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नोएडा DM ने कहा- नगर निगम के काम से प्राधिकरण को अलग किया जाए
प्रदेश का आइना कहे जाने वाले शहर का विकास नोएडा विकास प्राधिकरण ने किया। एक दशक में नोएडा प्राथमिक रूप से आवासीय शहर के रूप में विकसित होता हुआ दिख रहा है।
नोएडा: प्रदेश का आइना कहे जाने वाले शहर का विकास नोएडा विकास प्राधिकरण ने किया। एक दशक में नोएडा प्राथमिक रूप से आवासीय शहर के रूप में विकसित होता हुआ दिख रहा है। लेकिन आवासीय निगम की आवश्यता को पूर्ण करने में यह शहर फेल साबित हो रहा है। लिहाजा नोएडा-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को नगर निगम के कार्य से अलग कर देना चाहिए। विकास प्राधिकरण को केवल प्राधिकरण के कार्यक्षेत्र तक ही सीमित रहना चाहिए। ऐसे में नोएडा क्षेत्र को नगर निगम घोषित कर देना चाहिए। यह बात डीएम ने एक पत्र के जरिए निजी सचिव सुरेश खन्ना को भेजी चिट्ठी में कही।
डीएम बीएन सिंह ने पत्र के माध्यम से बताया कि नोएडा में दिल्ली के एनडीएमसी की तरह एक नगर निगम स्थापित करना चाहिए। जिससे नगर निगम की तरह काउंसलर का चुनाव होना चाहिए। इसका एग्जीक्यूटिव हेड एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी होता जय काउंसिल की अध्यक्षता सीएम करते हैं।
नोएडा के म्युनिसिपल कार्य को एनडीएमसी की तर्ज पर होना चाहिए। उन्होंने बताया कि नोएडा की आबादी 15 लाख के आसपास है। दिल्ली से सटे होने के कारण विकास के मापदंडो पर इसकी तुलना दिल्ली से की जाती है। राष्ट्रीय स्तर पर यह प्रदेश का चेहरा है। जिसे सामाजिक, आर्थिक एवं प्रशासनिक गतिविधियों को निवेशकों द्वारा बड़े ध्यान से देखा जाता है।
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विकास प्राधिकरण के कार्य क्षेत्रों में संभवत: केवल अधिसूचित क्षेत्र ही लिया जाता है। ऐसे में नोएडा के नगरीय क्षेत्र में आने वाले सभी बस्तियां, डूब क्षेत्र म्युनिसिपल सर्विस से बाहर हो गए। बता दें कि नोएडा शहर का एक बड़ा हिस्सा बस्ती में तब्दील है। लेकिन उनके पास निगम जैसी कोई सुविधा नहीं है।
नोएडा व ग्रेटर नोएडा में निगम कार्य को संचालित करने के लिए कोई एक्ट, नियम और पाॅलिसी नहीं है। यह स्थिति तब है जब यहां इसकी मांग सर्वाधिक है। लिहाजा नोएडा और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण इन कार्यों को करने में पूर्णता असफल है। डीएम ने प्राधिकरण पर आरोप लगाया कि हाल ही में बिल्डर-बायर प्रकरण से स्पष्ट है कि नोएडा विकास प्राधिकरण संस्थागत रूप में अपनी गतिविधि को नहीं निकाल पाया। ऐसी स्थिति में निगम कार्य कर पाना मुश्किल है।
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चार महीने तक किया सर्वे
डीएम ने बताया इस मामले में चार महीने तक प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा सर्वे किया गया। यह सर्वे अतिक्रमण, खुले में शौच, नालों व नालियों की साफ-सफाई से संबंधित है। इस स्थिति में प्राधिकरण अपना कार्य करने में पूर्ण रूप से असफल रहा। ऐसे में नोएडा-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को सिर्फ प्राधिकरण तक ही सीमित किया जाए।