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घर बैठे भूखंड की पूरी जानकारी मिलेगी,सिस्टम गूगल मैप की तरह ही होगा
शहर में कौन से भूखंड खाली है। वह किस सेक्टर व गांव में मौजूद है। उनका क्षेत्रफल क्या है। वर्तमान स्थिति क्या है। यह जानने के लिए प्राधिकरण के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी। प्राधिकरण इसके लिए जियोग्राफिकल इंफोरमेंशन सिस्टम (जीआईएस) पर कार्य कर रहा है। यह सिस्टम
नोएडा: शहर में कौन से भूखंड खाली है। वह किस सेक्टर व गांव में मौजूद है। उनका क्षेत्रफल क्या है। वर्तमान स्थिति क्या है। यह जानने के लिए प्राधिकरण के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी। प्राधिकरण इसके लिए जियोग्राफिकल इंफोरमेंशन सिस्टम (जीआईएस) पर कार्य कर रहा है। यह सिस्टम गूगल मैप की तरह ही होगा। इसमें सेक्टर व गांवों की भूखंड स्थिति को दिखाया जाएगा। जिसमें चिन्हों की मदद से खाली भूखंड की जानकारी दी जाएगी। कार्य पूरा होने के बाद इसे नोएडा प्राधिकरण की आॅनलाइन वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा।
अप्रैल 1975 को 19 हजार हेक्टेयर जमीन पर शहर को बसाया गया।प्राधिकरण यहां अर्जेंसी क्लाज के तहत जमीन अधिग्रहण किया। मुआवजा भी दिया गया लेकिन भूमाफियाओं ने यहा खाली भूखंड पर कब्जा जमा लिया। स्थिति यह है कि प्राधिकरण की कब्जा प्राप्त जमीन पर कई मंजिला बिल्डिंग बन चुकी है। प्राधिकरण अब अवैध निर्माण को हटाकर जमीन वापस अपने कब्जे में ले रहा है।
मास्टर प्लान-2031 में इन भूखंड का व्यवसायिक, आवासीय और औद्योगिक उपयोग पहले ही सुनिश्चित किया जा चुका है। प्राधिकरण द्वारा एक सर्वे यहां सेक्टर व गांवों में खाली भूखंड के लिए भी किया जा रहा है। इसकी एक सूची भी तैयार की जा रही है। खाली भूखंड की जानकारी को जीआईएस सिस्टम पर अपलोड किया जा रहा है। विशेषज्ञों की देखरेख में यह कार्य किया जा रहा है। कार्य पूरा होने के बाद कोई भी आवंटी गूगल मैप की तरह शहर का जियोग्राफिकल नक्शा अपने कंप्यूटर या मोबाइल पर खोला सकेगा।
कैसे करेगा काम क्या मिलेगा फायदा
जीआईएस सिस्टम ग्लोबली होगा। इसे कहीं से भी आपरेट किया जा सकेगा। प्राधिकरण की वेबसाइट व लिंक के जरिए इसे खोला जा सकेगा। उदाहरण के तौर पर यदि हमें सेक्टर-125 में खाली भूखंड की जानकारी चाहिए। इसके लिए जीआईएस मैप खोला जाएगा। विकल्पों का प्रयोग कर उक्त सेक्टर में पहुंचा जा सकेगा। ऐसे में जो भी भूखंड इस सेक्टर में खाली है उसे देखा जा सकेगा। इसके साथ भूखंड का क्षेत्रफल, मालिकाना हक, उसकी वर्तमान स्थिति, बकाया और प्राधिकरण की योजना प्रास्तावित है या नहीं, लैंड यूज की जानकारी भी मिल सकेगी। आसपास की लोकेशन की जानकारी भी मिल सकेगी।
हिंदी और अंग्रेजी दोनों में काम करेगा यह सिस्टम
यह सिस्टम हिंदी और अंग्रेजी दोनों में काम करेगा। प्राधिकरण विशेषज्ञों की मदद से इस सिस्टम को तैयार कर रहा है। बताया गया कि दो से तीन महीने में इस सिस्टम को गूगल से लिंक कर दिया जाएगा। इसके बाद घर बैठे ही भूखंड की पूरी जानकारी मिल सकेगा।
नहीं होगी धोखाधड़ी
शहर में भूखंड की खरीदफरोक में सबसे ज्यादा धोखाधड़ी के मामले आते है। भूमाफिया के चक्कर में फंस कर अपनी जमा पूंजी उन्हेंं सौंप देती है। ऐसे में प्राधिकरण जब अपनी जमीन वापस लेने जाती है तो वहां कई मंजिल मकान बन चुके होते है। जीआईएस सिस्टम से इस तरह की धोखाधड़ी पर रोक लगेगी साथ ही लोगों को सहीं जानकारी मिल सकेगी।