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UP Govt. का फैसला, नोएडा-ग्रेनो और यमुना एक्सप्रेसवे की जांच करेगा CAG
योगी सरकार ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस अथॉरिटीज की जांच सीएजी से कराने के फैसले पर मुहर लगा दी है। जांच भार सरकार महालेखाकार द्वारा की जाएगी। अभी तक इसका राज्य ऑडिट हुआ करता था। इसके अलावा ग्रेटरनोएडा प्राधिकरण की भी सीएजी जांच के लिए जुलाई में किए गए आदेश को संसोधित किया गया है।
नोएडा: योगी सरकार ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस अथॉरिटीज की जांच सीएजी से कराने के फैसले पर मुहर लगा दी है। जांच भार सरकार महालेखाकार द्वारा की जाएगी। अभी तक इसका राज्य ऑडिट हुआ करता था। इसके अलावा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की भी सीएजी जांच के लिए जुलाई में किए गए आदेश को संसोधित किया गया है।
यह आदेश की कांपी सीएजी को भेज दी गई है। ऐसे में एक सप्ताह के अंदर सीएजी नोएडा-ग्रेटर नोएडा और यमुना विकास प्राधिकरण में अपना डेरा जमा सकती है।
10 सालों में हुए घोटाले जांच क दायरे में
सरकार पिछले 10 साल के कार्यकाल में नोएडा में हुए घोटालों की जांच सीएजी को सौंपी है। सरकार के इस कदम को करप्शन पर सख्ती के तौर पर देखा जा रहा है। अभी तक अथॉरिटी के खातों की जांच लोकल फंड ऑडिट डिपार्टमेंट करता था। सरकार ने तीनों अथॉरिटी के साथ यूपीएसआईडीसी को भी सीएजी जांच के दायरे में लिया है। ऐसे में अब केंद्र सरकार से जुड़ी एजेंसी अथॉरिटी की जांच करेगी, इससे कामकाज में पारदर्शिता बढ़ेगी।
वित्तीय लेखा जोखा भी होगा शामिल
शासन के सूत्रों के अनुसार, यूपी सरकार ने इस फैसले की जानकारी प्रदेश में अकाउंटेंट जनरल विनीता मिश्रा को दी थी। इस फैसले में कहा गया है कि यूपी इंडस्ट्रियल डिवेलपमेंट एक्ट 1976 के तहत गठित नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे इंडस्ट्रियल अथॉरिटी के साथ-साथ यूपीएसआईडीसी के खातों की जांच सीएजी से तात्कालिक प्रभाव से कराए जाने का निर्णय किया गया था। इस बारे में प्रदेश के प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास आलोक सिन्हा की तरफ से पत्र 11 जुलाई को विशेष सचिव मोनिका रानी ने जारी किया था। केबिनेट ने इस प्रस्ताव को हरी झंडी दी है। इसकी जांच भारत सरकार के महालेखाकार से कराई जाएगी।
होता रहा है 'खेल'
लोकल फंड ऑडिट में कई बार राजनीतिक हस्तक्षेप के जरिए कई आपत्तियों का निस्तारण फाइनल रिपोर्ट से पहले कर दिया गया। कई बार ऐसा भी हुआ जब गंभीर आपत्ति को अधिकारियों ने रिपोर्ट तैयार करने से पहले ही हटवा दिया। सीएजी जांच में ऐसा संभव नहीं हो पाएगा। इसके अलावा नोएडा ग्रेटरनोएडा प्राधिकरण में किसानों की जमीन अधिग्रहण कर कोड़ियों के दामों पर बिल्डरों को बेचाना, शहर को औद्योगिक विकास के स्थान पर आवासीय विकास, यादव सिंह घोटाला के अलावा, राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल के निर्माण में भारी अनिमितता आदि शामिल है। जिनकी जांच सीएजी द्वारा होने पर कई पूर्व के अधिकारी फंस सकते है।