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5 साल पहले शुरू हुई थी सौंदर्यीकरण योजना, अब हो गया ये हाल...
नोएडा: शहर के मिनी कनाट प्लेस कहे जाने वाले सेक्टर-18 का सौंदर्यीकरण का कार्य गत पांच सालों से चल रहा है। लेकिन अब तक इसके एक फेज का काम भी पूरा नहीं किया जा सका है। सितंबर तक तीन ब्लाक का काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। परियोजना के निर्माण में देरी की वजह प्राधिकरण के पास नहीं है। न ही यह जानकारी है कि प्राधिकरण ने कितना पैसा इस परियोजना पर लगा दिया है। यह आरोप व्यापारियों द्वारा निरंतर लगाया जाता रहा है। व्यापारियों का कहना है कि सौंदर्यीकरण के काम में निरंतर हो रही देरी ने उनके व्यापार को ही चौपट कर दिया है। उनको 60 प्रतिशत तक व्यापार में घाटा हो रहा है।
250 करोड़ के बजट से हो रहा काम
दरसअल, प्राधिकरण पिछले पांच साल से रुकी हुई परियोजना को पूरा करने में लगा है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण सेक्टर-18 का सौंदर्यीकरण है। इसका सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। इसके लिए 250 करोड़ रुपए का बजट तय है। लेकिन पांच सालों में कितना खर्च हो गया इसका जवाब किसी अधिकारी के पास नहीं है। दरअसल, पांच साल पहले शुरू हुए कार्य को अब तक पूरा होना चाहिए था। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इसके सभी ब्लाकों में काम अधूरा पड़ा है। सीवर लाइन के गढ्ढे खुदे हैं। बारिश के चलते यहां कीचड़ का आलम है। गाड़ियां तो दूर पैदल चलने में दिक्कत आ रही है। सौंदर्यीकरण को लेकर कई बार व्यापारियों और प्राधिकरण के बीच बैठक हो चुकी है। लेकिन अब तक समाधान नहीं निकल सका है। आश्वासन दिया गया है कि सेक्टर-18 के तीन ब्लाकों का काम सितंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। उधर, व्यापारी नई पार्किंग नीति के तहत की जा रही पार्किंग व्यवस्था को लेकर भी नाराज हैं। तमाम बैठकों के बाद भी इसका निर्णायक हल नहीं निकल सका है। ऐसे में व्यापारियों को लगातार घाटा उठाना पड़ रहा है।
70 प्रतिशत सेक्टर का हाल बेहाल
सेक्टर-18 के सौंदर्यीकरण का काम किया जा रहा है। इसके लिए इन्होंने सड़कों को खोद दिया है। यहां ए से लेकर एस ब्लाक हैं। जिसमें अधिकांश ब्लाकों की सड़कों को खोद दिया गया है। बारिश के चलते यहां कीचड़ इकट्ठा है। इससे व्यापारियों को नुकसान पहुंच रहा है। सेक्टर-18 मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष एके जैन ने बताया कि व्यापारी परेशान हैं। 2012-13 में परियोजना को शुरू किया गया। अब तक इसे पूरा नहीं किया जा सका। ऐसे में हम व्यापार करें भी तो कैसे। ग्राहक हमारी दुकान तक पहुंच ही नहीं पा रहा। उसे यहां महंगे दामों पर वाहन खड़े करने पड़ रहे हैं। पैदल चलने का रास्ता नहीं है। काफी दिक्कत हो रही है।