पुरोहितों को बेहतर स्थान पर भूमि आवंटित करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए इसे खारिज कर दिया है। यह आदेश जस्टिस भारती सप्रू तथा जस्टिस पियूष अग्रवाल की खंडपीठ ने घनश्याम शर्मा व अन्य पुरोहितों की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि कुंभ मेला मानवता व भाईचारे को बढ़ाने वाला धार्मिक आयोजन है। मेले में सभी को समान अधिकार प्राप्त है और कोई वीआईपी नहीं है। इसलिए मेले में आवंटन नीति के तहत ही भूमि आवंटित की जानी चाहिए।
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हालांकि, कोर्ट ने तीर्थ पुरोहितों को बेहतर स्थान पर भूमि आवंटित करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए इसे खारिज कर दिया है। यह आदेश जस्टिस भारती सप्रू तथा जस्टिस पियूष अग्रवाल की खंडपीठ ने घनश्याम शर्मा व अन्य पुरोहितों की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
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याचियों का कहना है कि तीर्थ पुरोहितों की मेले के आयोजन में अहम भूमिका होती है। उन्हें मेले में भूमि आवंटित की गई है लेकिन स्थान उपयुक्त नहीं है। उन्हें बेहतर स्थान पर भूमि आवंटित की जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि मेले में भूमि नीति से दी जानी चाहिए कोई छोटा या बड़ा नहीं है। सभी को समान अधिकार है।
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दूसरी तरफ जस्टिस शशिकांत गुप्ता तथा जस्टिस पी के श्रीवास्तव की खंडपीठ ने श्री बजरंग दिव्य शक्ति सेवा संस्थान की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से 8 जनवरी को कुंभ मेला क्षेत्र में भूमि आवंटन की नीति पेश करने का निर्देश दिया है। याची अधिवक्ता कुंजेश दुबे का कहना है कि मेले में भूमि आवंटन में मनमानी की जा रही है। पहुंच वाले लोगों को संगम के नजदीक और सामान्य लोगों व संस्थाओं को दूर व अव्यवस्थित जमीन दी जा रही है। मेले में भूमि आवंटन नीति का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। इस पर कोर्ट ने भूमि आवंटन नीति तलब करते हुए इस मामले की सुनवाई 8 जनवरी को करने का निर्णय लिया है।